संवेदनहीनता
संवेदनाहरण" (एनेस्थेसिया) या "निश्चेतना" (देखें वर्तनी में अंतर ग्रीक से व्युत्पत्त,{4){/4} ऐन (an), "बिना"; और साँचा:lang ऐस्थेसिस, "संवेदन"), का पारंपरिक अर्थ है - संवेदनशीलता की अवस्था (व्यथा के महसूस करने के साथ) अवरुद्ध कर दिया गया अथवा अस्थायी तौर पर अलग कर दिया गया। यह स्मृति-लोप, असंवेदना, प्रतिसंवेदना, कंकाल पेशी, सहज प्रतिक्रियात्मक अभिव्यक्तियां तथा घटते तनाव प्रतिसाद से प्रवृत्त औषधशास्त्रीय प्रभाव है। यह रोगियों को तनाव तथा दर्द के अनुभव के बिना ही शल्यक्रिया करवाने में सहायता करता है। इस शब्द का निर्माण वर्ष 1846 में ऑलिवर वेंडेल होम्स ने किया।[१] दूसरी परिभाषा "जागरूकता का प्रतिवर्ती अभाव है", अगर यह जागरूकता की सम्पूर्ण कमी हो तो भी (अर्थात, एक सामान्य संज्ञाकारी अथवा ऑपरेशन कक्ष में शरीर के किसी अंग में जागरूकता का अभाव जैसे कि मेरुदण्डीय संज्ञाकारी या कोई और स्नायविक अवरोध भी हो सकता है।
निश्चेतना के प्रकार
निश्चेतना के तीन प्रकार हैं, स्थानीय संवेदनहीनता, क्षेत्रीय संवेदनहीनता एवं सामान्य संवेदनहीनता. स्थानीय संवेदनहीनता में शरीर के एक विशिष्ट
प्रत्यंग की अवस्थति को संवेदनशील (सुन्न) कर दिया जाता है, जैसे कि हाथ. क्षेत्रीय संवेदनहीनता में शरीर में संवेदनहीनता की विशेष औषधि (एनेस्थेसिया) को स्नायु-समूह में प्रवेश करा कर शरीर के बड़े हिस्से को सुन्न कर दिया जाता है। जिन दो क्षेत्रीय संवेदनहीनता का बार-बार उपयोग
किया जाता है, मेरुदण्डीय संवेदनहीनता तथा उपरीदृढ़तानिका (एपिड्युरल). सामान्य संवेदनहीनता में चेतनाहीनता किसी भी प्रकार की जागरूकता
का अभाव अथवा सनसनी या संवेदनशीलता का अभाव शामिल हैं।[२]
इतिहास
वनौषधि व्युत्पाद
प्रागितिहास में जड़ी-बूटियों को खिला-पिलाकर संवेदनहीनता का उपचार किया जाता था। अफीम के दानों (पोस्ता या खसखस) के खोखले छिलके ईसा पूर्व 4200 में एकत्रित किये जाते एंव अफीम के दानों (पोस्ता या खसखस) की खेती सुमेरियन साम्राज्य में एवं परवर्ती साम्राज्यों में भी की जाती थी। संवेदनहीनता की पद्धति का ईसा-पूर्व 1500 में एबेरस पेपिरस में उल्लेख मिलता है। ईसा पूर्व 1100 तक आते-आते अफीम के संग्रह के लिए साइप्रस में पोस्ता-फलियों को ठीक उसी प्रकार खरोंचा जाने लगा जैसा कि आजकल किया जाता है, अफीम के धूम्रपान का सरल उपकरण मिनोआन के मंदिर में पाया गया। ईसा-पूर्व 330 तक एवं 600-1200 ई.पू.