सुमन रावत
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सुमन रावत
सुमन रावत एक पुर्व भारतीय एथलीट है, जिसे भारत की उडन परी के नाम से भी जाना जाता है। सुमन रावत ने सन 1986 में सियोल में आयोजित एशियाई खेलों[१] में ३००० मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीता था। पुर्व भारतीय एथलीट सुमन रावत को अर्जुन पुरस्कार[२] से भी सम्मानित किया गया है।
प्रारंभिक जीवन
सुमन रावत का जन्म हिमाचल प्रदेश में हुआ। उन्होंने पोर्टमोर स्कूल में अध्ययन किया। स्कूल में खेल के प्रति उनको विशेेेष लगाव था। स्कूल के खेेलो में को-को, हॉकी और वॉली बॉल खेलने से उनका खेलों केे प्रति लगाव बढता चला गया। को-को के दौरान उसे कभी पकड़ा नहीं गया था, जिससे उनके शिक्षक को एहसास हुआ कि सुुुमन के पास दौड़ने के लिए एक बड़ी प्रतिभा है।
उसके पास पांच सिब्बलिंग थे, जो सभी खेल में थे।
जीवन परिवर्तन
सुमन रावत का सबसे बड़ा प्रेरक उनके पिताजी थे। उनके पिताजी का निधन सन 1986 में हुआ जिस कारण से उसके लिए यह एक बेहद दुखद साल था। उनका सपना उनके लिए स्वर्ण पदक जीतना था।
अपने पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने अपना अधिकांश समय अभ्यास में समर्पित किया।
एक नई शुरुआत
वह हिमाचल से एक बहुत ही रूढ़िवादी परिवार से आती है। उन्हें मादा एथलीटों ने धमकाया क्योंकि उन्होंने कहा था कि हिमाचल से कभी भी कोई पदक जीता नहीं है। उसके बाद उसने एक ओथ लिया कि वह कभी वापस नहीं देखेगी और जीवन में अपने लक्ष्यों को स्वीकार करने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत करेगी।
उपलब्धियों
१९८३ में, एक इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी मैच के लिए दो स्वर्ण पदक जीते। इसके अलावा वह अर्जुन पुरस्कार जीतने के लिए आगे बढ़ी। वह हॉकी नागरिकों के लिए योग्य रही और अप्रत्याशित बीमारी के कारण खेल नहीं सके। उन्होंने सियोल आयोजित 1१९८६ एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता।