सत्यवती देवी
सत्यवती देवी | |
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Born | 1904 |
Died | 1945 |
Nationality | भारतीय |
Employer | साँचा:main other |
Organization | साँचा:main other |
Agent | साँचा:main other |
Known for | भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में सहभागिता के लिए |
Notable work | साँचा:main other |
Opponent(s) | साँचा:main other |
Criminal charge(s) | साँचा:main other |
Spouse(s) | साँचा:main other |
Partner(s) | साँचा:main other |
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सत्यवती देवी (1904–1945) भारत की स्वतन्त्रता सेनानी एवं स्वामी श्रद्धानन्द की पौत्री थीं। वे 'भारत की ज़ोन ऑफ आर्क' के नाम से विख्यात हैं। [१]
जीवनी
सत्यवती देवी धनी राम और वेदकुमारी की पुत्री थीं।[२] उन्होने दिल्ली क्लॉथ मिल के एक अधिकारी से विवाह किया था।
आन्दोलनों में सहभागिता
दिल्ली की राष्ट्रवादी स्त्रियों में सत्यवती ने अग्रणी भूमिका निभायी और उनका नेतृत्व किया। गांधीजी उन्हें प्यार से 'तूफानी बहन' कहा करते थे।[३] अरुणा आसफ अली मानती हैं कि सत्यवती की ही प्रेरणा से वे राष्ट्रीय आन्दोलन में उतरीं थी।[४] उन्होने ग्वालियर और दिल्ली के कपड़ा मिलों के श्रमिकों के उत्थान के लिए कार्य किया। उन्होने कांग्रेस महिला समाज[५] तथा कांग्रेस देशसेविका दल की स्थापना की। वे कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी की भी सह-संस्थापिका थीं। उन्होने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में सक्रिया भूमिका निभयी और इस आन्दोलन में दिल्ली कांग्रेस की महिला शाखा का नेतृत्व किया। दिल्ली में ही उन्होने नमक कानून को तोड़ने के लिए अन्दोलन का आयोजन किया और स्वयंसेवकों के साथ मिलकर नमक बनाकर लोगों में बांटा। १९३२ में उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और उन्हें दो वर्ष के कारावास का दण्ड दिया। जेल में ही वे फुप्फुसावरणशोथ (pleurisy) और क्षय रोग की शिकार हो गयीं। [६] इतना होने के बावजूद उन्होने 'अच्छे व्यवहार' करने और राजनैतिक आन्दोलनों से दूर रहने के आश्वासन के बचनपत्र (बांड) पर हस्ताक्षर नहीं किया। इस तरह के बचनपत्र से उनको जेल से छुट्टी मिल सकती थी और वे अपनी चिकित्सा करा सकतीं थीं।[७] सन १९४५ में ४१ वर्ष की अल्पायु में ही क्षयरोग के कारण उनका देहान्त हो गया।
सत्यवती देवी भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के गुमनाम नायिकाओं में से हैं। सन १९७२ में दिल्ली सरकार ने उनके नाम पर सत्यवती महाविद्यालय की स्थापना की जो दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध है।[८]
लेखन कार्य
जेल में बन्द महिला स्वतंत्रता सेनानी कविताएँ रचा करते और चोरीछुपे उसे बाहर निकालकर उसका प्रकाशन करा दिया जाता था। 'बहिन सत्यवती का जेल सन्देश' नामक उनकी एक कविता बहुत प्रसिद्ध हुई थी।[९]
सन्दर्भ
- ↑ Writeup by Jaiprakash Narain, in "Dilli Ki Joan of Arc, Behan Satyavati" souvenir published in 1977 commemorating Satyavati's 70th birth anniversary.
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite journal