स्टेंट
स्टेंट (अंग्रेजी: Stent) आयुर्विज्ञान में एक कृत्रिम उपकरण को कहा जाता है जो शरीर के प्राकृतिक मार्ग/नाली में रोगग्रस्त प्रवाह अथवा आकुंचन को रोकने के लिये या प्रतिक्रिया देने के लिये प्रयुक्त होता है। इस शब्द का सन्दर्भ अस्थायी रूप से उपयोग की जाने वाली नलिका के रूप में भी दिया जा सकता है। उदाहरण के लिये शल्य क्रिया (सर्जरी) में अभिगमन की अनुमति देने के लिये एक कृत्रिम वाहिका अथवा नाली। चिकित्सा क्षेत्र में स्टेंट शब्द का यही तात्पर्य है।
जैसा की यहाँ पर दिये गये कुछ चित्रों से स्पष्ट होता है, स्टेंट्स धमनी, शिरा, ग्रासनली व मूत्रनली आदि के इलाज में प्रयोग किये जाते हैं।
स्टेंट शब्द की व्युत्पत्ति
स्टेंट शब्द की उत्पत्ति कहाँ से हुई यह अभी तक अज्ञात है। जहाँ तक स्टेंटिंग क्रिया (धातु) का सम्बन्ध है तो इसका उपयोग सदियों तक वस्त्रों को कड़क बनाने की प्रक्रिया के लिये किया जाता था। ऑक्सफोर्ड अंग्रेजी शब्दकोश के अनुसार यह शब्द एक लम्बे समय तक प्रचलन में नहीं रहा किन्तु कुछ लोग स्टेंटिंग धातु (क्रिया) को ही इस शब्द का मूल मानते हैं। जबकि कुछ अन्य संज्ञा के रूप में स्टेंट शब्द को जैन एफ० एस्सेर नाम के एक डच प्लास्टिक सर्जन को समर्पित करते हैं जिन्होंने 1916 में इस शब्द का इस्तेमाल एक अंग्रेज दन्त चिकित्सक चार्ल्स स्टेंट (1807-1885) द्वारा 1856 में अविष्कार किये गये दन्त-छाप-मिश्रण के लिये किया था और जिसे बाद में एस्सेर ने चेहरे के पुनर्निर्माण हेतु एक शिल्प-फॉर्म बनाने के लिये प्रयुक्त किया था।[१] सम्पूर्ण लेख को दन्त चिकित्सा इतिहास के एक जर्नल में वर्णित किया गया है। लेखक के अनुसार चेहरे के ऊतकों के समर्थन के रूप में स्टेंट के मिश्रण का उपयोग स्टेंट के परिणामिक उपयोग की वृद्धि हेतु विभिन्न शारीरिक संरचनाओं को खोलने के लिये बहुत उपयोगी है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि इससे पूर्व चिकित्सा पद्धति में प्रयुक्त होने वाली "स्टेंट्स" को "वॉल स्टेंट्स" के नाम से जाना जाता था। आगे चलकर यही स्टेंट नाम प्रचलन में आ गया।
स्टेंट के प्रकार
कोरोनरी धमनियों के स्टेंट्स
सबसे व्यापक रूप से कोरोनरी धमनियों में उपयोग में लाये जाने वाले स्टेंट्स में केवल धातु स्टेंट, एक दाव लगाया हुआ स्टेंट या कभी कभी एक ढका हुआ स्टेंट शामिल है।
कोरोनरी स्टेंट त्वचा प्रवेशी कोरोनरी हस्तक्षेप प्रक्रिया के दौरान लगाये जाते है। इस पूरी प्रक्रिया को चिकित्सा के क्षेत्र में एंजियोप्लास्टी के रूप में जाना जाता है।
मूत्रनली स्टेंट्स
मूत्रनली स्टेंट्स मूत्रनली में प्रत्यक्षतया इस्तेमाल में लाये जाते हैं। इनके इस्तेमाल में कभी कभार समझोता भी किया जा सकता है। उदाहरण के लिये गुर्दे की एक पथरी को हटाने हेतु यह विधि कभी कभी एक अस्थायी उपाय के रूप में प्रयोग की जाती है। इससे अवरुद्ध गुर्दे की क्षति को रोकने में तदर्थ सहायता मिल सकती है। यह तदर्थ अवधि 12 महीने या उससे अधिक समय के लिये मूत्रवाहिनियों के अवरोध को खुला रहने की हो सकती है। इस प्रकार का अवरोध या रुकावट मूत्रनली के पड़ोस में ट्यूमर के कारण या मूत्रनली के ही ट्यूमर द्वारा हो सकता है। कई मामलों में यह ट्यूमर शल्य चिकित्सा