ताजमहल पैलेस एंड टॉवर
ताजमहल पैलेस एवं टावर | |
ताजमहल पैलेस एवं टावरसाँचा:maplink ताजमहल पैलेस एवं टावरसाँचा:maplink | |
होटल- तथ्य एवं सांख्यिकी | |
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Location | मुंबई, भारत |
उद्घाटन तिथि | १६ दिसंबर, १९०३ |
वास्तुकार | सीताराम खांडेराव वैद्य, एवं डी.एन.मिर्ज़ा |
रेस्तरांओं की संख्या | ११ |
कक्षों की संख्या | ५६५ |
श्रेणियों की संख्या | ४६ |
मुंबई की कोलाबा नामक जगह पर स्थित ताज महल पैलेस होटल पांच सितारा होटल है जो कि गेटवे ऑफ़ इंडिया के पास है। ‘ताज होटल, रिसॉर्ट्स एंड पैलेस’ का एक हिस्सा, यह इमारत इस समूह की प्रमुख संपत्ति मानी जाती है, जिसमे ५६० कमरे एवं ४४ सुइट्स हैं।
ताज महल होटल ११६ साल पुरानी इमारत है। मुंबई की पहचान बन चुकी इस इमारत में महानगर के अमीर और संभ्रांत लोग आते-जाते रहते हैं। विदेशी पर्यटकों में भी गेटवे ऑफ़ इंडिया के पास स्थित ताज महल होटल काफ़ी लोकप्रिय है। ताज महल होटल से समुद्र का दृश्य दिखाई देता है। २६ नवम्बर २००८ मुंबई में श्रेणीबद्ध गोलीबारी के समय यह होटल लगभग ६० घंटों तक आतंकवादियों ने अपने कब्ज़े में कर रखा था।
इतिहास
ताज महल होटल पैलेस मुंबई का पांच सितारा होटल है। ताजमहल होटल की मुख्य इमारत का निर्माण इंडो- सर्कैनिक शैली में टाटा द्वारा करवाया गया था तथा इसे पहली बार १६ दिसम्बर १९०३ को खोला गया था।
ताज का निर्माण दि टाइम्स ऑफ़ इंडिया के संपादक के कहने पर हुआ था जिन्होनें महसूस किया कि बाम्बे के अनुरूप एक होटल की आवश्यकता है।[१]
इसके मुख्य शिल्पी सीताराम खंडेराव वैद्य एवं डी. एन. मिर्ज़ा थे तथा यह प्रोजेक्ट एक इंग्लिश इंजीनियर डब्ल्यू. ए. चैम्बर्स द्वारा पूरा किया गया था। इसके निर्माणकर्ता खान साहेब सोराबजी रतनजी थे जिन्होनें इसकी प्रसिद्ध मध्यवर्ती तैरती हुई सीडियां भी डिजाईन की थीं। इसके निर्माण की कुल लागत £२५०,००० थी (आज के £१२७ मिलियन)।[२]
वह स्थान, जहाँ टावर विंग है, एक होटल हुआ करता था जिसे ‘ग्रीन्स होटल एट दि अपोलो बन्डर’ के नाम से जाना जाता था; जिसे बाद में ताज महल होटल नें खरीद लिया। १९७३ में ग्रीन्स होटल को तोड़ दिया गया और इसके स्थान पर वर्तमान टावर विंग बना दिया गया।
भोजनकक्ष
इस हॉटेल के साथ सर्वश्रेष्ठ भोजनालयौ के कुछ उपहारगृह है, वे हैं -[३]
- एक्वेरियस
- शेफ्स स्टूडियो
- गोल्डन ड्रैगन
- हारबर बार
- ले पेटिजेरी
- मसाला क्राफ्ट
- सी लांज
- शामियाना
- सोक
- स्टार बोर्ड बार
- वासबी वाई मोरिमोटो
- जोडिअक ग्रिल
निर्माण
स्थापत्य कला की अद्भुत मिसाल समझे जाने वाले इस होटल का निर्माण भारत के इस्पात पुरुष जमशेदजी टाटा ने १९०३ में कराया था। इसके निर्माण पर उस समय करीब २५ लाख रुपया लगा था। ऐसा कहा जाता है कि श्वेतों के लिए बने वाट्सन होटल में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलने पर जमशेदजी टाटा ने भारत के इस पहले लक्जरी होटल का निर्माण कराया था, जहाँ बिल क्लिंटन सहित कई नामचीन हस्तियाँ कभी ठहर चुकी हैं। कुनाल नकुम नकुम नामक लड्के ने इसे बच्हया था।
