स्विस सूत्र
स्विस सूत्र या स्विस फॉर्मूला, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रशुल्क दरों (टैरिफ रेट्स) को कम करने व समतुल्य बनाने के लिए बनाया गया एक गणितीय सूत्र है। अनेक देश विश्व व्यापार संगठन के व्यापार सौदों में इसके प्रयोग किये जाने पर जोर दे रहे हैं। यह सूत्र सर्वप्रथम स्विस प्रतिनिधिमंडल द्वारा विश्व व्यापार संगठन के दोहा विकास दौर में प्रस्तुत किया गया था। टोक्यो दौर में ऐसा ही मिलती जुलती विधि का प्रयोग किया गया था।[१]
इसका उद्देश्य एक ऐसी क्रियाविधि रखना है जिससे कि अधिकतम प्रशुल्क दर पर सहमति बन सके, साथ ही पहले से कम प्रशुल्क लेने वाले देश भी और अधिक कटौती पर मान जायें।
विवरण
सूत्र इस प्रकार है -
- <math>T_\text{new}=\frac{AT_\text{old}}{A+T_\text{old}}</math>
जहाँ
- A इन दोनों को निरूपित करता है - अधिकतम तय किया गया प्रशुल्क जो कि कहीं लगाया जा सकता है, तथा एक सर्वनिष्ठ गुणांक जिससे हरेक देश में प्रशुल्क कटौती तय होगी।
- Told देश विशेष की वर्तमान प्रशुल्क दर है, तथा
- Tnew उस देश का भविष्य की प्रशुल्क दर है।[२]
उदाहरणार्थ, A के २५ % मान के लिए -
यदि एक उच्च प्रशुल्क वाले देश की दर Told, ६०००% है, तब इसका Tnew होगा २४.९% यानी लगभग २५%. जिनकी प्रशुल्क दर ६४% के आसपास है, वे १८% के आसपास पहुँच जायेंगे, जो कि अधिकतम दर A की अपेक्षा कम होगा। जिनकी दर १२ % है वे ८.१% पर पहुँचेंगे, जो कि अधिकतम से काफी कम होगा। जिनकी दर २.३% होगी वे २.१ पर पहुँच जायेंगे।
गणितीय भाषा में स्विस सूत्र के ये गुण हैं :
- जैसे जैसे Told अनंत की ओर अग्रसर होता है, Tnew A की ओर अग्रसर होगा, जो कि सम्मत अधिकतम प्रशुल्क दर है,
- जैसे जैसे Told शून्य की ओर अग्रसर होगा, Tnew Told की ओर अग्रसर होगा, अर्थात् प्रशुल्क में कोई परिवर्तन नहीं, क्योंकि यह पहले से ही कम है।