हार्ट-स्पॉटेड कठफोड़वा

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

साँचा:taxobox/speciesसाँचा:taxonomyसाँचा:taxonomyसाँचा:taxonomyसाँचा:taxonomyसाँचा:taxonomyसाँचा:taxonomyसाँचा:taxonomy
Heart-spotted Woodpecker
Hemicircus canente.jpg
Scientific classification
Binomial name
Hemicircus canente
(Lesson, 1830)
Synonyms

Hemicercus cordatus

हार्ट-स्पॉटेड कठफोड़वा (हेमीसिर्कस कैनेंटे) कठफोड़वा परिवार में पक्षियों की एक प्रजाति है। उनमें विपरीत रंगों, सफ़ेद तथा काले का संयोजन पाया जाता है, एक नाटे परन्तु सुदृढ़ शरीर के साथ एक ढलुआं आकार का सिर इसे आसानी से पहचाने जाने योग्य बनाते हैं, तथा इनकी नियमित पुकार इन्हें आसनी से खोजे जाने योग्य बनाती है, ये अपृष्ठवंशियों (मुख्यतः कीट) रूपी चारा खोजने के लिए वृक्षों की टहनियों के नीचे तनों पर जाते हैं। वे जोड़े अथवा छोटे समूह में देखे जाते हैं तथा अक्सर चारा खोजता हुआ मिश्रित-प्रजाति का समूह के भाग के रूप में भी दिखाई देते हैं। इनका व्यापक वितरण सम्पूर्ण एशिया में विशेष रूप से दक्षिण-पश्चिमी और मध्य भारत के जंगलों में, जो अपने विस्तार में हिमालय तथा दक्षिण-पूर्व एशिया से अलग होते हैं, पाया जाता है।

विवरण

लेसंस के 1830 वर्णन[१] से चित्रण

एक छोटा, विशिष्ट आकार का, काला-सफ़ेद कठफोड़वा, अपनी बड़ी चोंच के साथ अपने शरीर की तुलना में बड़े आकार के सिर वाला दिखता है। नर तथा मादा, दोनों में ही मुख्यतः काले रंग के होते हैं, जिसमें सफ़ेद कन्धों पर ह्रदय के आकार के काले चकत्ते तथा उड़ने वाले पंखों को छोड़कर चौड़े सफ़ेद स्कैप्युला के आकार के धब्बे पाए जाते हैं। मादा का मस्तक तथा मुकुट बादामी श्वेत रंग का होता है जबकि नारों में यह काला होता है। गला सफेद रंग का तथा शरीर का निचला भाग सादे सलेटी रंग का होता है। पीठ पर पंखों का एक विशिष्ट गुच्छा होता है जिसमें अधिक वसा पायी जाती है तथा जिसके कारण संरक्षित नमूनों में पंख एक दूसरे से चिपके रहते हैं।[२][३] ये विशेष पंख अथवा "वसा क्विल" के कारण कभी-कभी पूंछ के पंख खड़े दिखाए देते हैं तथा इन्हें "प्रसाधक रंजन" समझा जा सकता है एवं इससे होने वाले स्राव में एक अच्छी महक होती है, परन्तु इसका प्रयोजन अभी ज्ञात नहीं है।[४][५][६][७]

निवास और विस्तार

इसका प्राकृतिक आवास उष्ण-कटिबंधीय तथा उपोष्ण-कटिबंधीय आर्द्र वर्षा वन हैं। वे भारत के हिमालय वनों व बांग्लादेश के साथ-साथ म्यांमार, थाईलैंड, लाओस, कम्बोडिया तथा वियतनाम तक पाए जाते हैं। भारत में वे पश्चिमी घाट तथा मध्य भारत के वनों में भी मिलते हैं।[८] पश्चिमी घाट से प्राप्त एक नमूने के आधार पर थॉमस सी. जेर्डन के वर्णन के अनुसार उप-प्रजाति कॉरडेटस को अलग प्रजाति नहीं माना जाना चाहिए, इन दोनों में पंखों के रंग में अंतर के साथ ही क्लीनिकली आकार में भी भिन्न हैं (उत्तरी भाग की पक्षी आकार में भू-मध्य रेखा के पास के पक्षियों की तुलना में बड़ी होती हैं).[५][९][१०]

व्यवहार और पारिस्थितिकी

एशिया के जॉन गोल्ड के पक्षियों से चित्रकारी

ये कठफोड़वे जोड़े के अतिरिक्त अक्सर चारा खोजता हुआ मिश्रित-प्रजाति का समूह के भाग के रूप में भी दिखाई देते हैं। वे एक पेड़ से दूसरे पेड़ तेजी से उड़ान भरते हैं, इस उड़ान में ऐसा प्रतीत होता है की जैसे उनका सिर भारी हो. वे पतली शाखाओं पर चारा खोजते हैं और अक्सर आवाजें निकालते हैं। मुख्य रूप से वे शाखाओं के नीचे कीड़ों को खाती हैं, यह भी ज्ञात है कि वे कैसिया फिस्टुला की टहनियों में छेद करके कीड़ों के लार्वा पकडती हैं।[११] इनकी ध्वनियों में एक तीखी ट्वी-ट्वी-ट्वी (जोड़े की ध्वनि) शामिल है जो कभी-कभी कई स्वरों में ऊपर-नीचे होती है,[१२] एक नासिक ध्वनि की-ईव,[१३] तथा बार-बार की जाने वाली स्यू-सी शामिल हैं।[१४] वे कभी-कभी प्रजनन के मौसम के दौरान, मुख्य रूप से सर्दियों के दौरान ड्रम करती हैं। घोंसला किसी सूखी शाख में 3 से 4 सें.मी. व्यास के द्वार के साथ बनाया जाता है, एक इस द्वार से एक संकरा रास्ता जाता है जो कि लगभग 20 सें.मी. आगे एक कक्ष में परिवर्तित होता है। घोल्सला कभी-कभी फेंस पोस्ट (चारदीवारी में प्रकाश के लिए लगे खम्भे) में भी बनाया जा सकता है।[१५] सामान्य रूप से 2 या 3 अंडे दिए जाते हैं जो सफ़ेद होते हैं तथा उनमें धब्बे नहीं होते.[५] इन पक्षियों पर हेमाफिसैलिस स्पिनिगेरा (Haemaphysalis spinigera) प्रजाति का प्रभाव देखा गया है।[१६]

सन्दर्भ

साँचा:reflist

अन्य स्रोत

  • मेनन, जीके (1985): हार्ट स्पॉटेड कठफोड़वा, हेमीसर्कस कैनेंट के पंख पर रेज़िन का स्रोत पैवो 23(1और2), 107-109.
  • नीलाकंतन, केके (1965): हार्ट स्पॉटेड कठफोड़वा का घोंसला. बर्डवाचर के लिए न्यूज़लैटर. 5(3), 6-8.

बाहरी कड़ियाँ