के बीच क्रमशः भारत और चीन में, अफीम से लोग परीचित नहीं हो पाए थे, लेकिन ये ही वे राष्ट्र हैं जिन्होनें कैनबिस (भांग) और अकोनिटम (कालकूट) की बेहोश कर देने वाली महक के इस्तेमाल की वकालत की है। दूसरी सदी में लेटर हॉन की पुस्तक तथा थ्री किंगडम्स के अभिलेखों के अनुसार चिकित्सक हुआ तो ने संवेदनहीनता की एक अनजान औषधि का प्रयोग कर, जिसे मैफिसन कहते हैं (麻沸散 "कैनबिस फ़ोड़ा-फुंसी के पाउडर") को शराब में घोलकर उदरीय शल्य-चिकित्सा संपन्न की थी। सारे यूरोप, एशिया एवं अमेरिका में, सोलानम मसाले जिनमें शक्तिशाली किस्म के ट्रोपाना क्षाराभों, जैसे कि मेंड्रेक, हेन्बेन, दातुरा धातु और दातुरा आइनॉक्सिया का उपयोग किया गया था। प्राचीन ग्रीक और रोमन चिकित्सा शास्त्रों में, हिप्पोक्रेट्स, थेयोफ्रेस्टस, आउलुस कॉर्नेलियस सेल्सस, पेडानिअस डायोस्कोराइड्स तथा प्लिनी द एल्डर में अफीम एवं सोलानम मसालों के इस्तेमाल की चर्चा मिलती है। 13वीं सदी की इटली में थिओडोरिक बोर्गोगनेनी ने अफीमयुक्त मादक द्रव्य के साथ ठीक इसी प्रकार के मिश्रण का इस्तेमाल बेहोशी लाने के लिए किया और क्षाराभ के संयोग से उपचार उन्नीसवीं सदी तक संवेदनहीनता की एकमात्र आधारभूत औषधि के रूप में बरकरार रहा. अमेरिका में कोका का इस्तेमाल भी खोपड़ी में छेद करने की शल्यक्रिया से पहले संवेदनहीनता के लिए महत्वपूर्ण था। ईन्कैन शैमंस कोका की पत्तियों को चबाते थे और खोपड़ी पर शल्य क्रिया के दौरान बनाए गए घावों पर इसलिए थूकते थे कि सिर का वह, विशेष क्षेत्र चेतनाशून्य हो जाय.साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed] शराब का इस्तेमाल भी रक्त-वाहिका-विस्फारक गुणों के अज्ञात कारणों से होता रहा. संवेदनहीनता की प्राचीन वनऔषधियों (जड़ी-बूटियों) को विभिन्न प्रकार से निद्राजनक, पीड़ानाशक एवं मादक माना जाता रहा है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि यह अचेतनावस्था को जन्म देता है, या दर्द से छुटकारा दिलाता है।
10वीं सदी में प्रसिद्ध फारसी रचना, शाहनामा में लेखक, फिरदौसी ने, ऐसी ही एक शल्यक्रिया द्वारा प्रजनन का उल्लेख किया है जो रुदाबेह पर क्रियान्वित किया गया जब वह बच्चे को जन्म दे रही थी,[३] इस क्रिया में पारसी पुजारी ने शल्य क्रिया के दौरान बेहोशी जाने के लिए शराब से एक विशेष प्रकार का एजेंट तैयार किया। यद्यपि यह सामग्री व्यापक रूप से पौराणिक है, फिर भी यह उदहारण कम से कम प्राचीन फारसी में संवेदनहीनता के बारे में जानकारी का सविस्तार उल्लेख करता है। अरबी और ईरानी संवेदनहीनताकर्ताओं (anesthesiologist) ने सर्वप्रथम खानेवाली और साथ ही साथ सूंघने वाली औषधियों का इस्तेमाल किया। इस्लामी स्पेन में अन्य मुस्लिम शल्यचिकित्सा में अबुल कसिस और इब्न जुह्र में एवेन जोअर ऐसे सर्जन थे, जिन्होनें सैकड़ों बार संवेदनहीनता के लिए सूंघने वाले नशीले पदार्थों का इस्तेमाल किया जो स्पोंज में भिगोये होते थे। अबुल्कसिस और अविसेन्ना ने चेतनाहरण के बारे में उनके प्रभावशाली चिकित्सा विश्व-कोश अल-तसरीफ और द कैनॉन ऑफ़ मेडिसिन में लिखा है।[४][५]
