सार्थक अंक
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साँचा:asbox किसी राशि के मापन में प्रयुक्त वे अंक जो मापक यंत्र की याथार्थ के अंतर्गत उस रासी के मान को व्यक्त करते है सार्थक अंक कहलाते है अर्थात सार्थक अंक किसी मापन में अंकों की वह संख्या है जिसकी शुद्धता स्पष्ट है या निश्चित है । अन्य शब्दों में सार्थक अंक किसी प्रयोग द्वारा शुद्धता से प्राप्त माप में अंकों की संख्या से एक अधिक होता है जहां अंतिम अंक निश्चित नहीं होता है। निम्नलिखित अंकों को छोड़कर सभी अंक सार्थक माने जाते हैं-
- आरम्भ के सभी शून्य
- बाद के वे शून्य (Trailing zeros) जो केवल जगह भरने और संख्या का 'स्केल' बताने के लिये लगाये गये हों। (इसके बारे में नीचे और देखिये)
- मिथ्या अंक (Spurious digits) - उदाहरण के लिये मूल आंकडों का प्रेसिजन कम होने के बावजूद गणना करते समय अधिक प्रेसिजन से गणना कर देना।
- माना kg में किसी राशि को 2 kg में व्यक्त किया है, इसमें सार्थक अंको की संख्या 1 है। यदी इस राशि को हम ग्राम में बदल दे तो 2000 हजार हो जाता है फिर भी इसमें सार्थक अंको की संख्या 1 ही होगी क्योंकि हमारे यन्त्र का माप kg में है।
सार्थक अंक के नियम
- सभी अशून्य अंक सार्थक होते हैं।
- दो अशून्य अंकों के बीच आने वाला शून्य भी सार्थक होता है।
- संख्या के आरम्भ में आने वाले शून्य (Leading zeros) कभी भी सार्थक नहीं होते।
- दशमल बिन्दु से युक्त किसी संख्या में, अन्तिम अशून्य अंक के बाद आने वाले सभी शून्य सार्थक होते हैं।
- दशमल बिन्दु से रहित संख्या में, अन्तिम अशून्य अंक के दाहिने आने वाले शून्य सार्थक हो भी सकते हैं और नहीं भी। इसके लिये कुछ और सूचना दी गयी होनी चाहिये।
- किसी संख्या में दशमलव के दाईं ओर आने वाले सभी शून्य सार्थक नहीं होते। जैसे 0.01 में 01 सार्थक अंक होंगे।
- उदाहरण
- 9858.76 में 6 सार्थक अंक हैं।
- 0.009 876 में भी 4 ही सार्थक अंक हैं।