साइगा

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साइगा
चित्र:Mongolia Saiga tatarica.jpg
एक नर साइगा
Scientific classification
Binomial name
साइगा टाटारीका
Saiga tatarica

Saiga tatarica historic&current distribution.jpg
साइगा का ऐतिहासिक वितरण (श्वेत) और वर्तमानकाल में S. t. tatarica (हरा) और S. t. mongolica (लाल) उपजातियों का बचा हुआ क्षेत्र

साइगा (saiga) एक हिरण है जो मूल रूप से लाखों-करोड़ों की संख्या में यूरेशिया के स्तेपी क्षेत्र के एक विशाल भूभाग में रहा करता था लेकिन अनियंत्रित शिकार किये जाने से अब विलुप्त होने के ख़तरे में हैं। प्राचीनकाल में इनका क्षेत्र पश्चिम में कारपैथी पर्वतों और कॉकस क्षेत्र से लेकर पूर्व में ज़ुन्गारिया और मंगोलिया तक विस्तृत था। अत्यंतनूतन युग (प्लाइस्टोसीन​) में साइगा उत्तर अमेरिका में भी रहते थे। अब इनका क्षेत्र बहुत सिकुड़ चुका है। साइगा की मुख्य उपजाति (S. t. tatarica) रूस के केवल एक स्थान (कैस्पियन-पूर्व क्षेत्र) में और काज़ाख़स्तान के केवल तीन स्थानों (यूराल, उस्त-उर्त, बेतपाक-दाला) में पाई जाती है। काज़ाख़स्तान के उस्तउर्त वाले समुदाय का कुछ अंश सर्दियों में उज़बेकिस्तान और कभी-कभार तुर्कमेनिस्तान में भी, कुछ महीनो के लिए चला जाता है। चीन और दक्षिणपश्चिम मंगोलिया से यह उपजाति विलुप्त हो चुकी है। साइगा की एक और मंगोलियाई उपजाति (S. t. mongolica) है जो केवल पश्चिमी मंगोलिया में ही मिलती है।

शरीर

साइगा अपने विचित्र नाक के लिए जाना-पहचाना जाता है। यह नाक लचकीला और ज़रा लटका हुआ होता है और अंग्रेज़ी में इसे लातिनी भाषा के 'प्रोबोसिस' (probosis) शब्द से बुलाया जाता है। साइगा अपने कंधे पर ६० से ८० सेमी (१ फ़ुट १० इंच से २ फ़ुट ७ इंच) लम्बा होता है। इसका वज़न ३६ से ६३ किलोग्राम होता है। यह ६ से १० साल जीता है। जहाँ बहुत से हिरणों के सींग खोखले होते है, वहाँ ऐंटिलोपिनाए उपपरिवार के सदस्यों के सींगों के अन्दर हड्डी होती है और साइगा में भी ऐसा ही है। नरों का आकार मादाओं से बड़ा होता है और अक्सर केवल नरों के ही सींग होते हैं। चीनी पारंपरिक चिकित्सा में इनके सींगों का प्रयोग किया जाता है इसलिए शिकार होने से यह जाति और भी ख़तरे में है।

रहन-सहन

साइगा यूरेशिया के महान शुष्क स्तेपी के घासीय मैदानों में बड़े झुंडों में रहते हैं और वहाँ उगने वाले पहुत से पौधे खाते हैं। इनमें वे कुछ ऐसे भी पौधे खाकर हज़म करने में सक्षम हैं जो अन्य जातियों के लिए ज़हरीले होते हैं। साइगा में लम्बे फ़ासलों को तय करने और नदियों को तैरकर पार करने की क्षमता है लेकिन यह पत्थरीले क्षेत्रों और खाइयों-पहाड़ों से दूर रहते हैं। इनकी युग्मन (ब्याहने की) ऋतू नवम्बर में शुरू होती है और नर आपस में मादाओं के लिए लड़ते हैं। जीतने वाले नर को ४ से ५० मादाओं का दस्ता मिल जाता है। बसंत में मादाओं के बछड़े होते हैं और देखा गया है कि दो-तिहाई माताओं में दो बछड़े जन्मते हैं।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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