सुज्जन सिंह
सूबेदार सुज्जन सिंह (30 मार्च, 1 9 53 - सितंबर 26, 1 99 4) भारतीय सेना के कुमाऊं रेजिमेंट के 13 वीं बटालियन के सैन्य अधिकारी थे। वह हरियाणा पैदा हुए थे। सिंह ,जम्मू और कश्मीर के कुपवाड़ा के जलुराह गांव के पास जंगल से आतंकवादियों को खत्म करने के लिए किए गए ऑपरेशन की खोज पार्टी મેં कमांडर थे। उनकी टीम ने आतंकवादी ठिकानों की पहचान की, लेकिन उन्हें ठिकाने से 15 मीटर की दूरी परभारी गोलिबारी का सामना करना पड़ा [१]। अपनी टीम के लिए कवर मुहैया कराने की जरूरत समझते हुए उन्होंने धैर्य और शांति से काम लिया। गोलीबारी में खुद को हुए कई घावों को नज़रअंदाज़ करते हुए उन्होंने आगे बढ़ना जारी रखा, परन्तु एक गोली उनके हेलमेट को भेदती हुई निकली और वे वीरगति को प्राप्त हुए। मरने से पहले सिंह ने कार्रवाई कर यह सुनिश्चित किया कि सभी आतंकवादी मारे जाये ताकि उनके हथियार और गोला-बारूद बरामद किए जा सके और उनकी टीम को बचाया जा सके, और वैसा ही हुआ [२] [२]।
सम्मान
उनकी बहादुरी के लिए, उन्हें मरणोपरांत भारत में शांति काल के सर्वोच्च सैन्य सम्मान अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था[३]।
विरासत
2008 में, सुजान विहार कल्याण प्रबंधन सोसायटी द्वारा गुड़गांव में सेना कल्याण आवास संगठन की आवासीय कॉलोनी का नाम सुजान विहार, सुजान सिंह के नाम पर दिया गया है। उनके बलिदान को याद रखने के लिए सिंह की प्रतिमा भी स्थापित की थी।