स्टार-डेल्टा परिवर्तन

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स्टार-डेल्टा परिवर्तन (Y-Δ transform) एक गणितीय तकनीक है जो किसी विद्युत परिपथ के विश्लेषण को सरल बना देता है। इसे Y-delta, वाई-डेल्टा, डेल्टा-स्टार परिवर्तन, स्टार-मेश परिवर्तन, T-Π or T-पाई परिवर्तन आदि नामों से भी जाना जाता है। इसका यह नाम विद्युत परिपथ की आकृति के आधार पर पड़ा है जो कि रोमन अक्षर Y और ग्रीक अक्षर Δ जैसे दिखती हैं। यह परिपथ परिवर्तन सन् १८९९ में आर्थर एड्विन केनेडी ने प्रकाशित किया था।

आधारभूत Y-Δ परिवर्तन

Δ और Y परिपथ तथा इससे सम्बन्धित नामकरण जो कि इस लेख में प्रयुक्त हुए हैं।

वस्तुतः यह परिवर्तन तीन-सिरों वाले दो नेटवर्कों में तुल्यता स्थापित करता है। तुल्यता के लिये आवश्यक है कि एक नेटवर्क के स्थान पर दूसरा नेटवर्क लगा दिया जाय तो शेष परिपथ के अन्य किसी भी अवयव की धारा और सभी नोडों के वोल्टेज अपरिवर्तित रहने चाहिए।

इसी को दूसरे तरह से कहें तो दोनो नेटवर्कों के किन्ही दो सिरों के बीच तुल्य प्रतिबाधा (impedance) समान होनी चाहिये।

Δ-लोड को Y-लोड में बदलने का समीकरण

The general idea is to compute the impedance <math>R_y</math> at a terminal node of the Y circuit with impedances <math>R'</math>, <math>R</math> to adjacent nodes in the Δ circuit by

<math>R_y = \frac{R'R}{\sum R_\Delta}</math>

where <math>R_\Delta</math> are all impedances in the Δ circuit. This yields the specific formulae

<math>R_1 = \frac{R_aR_b}{R_a + R_b + R_c},</math>
<math>R_2 = \frac{R_bR_c}{R_a + R_b + R_c},</math>
<math>R_3 = \frac{R_aR_c}{R_a + R_b + R_c}.</math>

Y-लोड को Δ-लोड में बदलने का समीकरण

The general idea is to compute an impedance <math>R_\Delta</math> in the Δ circuit by

<math>R_\Delta = \frac{R_P}{R_\mathrm{opposite}}</math>

where <math>R_P = R_1R_2+R_2R_3+R_3R_1</math> is the sum of the products of all pairs of impedances in the Y circuit and <math>R_\mathrm{opposite}</math> is the impedance of the node in the Y circuit which is opposite the edge with <math>R_\Delta</math>. The formula for the individual edges are thus

<math>R_a = \frac{R_1R_2 + R_2R_3 + R_3R_1}{R_2},</math>
<math>R_b = \frac{R_1R_2 + R_2R_3 + R_3R_1}{R_3},</math>
<math>R_c = \frac{R_1R_2 + R_2R_3 + R_3R_1}{R_1}.</math>

ग्राफ सिद्धान्त (Graph theory)

In graph theory, the Y-Δ transform means replacing a Y subgraph of a graph with the equivalent Δ subgraph. The transform preserves the number of edges in a graph, but not the number of vertices or the number of cycles. Two graphs are said to be Y-Δ equivalent if one can be obtained from the other by a series of Y-Δ transforms in either direction. For example, the Petersen graphs are a Y-Δ equivalence class.

प्रदर्शन

Δ-लोड से Y-लोड में परिवर्तन के समीकरण

Δ and Y circuits with the labels which are used in this article.

Given the values of <math>R_b</math>, <math>R_c</math> and <math>R_a</math> from the Δ configuration, we want to obtain the values of <math>R_1</math>, <math>R_2</math> and <math>R_3</math> in the equivalent Y configuration. In order to do that, we will calculate the equivalent impedances of both configurations in N1N2, N1N3 and N2N3, supposing in each case that the omitted node is unconnected, and we will equal both expressions, since the resistance must be the same.