में वाधक होते हैं। उस स्थिति में स्टेंट, मूत्र का निकास मूत्रनली के माध्यम से ही हो, यह सुनिश्चित करने के लिये लगाया जाता है। यदि मूत्र की निकासी का लम्बी अवधि के लिये समझौता किया जाये तो गुर्दा क्षतिग्रस्त हो सकता है। मूत्रवाहिका स्टेंट के साथ मुख्य जटिलतायें विस्थापन, संक्रमण और पर्पटी द्वारा रुकावट की ही होती हैं। अभी हाल ही में ऐसे स्टेंट्स, जिनमें कोटिंग्स की गयी हो (जैसे हेपरिन आदि), केवल उन्हीं स्टेट्स को संक्रमण, पर्पटी-रुकावट और विस्थापन आदि को कम करने के लिये अनुमोदित किया गया है।
प्रोस्टैटिक स्टेंट
प्रोस्टैटिक स्टेंट की जरूरत एक आदमी को तब हो सकती है जब वह पेशाब करने में असमर्थ हो। अक्सर यह स्थिति तब होती है जब एक बढ़ी हुई प्रोस्टेट ग्रन्थि मूत्रमार्ग के खिलाफ धक्का लगाकर मूत्र का प्रवाह अवरुद्ध करती है। ऐसी स्थिति में एक स्टेंट लगाने से वह रुकावट खुल सकती हैं। हाल ही में वैज्ञानिक सफलताओं के कारण अब एक प्रोस्टैटिक स्टेंट का उपयोग प्रोस्टेट बाधा हटाने का एक व्यावहारिक तरीका है। यह स्टेंट अस्थायी भी हो सकता है और स्थायी भी। अस्थायी स्टेंट एक फूले हुए कैथेटर में रखे जा सकते है और केवल 10 मिनट से भी कम समय में सुन्न करने वाली लिण्डोकैन जेली का उपयोग करके अवरुद्ध मार्ग खोला जा सकता है।[२] चिकित्सकीय प्रयोगों द्वारा देखा गया है कि अस्थायी स्टेंट अच्छी तरह से प्रभावी और बर्दाश्त करने लायक है। स्थायी स्टेंट्स ज्यादातर स्थानीय या स्पाइनल असंवेदनता के तहत रोगियों पर इस्तेमाल किये गये और आमतौर पर एक बार में 30 मिनट तक लगे रहते हैं। किन्तु कई मामलों में इन्हें निकालने में काफी दिक्कत आयी है।[३].
रक्त-कोष्ठक एवं परिधीय संवहनी स्टेंट्स
इस प्रकार के स्टेंट्स एंजियोप्लास्टी में एक घटक के रूप में इस्तेमाल किये जाते है।
स्टेंट ग्राफ्ट
स्टेंट ग्राफ्ट एक प्रकार का ट्यूबलर डिवाइस (नलीनुमा उपकरण) है जो एक विशेष प्रकार के कपड़े से बना होता है और एक कठोर संरचना (आमतौर पर धातु) द्वारा समर्थित होता है। इस कठोर संरचना को ही स्टेंट कहा जाता है। एक औसत स्टेंट का अपना कोई आवरण नहीं होता। आमतौर पर स्टेंट सिर्फ धातु का बना हुआ एक जाल है। हालांकि स्टेंट के कई प्रकार हैं, लेकिन स्टेंट्स मुख्य रूप से संवहनी हस्तक्षेप के लिये ही इस्तेमाल में लाये जाते हैं।
यह युक्ति मुख्यतः अंतर्वाहिकी सर्जरी में प्रयोग में लायी जाती है। धमनियों में स्टेंट कलम धमनियों के कमजोर अंगों को मजबूती प्रदान करने के लिए उपयोग में लाये जाते है। कितने पॉइण्ट का स्टेंट लगाया जाना है इस तरह के एक पॉइण्ट या अंक को सामान्यतः धमनीविस्फार के रूप में जाना जाता है। स्टेंट ग्राफ्ट (हिन्दी में कलम) महाधमनी विस्फार की मरम्मत में सबसे सामान्य और कारगर रूप में प्रयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया के पीछे मूल सिद्धान्त यह है कि महाधमनी में अन्दर जाकर स्टेंट ग्राफ्ट रक्त के आवागमन के लिये एक ऐसे माध्यम के रूप में कार्य करता है जिससे कि रक्त धमनीविस्फार में वापस बहने के बजाय ग्राफ्ट के अन्दर से होकर बहे।
अन्य प्रकार
- ग्रास नली स्टेंट
- ग्रहणी स्टेंट
- बृहदान्त्र स्टेंट
- पैत्तिक स्टेंट
- अग्नाशय स्टेंट