सुग्राहिता विश्लेषण

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सुग्राहिता विश्लेषण (Sensitivity analysis) के अन्तर्गत यह अध्ययन किया जाता है कि किसी गणितीय मॉडल के आउटपुट की अनिश्चितता का उसके इनपुटों के मानों की अनिश्चितता से क्या सम्बन्ध है।[१][२] इसी से सम्बन्धित एक अन्य विश्लेषण है जिसे अनिश्चितता विश्लेषण (uncertainty analysis) कहा जाता है, जिसका लक्ष्य (फोकस) अनिश्चितता का मान निकालने (quantification) पर केन्द्रित होता है।

वास्तव में, प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में, किसी भी मॉडल के आउटपुट की गणना कुछ-कुछ भिन्न मान्यताओं के आधार पर करना अत्यन्त उपयोगी है। इससे यह पता चलता है कि कोई प्राचल या कोई अवयव किसी कारण थोड़ा-बहुत बदलेगा तो इसका आउटपुट पर कितना प्रभाव होगा। कहीं वह प्रभाव असह्य/अस्वीकार्य तो नहीं है?[३]

उपयोग

नीचे, सुग्राहिता विश्लेषण के कुछ उपयोग दिए गए हैं-

  • अनिश्चितता के रहते हुए, किसी मॉडल या तंत्र का परिणाम/आउटपुट कितना अचल/अपरिवर्तनशील (robust) है।
  • किसी मॉडल या तंत्र के इनपुट और आउटपुट चरों के बीच सम्बन्धों की एक बेहतर समझ विकसित होती है।
  • यह पता किया जाता है कि किन इनपुटों की अनिश्चितता का आउटपुट की अनिश्चितता में सर्वाधिक योगदान है। यह पता चलन जाने पर उस इनपुट की अनिश्चितता को कम करने का प्रयास किया जाता है, या कुछ ऐसा बदलाव किया किया जाता है कि उस इनपुट की अनिश्चितता का आउटपुट की अनिश्चितता पर कम प्रभाव पड़े।
  • मॉडल में त्रुटियाँ खोजने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, यदि इनपुट और आउटपुट में अप्रत्याशित सम्बन्ध मिलता है तो देखना चाहिए कि मॉडल में कोई गलती तो नहीं है।
  • मॉडल का सरलीकरण - यदि किसी इनपुट का आउटपुट पर कोई प्रभाव ही न पड़ रहा हो तो उस इनपुट को नियत बनाया जा सकता है। इसी तरह, मॉडल की संरचना में प्रयुक्त ऐसे अवयवों (parts) की पहचान की जा सकती है जो अनावश्यक (redundant) हैं।
  • मॉडल करने वालों और निर्णय लेने वालों के बीच विचारों का सही रूप में आधान-प्रदान : उदाहरण के लिए, सुग्राहिता विश्लेषण का उपयोग करते हुए कोई मॉडल करने वाला अपनी संस्तुतियों (recommendations) को और अधिक विश्वसनीय, समझने लायक, या स्वीकारने के लिए विवश करने वाली बना सकता है।
  • सुग्राहिता विश्लेषण का उपयोग करते हुए यह पता किया जा सकता है कि अवयवों/इनपुटों के किन मानों के लिए आउटपुट 'सवोत्तम' है। इसके लिए सर्वोत्तम आउटपुट की कोई कसौटी (optimum criterion) भी बनानी पड़ती है। इष्टतमीकरण (optimization) और 'मान्टे कार्लो फिल्टरिंग' में इसका बखूबी उपयोग किया जाता है।
  • अंशांकन (calibrating) को सरल बनाने के लिए भी सुग्राहिता विश्लेषण का उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए किसी मॉडल/तंत्र में बड़ी संख्या में प्राचल (parameters) मौजूद हों तो उन प्राचलों पर विशेष/प्रथम ध्यान देना चाहिए जिनके लिए सुग्राहिता खराब है। यदि प्राचलों की सुग्राहिता के बारे में जानकारी नहीं होगी तो ऐसे प्राचलों को अंशाकित करने पर समय नष्ट हो सकता है जिनके बदलने से आउटपुट कम बदलता है।[४]
  • मॉडल के इनपुटों, प्रेक्षणों, और अनुमानों (predictions or forecasts) के बीच महत्वपूर्ण सम्बन्धों का पता लगाने से मॉडल को बेहतर करने में सहायता मिलती है। [५][६]

सन्दर्भ

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