वनऔषधियों से संवेदनाहरण (हर्बल एनेस्थेशिया) के उपयोग में आज की तुलना में एक बहुत ही महत्वपूर्ण खामी थी - जैसा कि फैलोपियस ने खेद जताते हुए कहा है, "जब निद्राजनक दुर्बलता होती है, इनका इस्तेमाल बेकार जाता है और जब कड़ी नींद होती है तो, मौत का कारण बन जाती है।" इस पर काबू पाने के लिए, उत्पाद को, उन उत्पादों के साथ जो विशिष्ट रूप से विख्यात अंचलों से आते थे (जैसे कि प्राचीन मिस्र के (थेब्स) क्षेत्र से मिलने वाली अफीम) उन्हें विशिष्ट रूप से यथासंभव मानकीकृत कर दिया गया। संवेदनहीनता करने वाली औषधियां कभी-कभी स्पोंजिया सोम्नीफेरा को एक सपौंज में बड़ी मात्रा में औषाधियों कों पहले सूखने दिया जाता था, जिससे पूरी तरह संतृप्त घोल (सोल्यूशन) को रोगी की नाक में बूंद-बूंद निचोड़कर डाला जाता था। कम से कम हाल फिलहाल की शताब्दियों में, उदाहरणार्थ अफीम को सुखाकर उन्नत मान के बक्शों में पैकिंग करने को अक्सर मानकीकृत किया गया। 19वीं सदी में, अनेक प्रजातियों की अलग किस्म की, एकोनिटम एलकेलॉइड्स को गिनी पिग्स पर परीक्षण कर मानकीकृत किया गया। इन शोधनों के बावजूद, मॉर्फिन की इजाद, जो एक विशुद्ध एलकेलॉइड है, जिसे अतिशीघ्र अध्स्त्वचीय इंजेक्शन के द्वारा लगातार खुराक के रूप में सुई से शरीर में प्रवेश कराया जा सकता है, उत्साहवर्धक ढंग से अपनाया गया और जिसने आधुनिक औषधि उद्योग की नींव डालने में नेतृत्व प्रदान किया।
प्राचीन संवेदनहीनता की औषधियों को प्रभावित करने वाला एक और कारक है कि आधुनिक समय में औषधियों को प्रणालीगत तरीके से अक्सर स्थानीय रूप से व्यवहृत किया जाता है, जिससे रोगी के लिए जोखिम कम हो जाता है। अफीम को सीधे-सीधे घाव में ही डाल दिया जाता है जो परिधीय औपिओइड रिसेप्टर्स पर एक एनलजेसिक के रूप में प्रतिक्रिया करता हैसाँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed] और विलों की पत्तियों (भिसा या धुनकी) से बनी एक औषधि (सैलिसाइलेट, एस्प्रीन का पूर्ववर्ती) को सीधे-सीधे सूजन के स्थान पर लगा दिया जाता हैसाँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed].
वर्ष 1804 में, जापानी सर्जन सेइशू हनोका (Seishū Hanaoka) ने स्तन कैंसर के ऑपरेशन (मास्टेक्टोमी) के लिए सामान्य संवेदनहीनता का संपादन जानी पहचानी चीनी वनौषधि तथा "रंगाकू" या "डच अध्ययन" से सीखी गई पश्चिमी सर्जरी तकनीकों के संयोजन से किया। उसकी रोगिणी कान आइया नाम की 60 वर्षीया महिला थी।[६] उसने दातुरा मेटल, एकोनिटम एवं अन्य पौधों के आधार पार बनाए गए तुसुसेन्सन नामक यौगिक का प्रयोग किया।
गैर-औषधीय तरीके
संवेदनहीनता की तकनीकों में सम्मोहन के प्रयोग का एक लंबा इतिहास रहा है। उतक के द्रुतशीतन (अर्थात बर्फ से) अस्थायी तौर पर संवेदनशील जगाने वाली तंत्रिका तंतुओं को रोक देना (akzon), जब उच्च वेग से चलता श्वास-प्रश्वास संक्षिप्त तौर पर थोड़ी देर के लिए चेतना के दर्द सहित उद्दीपन की धारणा में परिवर्तन पैदा कर सकता है (देखें लाम्ज़े).