२००८ के आतंकी हमले
२६ नवम्बर २००८ को, मुंबई में आतंकियों के सिलसिलेबार हमलों में इस होटल पर (साथ ही साथ ओबेरॉय होटल पर भी) हमले हुए, जिसके दौरान होटल को भौतिक क्षति पहुंची, जिसमें कि होटल की छत का विध्वंस भी शामिल है।[४] हमले के दौरान लगभग ४५० लोग ताज महल पैलेस एंड होटल में ठहरे हुए थे तथा अन्य ३८० लोग होटल ओबेरॉय में ठहरे थे।[५] हमले के तुरंत बाद (३० नवम्बर) में, ताज महल होटल के चेयरमैन रतन टाटा नें सी.एन.एन. के ‘फरीद ज़कारिया’ के साथ हुए एक साक्षात्कार में कहा कि उन्हें हमलों की पूर्व सूचनाएं पहले ही मिल गयी थी, जिससे कुछ सावधानियां सुचारू रूप से बरती जा रहीं थीं।[६]
‘ताज महल पैलेस एंड टावर होटल’ के कम क्षति वाले हिस्सों को २१ दिसम्बर २००८ को खोल दिया गया। जबकि ताज महल पैलेस होटल के प्रसिद्ध विरासत वाले खंड के पुनर्निर्माण में कुछ महीनों का समय लगा।[७] जुलाई २००९ में हिलेरी क्लिंटन नें ताज होटल में निवास किया। “मेरी तथा मेरा देश की सहानुभूति और सहयोग ताज के उन अतिथियों एवं कर्मियों से है जिन्होनें अपने प्राण गँवा दिए”, ऐसा क्लिंटन नें भारत के “टाइम्स नाउ” पत्र के साथ हुए एक साक्षात्कार में कहा।[८] १५ अगस्त २०१० को, ताज महल पैलेस को मरम्मत के बाद पुनः खोल दिया गया। होटल की मरम्मत में अब तक १.७५ बिलियन रुपये का खर्चा हो चुका है (अनुमानतः $४० मिलियन यू. एस. डी.)।[९] ६ नवम्बर को, यूनाइटेड स्टेट्स के प्रेसिडेंट बराक ओबामा पहले विदेशी हेड ऑफ़ स्टेट बने जिन्होंने हमलों के बाद ताजमहल पैलेस में निवास किया। होटल की छत पर हुए एक संबोधन में ओबामा नें कहा कि, “ताज भारतीयों के संगठन एवं अनुकूलन का प्रतीक रहा है।”[१०]
आतंकवाद की मार के बाद
साँचा:main मुंबई में २६ नवम्बर २००८ की रात में हुए आतंकवादी हमले में ३ आतंकवादियों ने इस होटल को अपनी कारवाही का मुख्य केंद्र बनाया। इस दुर्घटना से पहले तक अपनी भव्यता के लिए जाने जाने वाले ताजमहल होटल को इस आक्रमण के दौरान लगभग ६० घंटों तक आतंकवादियों के साथ कमांडो ऑपरेशन के दौरान रक्तपात, विस्फोट और आगजनी के भयंकर दौर से गुज़रना पड़ा, जिससे इसकी साजसज्जा और अभिजात वातावरण को खासा नुक्सान भुगतना पड़ा।
साहित्यिक उल्लेख
- विल्यम वॉरेन, जी गॉचर (2007). एशियाज लिजेंडरी होटल : द रोमान्स ऑफ ट्रेवल. सिंगापुर : पेरीप्लस एडीशन. आइ एस बी एन 978-0-7946-017-4
- इसका उल्लेख "साहब बहादुर " लघु कथा में भी हुआ है। भारतीय लेखक सुलतान राशिद मिर्ज़ा, फरहत उल्लाह बेग तथा वेद मेहता द्वारा लिखित उपन्यास ‘डेलिकुएंट चाचा’ में भी इसका उल्लेख हुआ है।
सन्दर्भ
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