स्वेज़ नहर
स्वेज़ नहर | |
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अंतरिक्ष से स्वेज नहर, केंद्र में ग्रेट बिटर लेक (2015 में विस्तार से पहले) | |
विशिष्टताएँ | |
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Maximum boat beam | साँचा:br separated entries |
जलपाश | साँचा:br separated entries |
Geography | |
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स्वेज़ नहर (साँचा:lang-ar, साँचा:transl) मिस्र में कृत्रिम समुद्र-स्तरीय जल मार्ग है। यह नहर स्वेज के इस्तमुस से होकर अफ्रीका और एशिया को विभाजित करते हुए भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ता है। 1858 में, फर्डिनेंड डी लेसेप्स ने नहर के निर्माण के व्यक्त उद्देश्य के लिए स्वेज़ नहर कम्पनी का गठन किया। नहर का निर्माण तुर्क साम्राज्य के तत्वावधान में सन् 1859 से 1869 तक हुआ। नहर आधिकारिक रूप से 17 नवम्बर 1869 को खोली गई थी। 1866 ई. में इस नहर के पार होने में 36 घण्टे लगते थे पर आज 18 घण्टे से कम समय ही लगता है। यह वर्तमान में मिस्र देश के नियन्त्रण में है। इस नहर का चुंगी कर बहुत अधिक है। इस नहर की लम्बाई पनामा नहर की लम्बाई से दुगुनी होने के बाद भी इसमें पनामा नहर के खर्च का 1/3 धन ही लगा है।
इतिहास
इस नहर का प्रबन्ध पहले "स्वेज़ कैनाल कम्पनी" करती थी जिसके आधे शेयर फ्रांस के थे और आधे शेयर तुर्की, मिस्र और अन्य अरब देशों के थे। बाद में मिस्र और तुर्की के शेयरों को अंग्रेजों ने खरीद लिया। 1888 ई. में एक अन्तरराष्ट्रीय उपसन्धि के अनुसार यह नहर युद्ध और शान्ति दोनों कालों में सब राष्ट्रों के जहाजों के लिए बिना रोकटोक समान रूप से आने-जाने के लिए खुली थी। ऐसा समझौता था कि इस नहर पर किसी एक राष्ट्र की सेना नहीं रहेगी। किन्तु अंग्रेजों ने 1904 ई॰ में इसे तोड़ दिया और नहर पर अपनी सेनाएँ बैठा दीं और उन्हीं राष्ट्रों के जहाजों के आने-जाने की अनुमति दी जाने लगी जो युद्धरत नहीं थे। 1947 ई॰ में स्वेज कैनाल कम्पनी और मिस्र सरकार के बीच यह निश्चय हुआ कि कम्पनी के साथ 99 वर्ष का पट्टा रद्द हो जाने पर इसका स्वामित्व मिस्र सरकार के हाथ आ जाएगा। 1951 ई. में मिस्र में ग्रेट ब्रिटेन के विरुद्ध आन्दोलन छिड़ा और अन्त में 1954 ई॰ में एक करार हुआ जिसके अनुसार ब्रिटेन की सरकार कुछ शर्तों के साथ नहर से अपनी सेना हटा लेने पर राजी हो गई। पीछे मिस्र ने इस नहर का 1956 में राष्ट्रीयकरण कर इसे अपने पूरे अधिकार में कर लिया।
उपयोगिता
इस नहर के कारण यूरोप से एशिया और पूर्वी अफ्रीका का सरल और सीधा मार्ग खुल गया और इससे लगभग 6,000 मील की दूरी की बचत हो गई। इससे अनेक देशों, पूर्वी अफ्रीका, ईरान, अरब, भारत, पाकिस्तान, सुदूर पूर्व एशिया के देशों, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि देशों के साथ व्यापार में बड़ी सुविधा हो गई है और व्यापार बहुत बढ़ गया है।
यातायात
स्वेज नहर में यातायात कॉन्वॉय (सार्थवाह) के रूप में होता है। प्रतिदिन तीन कॉन्वॉय चलते हैं, दो उत्तर से दक्षिण तथा एक दक्षिण से उत्तर की तरफ। जलयानों की गति 11 से 16 किलोमीटर प्रति घण्टे के बीच होती है। इस नहर की यात्रा का समय 12 से 16 घण्टों का होता है।