आधुनिक चेतनाहरण के प्रयोग में, ये तकनीक शायद ही कभी प्रयोग में लाए जाते हों.
प्रारंभिक काल में गैस और वाष्प
पश्चिम देशों में 19वीं सदी में प्रभावकारी एनेस्थेटिक्स का विकास, सफलतम शल्य चिकित्सा की एक मुख्य कुंजी, लिस्टेरियन तकनीक से हुआ। हेनरी हिल हिकमैन ने वर्ष 1820 के सालों में कार्बन डाइऑक्साइड के साथ प्रयोग किया। वर्ष 1769 में जोसेफ प्रिस्टले[७] ने नाइट्रस ऑक्साइड का आविष्कार किया और इसके संवेदनहीनता (चेतना शून्यता) के गुणों की खोज ब्रिटिश रसायन विज्ञानी हम्फ्री डेबी[७] के द्वारा वर्ष 1799 में की गई, उस तब वह थॉमस बेड्डोस के एक सहायक था और अपनी इस खोज की सूचना उसने एक अखबार में वर्ष 1800 में दी. किन्तु शुरूआती दौर में इस तथाकथित लाफिंग गैस (हंसाने वाला गैस) का औषधीय उपयोग सीमित था। इसकी मुख्य भूमिका मनोरंजन के लिए ही थी। वर्ष 1800 के आरंभिक दशकों में, मुख्यधारा के सर्जनों का मानना था कि रोगी के शरीर में दर्द का होना शल्य-क्रिया का एक हिस्सा था और इसे प्रभावहीन कर देने की मांग बहुत कम ही थी।[८] एक यात्रारत (घूमता-फिरता) दंत चिकित्सक कनेक्टिकट के होरेस वेल्स ने, वर्ष 1845 में मैसाचुसेट्स जेनरल हॉस्पिटल में नाइट्रस ऑक्साइड के इस्तेमाल को प्रदर्शित किया था। यहां वेल्स ने खासकर एक हट्टे-कट्टे पुरूष स्वयं सेवी का चुनाव कर गलती की, एवं रोगी लगातार काफी देरतक दर्द सहता रहा, इस घटना से रंगीन-मिजाज वेल्स ने हर तरह से समर्थन खो दिया. बाद में उस रोगी ने वेल्स से यह कहा कि वह दर्द से नहीं बल्कि सदमें से चीख रहा था, बाद में, नशे में धुत्त वेल्स, कथित दौर पर एक वेश्या पर गंधकाम्ल (सल्फ्यूरिक एसिड) से हमला करने के बाद अपनी उरू (जांघ) की धमनी काटकर जेल में मौत को गले लगा लिया।
संवेदनहीनता लाने वाली औषधि के रूप में ईथर के पहली बार प्रयोग का श्रेय आमतौर पर जॉर्जिया के कॉफोर्ड लॉन्ग को जाता है। जनवरी 1842 में, रोचेस्टर न्यूयॉर्क में एलिया पोप द्वारा दांत निकालने के लिए विलियम ई क्लार्क द्वारा ईथर के इस्तेमाल की रिपोर्ट को सही प्रमाणित करने में कठिनाई हुई थी। लॉन्ग ने अपने स्कूल शिक्षक दोस्त जेम्स एम. वेनेबल को, डेनियेल्सविले जॉर्जिया में 30 मार्च 1842 के दिन ईथर दे दिया. इस प्रक्रिया में गर्दन से एक पुटी को निकाल बाहर करना था। ईथर को लेकर किलोल करने के अवलोकनों से बहुत पहले ही उसके दिमाग में यह विचार उत्पन्न हो गया था। इन भीड़ों में लॉन्ग ने यह गौर किया कि प्रतिभागियों को झटके और आघात के अनुभव तो हुए, लेकिन बाद में क्या हुआ था। वर्ष 1849 तक उसने संवेदनहीनता के लिए अपने ईथर के इस्तेमाल का प्रचार नहीं किया।[९]
