हरि-तारा धर्मार्थ न्यास की स्थापना डॉ॰ कर्ण सिंह ने १९७२ में अपने माता-पिता महारनी तारा देवी और महाराजा हरि सिंह की याद में की।[१] इसी क्रम में उन्होंने जम्मू के अमर महल (राजभवन) को संग्रहालय एवं पुस्तकालय में परिवर्तित किया।[२][३]
सन्दर्भ
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