ससुराल (1961 फ़िल्म)
ससुराल | |
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चित्र:ससुराल.jpg फ़िल्म का पोस्टर | |
निर्देशक | टी॰ प्रकाश राव |
निर्माता | एल॰ वी॰ प्रसाद |
लेखक | इन्दर राज आनन्द |
अभिनेता |
राजेन्द्र कुमार सरोजा देवी |
संगीतकार | शंकर-जयकिशन |
प्रदर्शन साँचा:nowrap | 1961 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
ससुराल 1961 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसे एल॰ वी॰ प्रसाद ने निर्मित किया और टी॰ प्रकाश राव ने निर्देशित किया। इसकी मुख्य भूमिकाओं में राजेन्द्र कुमार, सरोजा देवी, महमूद, ललिता पवार और शुभा खोटे हैं। इस हिट फ़िल्म का संगीत शंकर-जयकिशन का है।
संक्षेप
शेखर (राजेन्द्र कुमार) अपने मामा धरमदास, अपनी मामी, ममेरी बहन सीता (शुभा खोटे) के साथ रहता है। सीता अपने पति महेश (महमूद) से अलग हो गई है। उसकी एक बहन गौरी भी है जो अपने प्रेमी के साथ भाग गई थी। वह कॉलेज में धनी साथी, बेला (सरोजा देवी) के साथ पढ़ता है। दोनों की आपस में नहीं बनती, लेकिन हालत तब बदल जाते हैं जब बेला के पिता ठाकुर को शेखर के अच्छे चरित्र के बारे में पता चलता है। वह सोचते हैं कि वह अच्छा दामाद बनेगा। वह धरमदास के पास जाते हैं और इस शर्त पर उनकी शादी करते हैं कि शेखर घर जमाई बन जाएगा, जिसके लिए धरमदास और शेखर मान जाते हैं।
हालाँकि बेला की माँ नाराज़ हैं, क्योंकि वह चाहती हैं कि उनकी बेटी की शादी उनके कर्मचारी गोविंदराम के बेटे राजन मुरारी (अनवर हुसैन) से हो। इसके बावजूद शादी होती है और शेखर अपने ससुराल में चला जाता है। परिवार काफी सामंजस्यपूर्ण संबंध में बस जाता है। उनकी जीवन शैली तब बिखर जाती है जब बेला को संदेह होता है और फिर इस बात का सबूत मिलता है कि सीता और महेश, जो अब फिर से मिल गए हैं, ने उसका हीरे का हार चुरा लिया है। यह भी पता चलता है कि शेखर का किसी लड़की के साथ अफेयर चल रहा है; कि उसने 10,000/- रुपये का गबन कर लिया है और 3 दिनों के लिए किसी अज्ञात स्थान पर चला गया है। हालात और भी बदतर हो जाते हैं जब ठाकुर के साथ दुर्घटना हो जाती है और बाद में उनकी मृत्यु हो जाती है।
मुख्य कलाकार
- राजेन्द्र कुमार — शेखर
- सरोजा देवी — बेला
- महमूद — महेश
- ललिता पवार — बेला की माता
- शुभा खोटे — सीता
- जयश्री गडकर — गौरी
- बिपिन गुप्ता — ठाकुर
- अनवर हुसैन — राजन मुरारी
- धुमाल — धरमदास
संगीत
सभी शंकर-जयकिशन द्वारा संगीतबद्ध।
क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | गायक | अवधि |
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1. | "क्या मिल गया हाय क्या खो गया" | शैलेन्द्र | लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी | 3:29 |
2. | "सुन ले मेरी पायलों के गीत साजना" | शैलेन्द्र | लता मंगेशकर | 3:28 |
3. | "ये अलबेला तौर ना देखा" | शैलेन्द्र | मोहम्मद रफ़ी | 3:20 |
4. | "तेरी प्यारी प्यारी सूरत को" | हसरत जयपुरी | मोहम्मद रफ़ी | 5:20 |
5. | "सता ले ऐ जहाँ कभी ना खोलेंगे ज़ुबाँ" | शैलेन्द्र | मुकेश | 3:31 |
6. | "अपनी उल्फ़त पे ज़माने का पहरा" | हसरत जयपुरी | मुकेश, लता मंगेशकर | 3:23 |
7. | "जाना तुम्हारे प्यार में शैतान बन गया हूँ" | हसरत जयपुरी | मुकेश | 3:24 |
8. | "एक सवाल मैं करूँ एक सवाल तुम करो" | शैलेन्द्र | मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | 3:29 |
नामांकन और पुरस्कार
साँचा:awards table |- | rowspan="4"| 1962 | महमूद | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार | साँचा:nom |- | शुभा खोटे | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री पुरस्कार | साँचा:nom |- | मोहम्मद रफ़ी ("तेरी प्यारी प्यारी सूरत को") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार | साँचा:won |- | हसरत जयपुरी ("तेरी प्यारी प्यारी सूरत को") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार | साँचा:nom |}