वर्ष | जलयानों की संख्या | नेट टनेज (1000 टन में) |
ढोया गया माल (1000 टन में) |
पथकर (टोल) (मिलियन अमेरिकी डॉलर ) |
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1975[१] | 5.579 | 50.441 | n.b. | |
1980 | 20.795 | 281.305 | n.b. | |
1985 | 19.791 | 352.579 | n.b. | |
1990 | 17.664 | 410.322 | n.b. | |
1995 | 15.051 | 360.372 | n.b. | |
2000 | 14.142 | 439.041 | n.b. | |
2001 | 13.986 | 456.113 | 372.400 | |
2002 | 13.447 | 444.786 | 368.800 | |
2003 | 15.667 | 549.381 | 457.900 | |
2004 | 16.850 | 621.253 | 521.219 | 3.077,5 |
2005 | 18.224 | 671.951 | 571.105 | 3.453,7 |
2006 | 18.664 | 742.708 | 628.635 | 3.815,8 |
2007 | 20.384 | 848.163 | 710.098 | 4.601,7 |
2008 | 21.415 | 910.059 | 722.984 | 5.381,9 |
2009 | 17.228 | 734.450 | 559.245 | 4.289,5 |
2010 | 17.993 | 846.389 | 646.064 | 4.768,9 |
2011 | 17.799 | 928.880 | 691.800 | n.b. |
2012 | 17.225 | 928.452 | 739.911 | n.b. |
स्वेज नहर का जलमार्ग
स्वेज नहर जलमार्ग में जलयान 12 से 15 किमी प्रति घण्टे की गति से चलते है क्योंकि तेज गति से चलने पर नहर के किनारे टूटने का भय बना रहता है। इस नहर को पार करने में सामान्यत: 12 घण्टे का समय लगता है। इस नहर से एक साथ दो जलयान पार नही हो सकते हैं, परन्तु जब एक जलयान निकलता है तो दूसरे जलयान को गोदी में बाँध दिया जाता है इस प्रकार इस नहर से होकर एक दिन मे अधिकतम 24 जलयानो का आवागमन हो सकता है।
- स्वेज नहर बन जाने से यूरोप एवं सुदूर पूर्व के देशों के मध्य दूरी बहुत घट गयी है। जैसे की लिवरपूल से मुम्बई आने में 7,250 किमी तथा हांगकांग पहुँचने मे 4,500 किमी; न्यूयार्क से मुम्बई पहुँचने मे 4,500 किमी की दूरी कम हो जाती है। इस नहर के कारण ही भारत तथा यूरोपीय देशों के बीच व्यापारिक सम्बन्ध प्रगाढ़ हुए हैं।
स्वेज नहर से व्यापार
स्वेज नहर मार्ग से फारस की खाड़ी के देशों से खनिज तेल, भारत तथा अन्य एशियाई देशों से अभ्रक, लौह-अयस्क, मैंगनीज़, चाय, कहवा, जूट, रबड़, कपास, ऊन, मसाले, चीनी, चमड़ा, खालें, सागवान की लकड़ी, सूती वस्त्र, हस्तशिल्प आदि पश्चिमी यूरोपीय देशों तथा उत्तरी अमेरिका को भेजी जाती है तथा इन देशों से रासायनिक पदार्थ, इस्पात, मशीनों, विजाणु उपकरण,औषधियों, मोटर गाड़ियों, वैज्ञानिक उपकरणों आदि का आयात किया जाता है।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- निर्माण के 150 वर्ष बाद भी राजनीतिक मुद्दा है स्वेज नहर
- Suez Canal Official Website
- Darius the Great's Suez Inscriptions
- Constantinople Convention of the Suez Canal, 1888
- Encyclopedia of the Orient: Suez Canal* Entrance of the Suez Canal - 1882
- Plan of the Suez Canal - 1882
- Suez Canal Container Terminal at Port Said
- Suez Canal Photos
- Opening of the Suez Canal, 1869
- Bibliography on Water Resources and International Law Peace Palace Library
- Suez Canal article on Howstuffworks
सन्दर्भ
- ↑ Kanaal gedurende het jaar heropend voor verkeer