सिद्ध गोष्ठी

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सिध गोसटी 
कवि गुरु नानक
मूल शीर्षक रामकली महल्ला १, सिध गोस्टी
प्रथम प्रकाशन आदि ग्रन्थ, 1604
देश भारत
भाषा गुरुमुखी
विषय आध्यात्मिक चर्चा
विधा धर्म
पृष्ठ संख्या 938/946
पूर्वकालीन दखनी ओंकारू (ਰਾਮਕਲੀ ਮਹਲਾ ੧ ਦਖਣੀ ਓਅੰਕਾਰੁ )
अनुगमन रामकली की वार महल्ला ३
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सिध गोसटी ((गुरमुखी : ਸਿਧ ਗੋਸਟਿ; संस्कृत : सिद्ध गोष्ठी ) गुरु नानक और सिद्धों के बीच हुआ प्रसिद्ध शास्त्रार्थ/तत्त्व-चर्चा है[१] [२] जो गुरु ग्रन्थ साहिब के पृष्ठ ९३८ से ९४६ तक लिपिबद्ध है। [३][४] इसमें कुल ७३ छन्द हैं[५] और रामकली राग में हैं। इस चर्चा में भाग लेने वाले प्रमुख सिद्ध-नाथ थे- चर्पतनाथ, भंगरनाथ और लोहारिपा।[६] मान्यता है कि यह गोष्ठी अचल बटला में हुई थी।[७] इस गोष्ठी के अलावा भी गुरु नानक ने सिद्धों के साथ कई स्थानों पर चर्चा की थी, जिनमें से मुख्य हैं-नानकमत्ता,[८] अचल बटला और मेरु पर्वत पर।

इस गोष्टी में गुरुमत तथा योग में अन्तर स्पष्ट होता है। [९]

सिद्ध गोस्टी को 'सिद्ध गोष्टी' या 'सिध गोश्ट' या 'सिद्ध गोसट' भी कहते हैं।

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite book
  2. साँचा:cite book
  3. साँचा:cite book
  4. ਰਾਮਕਲੀ ਮਹਲਾ ੧ ਸਿਧ ਗੋਸਟਿ: Guru Granth Sahib: Page 938/946:
  5. साँचा:cite book
  6. Loharipa Yogi Pleads: Sidh gosti: साँचा:cite book
  7. साँचा:cite book
  8. श्री गुरु नानक देवजी (कुल्दीप चन्द्र अग्निहोत्री)
  9. साँचा:cite book