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उर्दू साहित्य की वैसी कविता जिसमें किसी व्यक्ति, समाज, रीति, संस्था आदि की निंदा की गइ हो। इसमें व्यंग्य के साथ आक्रोश और घृणा का भाव भी होता है। इसका कोइ नियमित रूप नहीं है।
उर्दू साहित्य की वैसी कविता जिसमें किसी व्यक्ति, समाज, रीति, संस्था आदि की निंदा की गइ हो। इसमें व्यंग्य के साथ आक्रोश और घृणा का भाव भी होता है। इसका कोइ नियमित रूप नहीं है।