वर्ष 1846 में वेल्स के व्यावसायिक पार्टनर तथा बॉस्टन के दंतचिकित्सक, विलियम थॉमस ग्रीन मॉर्टन को, दांत निकालते वक्त होने वाले दर्द को खत्म कर देने के लिए नाइट्रस ऑक्साइड के विकल्प की तलाश थी। उसने डाईथाइल ईथर के साथ कथित तौर पर अपने पिता के कुत्ते को देकर प्रयोग किया। 30 सितम्बर 1846 को अपने एक परिचित इबेन फ्रॉस्ट के दांत निकालने के लिए प्रोफ़ेसर चार्ल्स थॉमस जैक्सन ने यह दावा किया कि यह उसका ही सुझाव (विचार) था जिसे उसने मॉर्टन को दिया था। मॉर्टन राजी नहीं हुआ और आजीवन विवाद चलता रहा.[९]
16 अक्टूबर 1846 को दर्दहीन शल्यचिकित्सा (सर्जरी) के लिए नई तकनीक के प्रदर्शन हेतु मॉर्टन को मैसाचुसेट्स जेनरल हॉस्पिटल में आमंत्रित किया गया। मॉर्टन के एनेस्थेसिया (असंवेदनता) प्रेरित कर दिए जाने के बाद सर्जन जॉन कॉलिंस वॉरेन ने एडवर्ड गिल्बर्ट एब्बट की गर्दन से एक गुटी (ट्यूमर) को हटा दिया. ईथर एनेस्थेसिया (ईथर से चेतनाशून्यता) का यह प्रथम सार्वजनिक प्रदर्शन सर्जिकल रंगभूमि में घटी जिसे अब “ईथर डोम” के नाम से जाना जाता है। पहले से ही संशयवादी डॉ॰ वॉरेन प्रभावित हो गए और उन्होंने कहा "सज्जनों, यह कोई पाखंड नहीं है।" कुछ ही समय बाद मॉर्टन को लिखे अपने पत्र में चिकित्सक और लेखक ओलिवर वेंडेल होम्स सीनियर ने “एनेस्थेसिया” उत्पादक राज्य का नाम, तथा “एनेस्थेटिक” (संज्ञाहीन) करने की प्रक्रिया का नामकरण करने का प्रस्ताव रखा.[९]
पहले-पहले तो मॉर्टन ने अपने संवेदनहीनता करने वाले पदार्थ के वास्तविक स्वरूप को छिपाने की कोशिश की. यह जिक्र करते हुए कि यह लेथिऑन है। अपने पदार्थ के लिए उसने अमेरिकी पेटेंट प्राप्त कर तो लिया, किन्तु सफल संवेदनहीनता का संवाद सन् 1846 के अंतिम समय तक तेजी में फ़ैल गया। लिस्टन, डीफेनबाच, पिरोगोफ़ और साइम सहित यूरोप के सम्मानित सर्जनों ने तुरंत ईथर की सहायता लेकर कई ऑपरेशन कर डाले. अमेरिका में जन्मे एक चिकित्सक, बुट्ट ने लंदन के दंत चिकित्सक जेम्स रॉबिन्सन को मिस लोन्सडेल की दंत प्रक्रिया के संपादन के लिए प्रोत्साहित किया। यह एक ऑपरेटर-एनेस्थेटीस्ट का पहला केस था। उसी दिन 19 दिसम्बर 1846 को स्कॉटलैंड की डमफ्रीज़ रॉयल इन्फर्मरी में डॉ॰ स्मार्ट ने शल्य क्रिया की एक प्रक्रिया के लिए ईथर का इस्तेमाल किया। दक्षिणी गोलार्द्ध में एनेस्थेसिया (संवेदनहीनता) का पहली बार प्रयोग किया उसी वर्ष लाऊंसटन, तस्मानिया में हुआ। ईथर की अपनी खामियां भी है जैसे कि अत्यधिक उल्टी एवं इसकी ज्वलनशीलता की वजह से इंग्लैण्ड में क्लोरोफॉर्म ने इसकी जगह ले ली.
