साँचा:आज का आलेख २३ जून २०१०

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Garden sundial MN 2007.JPG
सौर घड़ी (सन डायल) का प्रयोग सूर्य की दिशा से समय का ज्ञान करने के लिए किया जाता था। इन घड़ियों की कार्यशैली और क्षमता दिन के समय तक सीमित होती थी क्योंकि यह रात के समय काम नहीं कर पाती थीं। इसके फिर भी विश्व में समय जानने हेतु सबसे पहले इनका प्रयोग किया गया था। इन्हीं घड़ियों को आधार बनाकर समय बताने वाली अन्य घड़ियों का आविष्कार हुआ था। भारत में प्राचीन वैदिक काल से सौर घड़ियों का प्रयोग होता रहा है। सूर्य सिद्धांत में सौर घड़ी द्वारा समय मापन के शुद्ध तरीके अध्याय ३ और १३ में वर्णित हैं। सौर घड़ियों के सही काम करने के लिए यह आवश्यक होता था कि उन्हें सही स्थानों पर स्थापित किया जाए। विश्व के अलग-अलग स्थानों पर एक ही समय पर सूर्य भिन्न दिशाओं में होता था, इसलिए सूर्य की दिशा के अनुसार घड़ियों को स्थापित करना होता था। विस्तार में...