सेवॉय होटल (मसूरी)
डी सेवॉयस itc | |
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स्थान | डी मॉल, मसूरी उत्तराखंड, इंडिया |
उद्घाटन | 1902 |
स्वामित्व | होटल कंट्रोल्स पवत ल्टड |
कमरे | 50 |
रेस्त्राँ | 2 |
पार्किंग | 200 |
द सेवॉय, भारत के उत्तराखंड राज्य के मसूरी नाम के हिल स्टेशन का एक जाना-माना लक्जरी होटेल है. इसका स्वामित्व होटेल कंट्रोल्स प्राइवेट लिमिटेड, आई टी सी वेलकम ग्रुप ऑफ होटेल्स के पास है. इंग्लीश गॉतिक वास्तु शैली मे बना यह होटेल पूर्णतः लकड़ी से बना है. १९०२ मे स्थापित यह होटेल करीब ११ एकड़ (४५००० वर्ग मीटर) मे फैला हुआ है और इसके ५० के आस पास कमरो से हिमालय पर्वत शृंखला साफ-साफ नज़र आती है.
१९०० ईस्वी मे जब रेलवे लाइन देहरादून तक पहुँची तो मसूरी एक लोकप्रिय स्थान बन गया. यह उस समय काल मे युनाइटेड प्रॉविन्स[१] मे रहने वाले ब्रिटिश अधिकारियों और दूसरे युरोपियन निवासियों के लिए गर्मी की छुट्टी बिताने का मनपसंद स्थल था. इस होटेल का 'राइटरस बार' के नाम से जाने जाना वाला बार १९४७ मे आज़ादी के कई साल बाद भी सुविख्यात माना जाता था।
ब्रिटिश राज मे -- जब यह शहर अपने आप मे एक आनंद स्थल माना जाता था- अपनी प्रसिद्धि के चरम पर रहा यह होटेल इतना अहम था कि एक समीक्षक के अनुसार "अगर आपकी जेब मे पैसा है तो सेवाय मे ठहरना और अगर नही है तो यहाँ पर देखा जाना “ बड़े गर्व की बात थी।
१९६० के दसक के बाद - जब मसूरी मे कई नये-नये और आकर्षक होटेल खुल गये और शहर मे ब्रिटिश राज के चहेते पर्यटकों का आना कम हो गया - यह होटेल बदहाली और गुमनामी मे खो गया. पर २००० के दसक के अंत मे इसके भाग्य ने फिर पलटा खाया और ने इसे २००९ मे आई टी सी वेलकम ग्रुप ने खरीद लिया. [२]
इतिहास
सेसिल द. लिंकन - जो लखनऊ मे कार्यरत एक आइरिश वकील थे- द्वारा निर्मित द सेवाय का उद्घाटन १९०२ की ग्रीष्म ऋतु मे हुआ था और अपनी भव्यता मे यह शिमला के प्रसिद्ध होटेल द सेसिल एट शिमला और लखनऊ के द कार्लटन की टक्कर का था. यह होटेल ब्रिटिश राज के उन आला सैनिक और असैनिक अधिकारियों के बीच ख़ासा लोकप्रिय हो गया जो शिमला - तत्कालीन ग्रीष्म कालीन राजधानी - के कड़े अधिकारिक वातावरण से दूर रहना चाहते थे. क्रमशः यह ब्रिटिश राज की "आनंददायक राजधानी" के नाम से विख्यात हो गया.
मार्च १९०६ मे तत्कालीन प्रिन्सेस ऑफ वेल्स (बाद मे क्वीन मेरी) इस होटेल मे ठहरी और उन्होने इसके बगीचे मे हुई एक पार्टी मे भी भाग लिया. इस बगीचे को बियर गार्डेन के नामे से जाना जाता है. उनके जाने के कुछ समय बाद ही मसूरी मे भयानक भूकंप आया जिसमे द सेवाय को भी काफ़ी क्षति पहुँची और इसे थोड़े समय के लिए बंद करना पड़ा. थोड़ी मरम्मत के बाद यह १९०७ मे दुबारा खोला गया. १९०९ मे मसूरी मे बिजली की सुविधा पहुँची और इसने द सेवाय मे उपलब्ध सुविधाओं मे और वृद्धि की.
प्रथम विश्व युद्ध के कुछ समय बाद ही १९२० मे मसूरी मे पहली कार आई और इसने द सेवाय को इसके सबसे लोकप्रिय दौर मे पहुँचाया. इसका विशाल शाही भोजन कक्ष और बॉलरूम पूरे देस मे चर्चा का विषय थे. [३] उस समय के मैदानी इलाक़ों के रहने वाले राजा-महाराजाओं ने इसमे कई सूयीट आरक्षित करवा रखे थे. कई बड़े राजकुमार अपने दल-बल के साथ पूर-पूरे तल को घेरे रहते थे और यही हाल कुछ विदेशी राजाओं (नेपाल के महाराज, हेल सेलासी (इतीयोपिया के सम्राट), लाओस के युवराज और नोबेल पुरस्कार विजेता पर्ल एस.. बक [४] का भी था.
पास मे ही स्थित एक सार्वजनिक पुस्तकालय का पहला तल काफ़ी समय तक द सेवाय के रेस्टोरेंट के रूप मे प्रयुक्त होता था. हर शाम सेवॉय [५] ऑर्केस्ट्रा इसके बालरूम मे प्रदर्शन करता था और पूरा हॉल फॉक्स-ट्रॉट (उन दिनो का खास डॅन्सिंग आइटम) की ताल मे नाच रहे जोडियों से भरा रहता था।
१९२६ मे मसूरी की यात्रा करने वाले मशहूर यात्री लोवेल थॉमस लिखते हैं "मसूरी मे एक ऐसा होटेल (द सेवाय) है जो हर शाम घंटी बजता है ताकि पाक-साफ लोग अपनी प्रार्थना पूरी कर सकें, और अधार्मिक वापस अपने बिस्तर मे चले जाएँ." [६]
यातायात संपर्क
द सेवॉय का निकटतम रेलवे स्टेशन, देहरादून, ३२ किलो मीटर की दूरी पर है और निकटतम हवाई अड्डा, जॉली ग्रांट एरपोर्ट, ५५ किलो मीटर की दूरी पर है. निकटतम बस टर्मिनल मसूरी बस स्टेशन है.
सन्दर्भ
- ↑ मसूरी स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। इस लेख की सामग्री सम्मिलित हुई है ब्रिटैनिका विश्वकोष एकादशवें संस्करण से, एक प्रकाशन, जो कि जन सामान्य हेतु प्रदर्शित है।..
- ↑ लॉस्ट डेज ऑफ़ डी राज डी गार्डियन, अगस्त १८, २००२ page 3.
- ↑ डी हेरिटेज चंदामामा पब्लिकेशन्स, 1989. v. 5, no. 4. Page 18-19.
- ↑ डी क्वीन ऑफ़ हिल स्टेशन्स स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। रीडिफ़.कॉम.
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।