सन् 1831 में आविष्कृत, संवेदनहीनता में क्लोरोफॉर्म के इस्तेमाल को आमतौर पर जेम्स यंग सिम्पसन के नाम से जोड़ा जाता है, जिसने, कार्बोनिक यौगिकों का व्यापक स्तर पर अध्ययन कर आखिरकार 4 नवम्बर 1847 को क्लोरोफॉर्म की प्रभावकारिता हासिल की. इसका उपयोग तेजी से फैलने लगा और सन् 1853 में इसे राजकीय मान्यता मिली जब जॉन स्नो ने राजकुमार लियोपोल्ड के जन्म के समय महारानी विक्टोरिया को इसे दिया. दुर्भाग्यवश, क्लोरोफॉर्म ईथर जितना सुरक्षित नहीं है, खासकर इसे जब अप्रशिक्षित चिकित्सक (मेडिकल छात्रों, नर्सो एवं समय-समय पर आम जनता के सदस्यों पर अक्सर एनेस्थेटिक्स देने के लिए दबाव डाला जाता था। इस कारण क्लोरोफॉर्म का इस्तेमाल कई लोगों की मौत की वजह बन गया (पश्च दृष्टि के साथ) जो निवारणीय हो सकता था। सबसे पहली अपमृत्यु का सीधा कारण क्लोरोफॉर्म द्वारा संवेदनहीनता को जिम्मेदार ठहराया गया जब (हन्ना ग्रीनर) की मौत 28 जनवरी 1848 को दर्ज की गई।
लंदन के जॉन स्नो ने “ऑन नार्कोरिज़म” बाई द इन्हेलेशन ऑफ वेपर्स” (नींद लाने वाली औषधि से होने वाली बेहोशी पर) मई 1848 के बाद से रचनाएं प्रकाशित की. स्नो ने स्वयं को भी अंतःश्वसनीय संवेदनहीनता के लिए आवश्यक उपकरणों के उत्पादन में भी घनिष्ठ रूप से शामिल कर लिया।
आरंभिक स्थानीय संवेदनाहारी (एनेस्थेटिक्स)
कोकेन सबसे पहला प्रभावी स्थानीय संज्ञाहारी (एनेस्थेटिक्स) था। सन् 1859 में पृथक्कृत इसका पहली बार उपयोग कार्ल कोल्लर ने सिगमंड फ्रायड की सलाह पर सन् 1884 में नेत्र कि शल्य चिकित्सा में किया।[७] शीत के सुन्न कर देने के प्रभाव के कारण बहुत पहले डॉक्टर्स बर्फ और नमक के मिश्रण का उपयोग किया करते थे, जिसका केवल सीमित उपयोग ही हो सकता था। सुन्न कर देने की ठीक ऐसी ही प्रक्रिया ईथर अथवा इथाइल क्लोराइड को स्प्रे कर भी प्रेरित की जाती थी। कोकेन के कई व्युत्पाद एवं सुरक्षित वैकल्पिक बदलाव शीघ्र ही प्रस्तुत किए गए, जिसमें प्रोकेन (1905), यूकेन (1900), स्टोवेन (1904), तथा लिडोकेन (1943) शामिल है।
ओपियोड्स (केन्द्रियों स्नायविक प्रणाली में काम आने वाली रासायनिक प्रक्रिया) का पहली बार उपयोग रैकोवाइसिएनो पितेस्ती ने किया, जिसने अपने इस काम की सूचना सन् 1904 में दी.
