सीतावंगा गुफा
इस लेख को व्याकरण, शैली, संसंजन, लहजे अथवा वर्तनी के लिए प्रतिलिपि सम्पादन की आवश्यकता हो सकती है। आप इसे संपादित करके मदद कर सकते हैं। (अक्टूबर 2019) |
साँचा:ambox भारत मैं जब रगंमचं की बात होती तो एसा माना जाता है कि छत्तिसगढ में स्थित रामगढ के पहाड पर महाकवि कालिदास द्वारा निर्मित एक प्राचीनतम नाटयशाला मौजुद है। महाकाव्य मेघदुतम् की रचना कवि कालिदास जी ने रामगढ पहाड पर की थी ऐसी मान्यता है। इस आधार पर यह भी कहा जाता है कि मध्यप्रदेश के अम्बिकापुर जिले के रामगढ पहाड पर स्थित कालिदास के द्वारा निर्मित नाटयशाला भारत के सबसे पहला नाटयशाला है, जो सीतावंगा गुफा के नाम से परिचित है। सीतावंगा की गुफा को देखने से भारतीय के पुराने नाटय मन्डपो के स्वरुप का कुछ अनुमान हो जाता है। यह गुफा 13.8 मीटर लंबी तथा 7.2 मीटर चौडी है। भीतर रंगमंच में प्रवेश करने के लिए बाईं ओर से सिढियां है, जिससे सम्वभवतः अभिनेता प्रवेश करते थे। भीतरी भाग में रंगशाला की व्यवस्था थी। यह 2.3 मीटर चौडी तीन सीढीयों से बना है, जो एक-दुसरे से 76 से.मी उचीं है। सीढीयों के सामने उपर दो छेद हैं, जिसमे शायद बांस की लकड़ी के सहारे पर्दे लगाए जाते होंगे। सामने दर्शको के लिए बैठने का स्थान है जो सीढीमुना के रुप मे ग्रीक एफिथिएटर की भातीं है, जो लगभग 60 व्यक्ति वैठ सकते हैं। यह थी हमारे सीतावंगा गुफा के बारे में थोडी जानकारी जो हमारे भारतीय प्राचीन काल के नाटयशाला या रंगशाला की ओर संकेत करता है।