सिद्ध योग
सिद्धयोग का तीर्थ संप्रदाय शैव हिंदू धर्म का एक रहस्यमय संप्रदाय है जिसका आधार जीवन-शक्ति या कुंडलिनी शक्ति के प्रत्यक्ष अनुभव और तांत्रिक शास्त्र ( शास्त्र ) की समझ है। यह गुरु-शिष्य संबंध को प्राथमिक महत्व देता है। शिष्य शक्ति को गुरु [१] द्वारा शक्तिपात नामक एक प्रक्रिया से ग्रहण करता है। ( सतगुरु को भी देखें )
कई सिद्ध योग वंशावली और कई अन्य समूह भी है जो ऐसे नाम का उपयोग नहीं करते हैं जिसके जरिये कुंडलिनी शाक्ति का प्रवाह जाहिर हो। कुछ वंश एक ही स्रोत से उत्पन्न हुए हैं, अन्य में कोई संबंध नहीं है। [२] सिद्धयोग सहजयोग, महायोग या सिद्धमहाययोग की तरह ही है। इस तरह की शिक्षाओं के संबंध तंत्र के विद्वानों जैसे महान अभिनवगुप्त तक से होने के संकेत मिलते है। [३] शक्ति को एक सार्वभौमिक आत्मा की ऊर्जा माना जाता है, जिसके प्रत्यक्ष अनुभव धार्मिक जुड़ाव के बिना भी संभव हैं। इस प्रकार सिद्धयोग को कभी-कभी विशुद्ध हिंदू अभ्यास के बजाय सार्वभौमिक माना जाता है।