The resistance between N1 and N2 when N3 is not connected in the Δ configuration is

<math>R(N_1, N_2) = R_b \parallel (R_a+R_c) = \frac{R_b(R_a+R_c)}{R_b+R_c+R_a} = \frac{R_bR_a+R_bR_c}{R_b+R_c+R_a}.</math>

In the Y configuration, we have

<math>R(N_1, N_2) = R_1+R_2;</cmath>

hence we have

<math>R_1+R_2 = \frac{R_bR_a+R_bR_c}{R_b+R_c+R_a}</math>   (1)

By similar calculations we obtain

<math>R_2+R_3 = \frac{R_cR_a+R_cR_b}{R_b+R_c+R_a}</math>   (2)

and

<math>R_1+R_3 = \frac{R_aR_b+R_aR_c}{R_b+R_c+R_a}.</math>   (3)

The impedances for the Y configuration can be derived from these equations by adding two equations and subtracting the third. For example, adding (1) and (3), then subtracting (2) yields

<math>R_1+R_2+R_1+R_3-R_2-R_3 = \frac{R_bR_a+R_bR_c}{R_b+R_c+R_a} + \frac{R_aR_b+R_aR_c}{R_b+R_c+R_a} - \frac{R_cR_a+R_cR_b}{R_b+R_c+R_a}</math>

and hence

<math>2R_1 = \frac{2R_bR_a}{R_b+R_c+R_a}</math>

and

<math>R_1 = \frac{R_bR_a}{R_b+R_c+R_a}.</math>

Y-लोड से Δ-लोड में परिवर्तन के समीकरण

Let <math>R_T = R_a+R_b+R_c</math>. We can write the Δ to Y equations as

<math>R_1 = \frac{R_aR_b}{R_T} </math>   (1)
<math>R_2 = \frac{R_bR_c}{R_T} </math>   (2)
<math>R_3 = \frac{R_aR_c}{R_T}. </math>   (3)

Multiplying the pairs of equations yields

<math>R_1R_2 = \frac{R_aR_b^2R_c}{R_T^2}</math>   (4)
<math>R_1R_3 = \frac{R_a^2R_bR_c}{R_T^2}</math>   (5)
<math>R_2R_3 = \frac{R_aR_bR_c^2}{R_T^2}</math>   (6)

and the sum of these equations is

<math>R_1R_2 + R_1R_3 + R_2R_3 = \frac{R_aR_b^2R_c + R_a^2R_bR_c + R_aR_bR_c^2}{R_T^2}.</math>   (7)

Now we divide each side of (7) by <math>R_1</math>, leaving

<math>\frac{R_1R_2 + R_1R_3 + R_2R_3}{R_1} = \frac{1}{R_1}\frac{R_aR_b^2R_c + R_a^2R_bR_c + R_aR_bR_c^2}{R_T^2}.</math>   (8)

Using (1) in (8), we have

<math>\frac{R_1R_2 + R_1R_3 + R_2R_3}{R_1} = \frac{R_c(R_b + R_a + R_c)}{R_T},</math>

and by definition of <math>R_T</math>

<math>\frac{R_1R_2 + R_1R_3 + R_2R_3}{R_1} = R_c,</math>

which is the equation for <math>R_c</math>. Dividing (7) by <math>R_2</math> and <math>R_3</math> gives the other equations.

उपयोग

स्टार-डेल्टा परिवर्तन का उपयोग नेटवर्कों को सरलीकृत करके उनका विश्लेषण करने में होता है। जिस प्रकार श्रेणीक्रम या समान्तर क्रम में जुड़े प्रतिरोधों (या कोई भी प्रतिबाधा) को एक अवयव से प्रतिस्थापित करके सरल कर लिया जाता है, उसी प्रकार अपेक्षाकृत अधिक जटिल नेटवर्कों में स्टार को डेल्टा में या डेल्टा को स्टार में बदल देने से सरल करने की सुविधा मिल जाती है। यह नीचे के उदाहरण से स्पष्ट हो जाएगा-

Y-Δ परिवर्तन का उपयोग करके सेतु-नेटवर्क का सरलीकरण : नोड D को विलुप्त करने से जो नेटवर्क प्राप्त होता है उसे आगे आसानी से सरल किया जा सकता है।

इसके उल्टा Δ-Y का उपयोग करते हुए, एक नया नोड जोडकर भी निम्नलिखित प्रकार से सरलीकरण कर सकते हैं-

Δ-Y रूपान्तर का उपयोग करके सेतु-नेटवर्क का सरलीकरण

इन्हें भी देखें

टिप्पणियाँ


सन्दर्भ

  • William Stevenson, “Elements of Power System Analysis 3rd ed.”, McGraw Hill, New York, 1975, ISBN 0-07-061285-4

बाहरी कड़ियाँ

en;Y-delta transformation

[[श्रेणी:वैद्युत प्रौद्l