संवेद (पत्रिका)
संवेद (हिन्दी पत्रिका) [[चित्र:|thumb|right|200px
|]] सम्पादक : किशन कालजयी, नयी दिल्ली
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|thumb|right|200px|]] 'संवेद' हिन्दी भाषा, साहित्य, संस्कृति और समाज पर विमर्शपरक लघु पत्रिका है। लघु पत्रिका आन्दोलन को वृहदतर रूप में देने में इसकी भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण है। संवेद फाउण्डेशन की इस अनियतकालीन पत्रिका की शुरूआत बिहार के छोटे से कस्बे जमालपुर (मुंगेर) में सन् 1991 ईस्वी में हुई। संवेद के शुरुआती तेरह अंकों का प्रकाशन महात्मा गाँधी मार्ग, गायत्री नगर, जमालपुर, मुंगेर-110085 से हुआ तो इसके बाद के सभी अंकों का प्रकाशन सेक्टर-16, रोहिणी, दिल्ली-110085 से नियमित रूप से हो रहा है। इसके सम्पादक किशन कालजयी हिन्दी के जाने-माने रंगकर्मी, संस्कृतिकर्मी और साहित्यकार है। जमालपुर (मुंगेर) से अन्तिम बार प्रकाशित संवेद का तेरहवां अंक लोकनायक जय प्रकाश नारायण पर केन्द्रित था जिसमें उनके समग्र व्यक्तित्व की पड़ताल की गयी है। हिन्दी में लोकनायक जय प्रकाश नारायण पर निकला अपने ढंग का यह एकमात्र अंक है। इसके बाद के सभी अंक रोहिणी, दिल्ली से प्रकाशित हुए हैं। हाल ही में 'मेरे प्रेम-पत्र : देवीशंकर अवस्थी' (प्रस्तुति : कमलेश अवस्थी) पर केन्द्रित अप्रेल 2012 अंक के साथ ही संवेद ने अपने 50 अंक पूरे किए है। संवेद का पहला अंक सन् 1991 ईस्वी के उदारीकरण के दौर की 'भूमण्डलीकरण की चुनौतियों' पर केन्द्रित था और इसका छत्तीसवां अंक उदारीकरण के ठीक बीस वर्ष बाद के 'भूमण्डलीकरण के दौर में' केन्द्रित था। संवेद ने हिन्दी में भूमण्डलीकरण के रूपों उदारीकरण और बाजारीकरण के खतरों को उसके आगमन के साथ ही चिह्नने और उसे गम्भीरतापूर्क विचार-विमर्श के केन्द्र में लाने का ऐतिहासिक महत्त्व का कार्य तो किया ही है, इसने अपने हमारे समय की कई महान विभूतियों पर भी महत्त्वपूर्ण अंक निकाले है। संवेद का चौहहवां अंक हिन्दी के प्रसिद्ध गद्यशिल्पी निर्मल वर्मा पर केन्द्रित था जिसका शीर्षक था - 'चुनी हुई चुप्पियों की आवाज : निर्मल वर्मा पर विशेष'। संवेद का पन्द्रहवां अंग अप्रतिम किस्सागो मनोहर श्याम जोशी पर केन्द्रित थी और उसका शीर्षत था - 'मनोहर श्याम जोशी : कैसे किस्सागो'। संवेद का सोलहवां अंक हमारे समय के विशिष्ट कवि अरूण कमल पर केन्द्रित था तो संवेद का सत्रहवां अंक हिन्दी के विशिष्ट कवि-कथाकार उदय प्रकाश पर केन्द्रित था। 'सिर्फ लिखने से कोई लेखक नहीं होता' शीर्षक उदय प्रकाश से रविकान्त, विमल झा, अभय कुमार दुबे, कमल कुमार मिश्र, उमाशंकर सिंह, विजेन्द्र चौहान, अविनाश और भूपेन सिंह का संवाद इसकी अंक की विशिष्ट उपलब्धि है। संवेद का अट्ठारहवां अंक राजनीतिक-समाजशास्त्री धीरूभाई शेठ पर केन्द्रित है और इसका शीर्षक है - 'विद्रोही बुद्धिजीवी का संसार : धीरूभाई शेठ पर विशष'। संवेद का चौबीसवां अंक कृष्णा सोबती के रचना संसार पर केन्दित है और इसका शीर्षक है - ' जीवन का उदास संगीत : कृष्णा सोबती पर विशेष'।