संवेदनहीनता प्रदाताओं
शल्य क्रिया के पश्चात चतुर्दिक सावधानी बरतने में विशेषज्ञता, चिकित्सकों द्वारा संवेदनहीनता की योजना को विकसित करना तथा संज्ञाहारियों का शरीर में प्रवेश कराना इन सब को संयुक्त राज्य में एनेस्थेसियोलॉजिस्ट के रूप में जाना जाता है एवं यूनाइटेड किंगडम तथा कनाडा में एनेस्थेटीस्ट या एनेस्थेसियोलॉजिस्ट कहा जाता है। यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड एवं जापान के सभी एनेस्थेटीक्स चिकित्सकों द्वारा प्रशासित होते हैं। नर्स एनेस्थेटीस्टस भी लगभग 109 राष्ट्रों में संवेदनहीनता को प्रयोग में लाती हैं .[१०] संयुक्त राज्य में, 35% एकल पेशे में संज्ञाहारी चिकित्सकों द्वारा मुहैया कराए जाते है। लगभग 55% एनेस्थिसिया केयर टीम एक्ट्स को एनेस्थिसियोलॉजिस्ट एनेस्थिसियोलॉजिस्ट सहायकों या सीआरएनए (सीआरएनएS) को चिकित्सीय निर्देशों एवं 10% को एकल पेशे में सीआरएनए द्वारा मुहैया कराए जाते है।[११][१२][१३] -[१४] -[१५]
एनेस्थेटीस्टस/ एनेस्थिसियोलॉजिस्ट (चिकित्सकीय प्रशिक्षित चिकित्सक
मेडिकल डॉक्टर जो एनेस्थिसियोलॉजी में विशेषज्ञ होते हैं उन्हें अमेरिका और कनाडा में एनेस्थिसियोलॉजिस्ट कहा जाता है और दंत चिकित्सक संवेदनहीनताशास्त्र (एनेस्थिसियोलॉजी) में विशेषज्ञ होते हैं उन्हें डेंटल एनेस्थिसियोलॉजिस्ट कहा जाता है। ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में ऐसे चिकित्सक एनेस्थेटीस्टस अथवा एनेस्थिसियोलॉजिस्ट कहलाते है।
संयुक्त राज्य में एक चिकित्सक को एनेस्थिसियोलॉजी में विशेषज्ञ बनने के लिए 4 वर्षों की कॉलेज की पढ़ाई, 4 वर्षों के लिए मेडिकल स्कूल 1 वर्ष का इंटर्नशिप एवं 3 वर्षों के लिए रेसीडेंसी पढ़ाई पूरी करनी पड़ती है। अमेरिकन सोसाइटी ऑफ एनेस्थिसियोलॉजिस्ट के अनुसार, एनेस्थिसियोलॉजिस्ट वार्षिक 40 मिलियन एनेस्थेटिक्स के 90 प्रतिशत से भी अधिक वितरित किए जाने वाले प्रदान या योगदान करते हैं।[१६]
यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) में, यह प्रशिक्षण मेडिकल डिग्री (चिकित्सकीय उपाधि) पाने तथा 2 वर्षों के मूल आवासीय प्रशिक्षण के बाद न्यूनतम सात वर्षों तक चलता है और रॉयल कॉलेज ऑफ एनेस्थेटिक्स के पर्यवेक्षण में परिचालित होता है। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में मेडिकल डिग्री प्राप्त करने एवं २ वर्षों की बेसिक रेसीडेंसी के पश्चात, यह प्रशिक्षण पांच वर्षों तक ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड कॉलेज ऑफ एनेस्थेटीस्ट के पर्यवेक्षण में चलता रहता है। अन्य देशों में भी इसी तरह की प्रणालियां है, जिनमें आयरलैंड (द फैकल्टी ऑफ एनेस्थेटिस्ट्स ऑफ द रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जन्स इन आयारर्लैंड्स), कनाडा और दक्षिण अफ्रीका (द कॉलेज ऑफ एनेस्थेटिस्ट्स ऑफ साऊथ अफ्रीका) शामिल है।
ब्रिटेन में रॉयल कॉलेज की मौखिक और लीखित परीक्षा के भागों को पूरा करने के पश्चात ही फेलोशिप ऑफ द रॉयल कॉलेज ऑफ एनेस्थेटिस्ट्स (एफआरसीए (FRCA)) की उपाधि प्रदान की जाती है। संयुक्त राज्य में, एक चिकित्सक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट के द्वारा बोर्ड की लिखित और मौखिक परीक्षाएं पूरी करने के बाद ही अमेरिकन बोर्ड ऑफ एनेस्थेसियोलॉजी (या ऑस्ट्रियोपैथिक चिकित्सकों के लिए या अमेरिकन ऑस्टेयोपैथिक “बोर्ड सर्टीफायेड” कहलाने योग्य होता है।
औषधि के अंतर्गत अन्य विशेषताएं एनेस्थेसियोलॉजिस्ट के साथ ही निकटता से संबद्ध हैं। इन औषधियों में गहन चिकित्सकीय देखभाल औषधि, दर्द निवारक औषधि, आपातकालीन औषधि एवं प्रशामक औषधि अंतर्भुक्त हैं। इन विषयों में विशेषज्ञों को आमतौर पर थोड़ा एनेस्थेटिस्ट्स का प्रशिक्षण पूरा करना पड़ता है। एनेस्थेशियोलॉजिस्ट की भूमिका बदल रही है। अब यह केवल शल्य-क्रिया तक ही सीमित नहीं रही. कई एनेस्थेसियोलॉजिस्ट शल्यक्रिया के बाद चतुर्दिक देखभाल करने वाले चिकित्सकों की भूमिका अच्छी तरह निभाते हैं, एवं वे सर्जरी से पूर्व रोगी के स्वास्थ्य को अनुकूलतम करने में खुद को शामिल कर देतें हैं (बोलचाल की भाषा में जो सम्पादन करते हुए, शल्य क्रियांतर्गतीय निगरानी में विशेषज्ञता के साथ (जैसे[१७] कि ट्रांससोफेजियल इकोकार्डियोग्राफी) सहित उत्तर संवेदनहीनता संरक्षण इकाई, तथा उत्तर शल्य-क्रियात्मक वॉर्ड्स (पोस्ट-ऑपरेटीव वॉर्ड्स) के रोगियों की निगरानी करते रहना, तथा पूरे समय तक सर्वोत्कृष्ट संवेदनाहरण सुनिश्चित करना शामिल है।
यह दर्ज करना महत्वपूर्ण है कि संयुक्त राज्य में एनेस्थेटीस्ट की शब्दावली को आमतौर पर पंजीकृत नर्सों के साथ ही, संदर्भित किया जाता है जिन्होनें रेजिसटर्ड नर्स एनेस्थेटीस्ट (सीआरएनए) बनने के लिए नर्स एनेस्थेशिया में विशेषज्ञता की शिक्षा और प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। जैसा कि ऊपर दर्ज किया गया, ब्रिटेन में एनेस्थेटीस्ट की शब्दावली उन मेडिकल डॉक्टरों से संदर्भित है जो एनेस्थेसियोलॉजी में विशेषज्ञ है। संवेदनहीनता प्रदाता अक्सर पूरे पैमाने पर मानव सिमुलेटर्स इस्तेमाल करने में प्रशिक्षित होते हैं। यह क्षेत्र पहले इस तकनीक के एडॉप्टर के लिए था एवं इसका उपयोग छात्रों और चिकित्सकों को प्रशिक्षित करने के लिए पिछले कई दशकों तक किया जाता रहा. संयुक्त राज्य के उल्लेखनीय केन्द्रों में हावर्ड से सेंटर फॉर मेडिकल साइमुलेसन,[१८] स्टेनफोर्ड,[१९] द माउंटसिनाई स्कूल ऑफ मेडिसिन हेल्प्स सेंटर इन न्यूयॉर्क,[२०] एवं ड्यूक यूनिवर्सिटी हैं।[२१]
नर्स एनेस्थेटिस्ट्स
संयुक्त राज्य अमेरिका में, संवेदनहीनता संरक्षण के प्रावधान में अग्रिम अनुशीलन करने वाली विशेषज्ञ नर्सों को प्रमाणित पंजीकृत एनेस्थेटिस्ट नर्स (सीआरएनए) के रूप में जाना जाता है। अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ़ नर्स एनेस्थेटिस्ट्स के अनुसार अमेरिका में 39,000 सीआरएनए अनुमानतः 30 मिलियन अनेस्थेटिक्स हर साल देती हैं, जो अमेरिका के कुल का लगभग दो तिहाई है।[२२] 50,000 से कम जनसंक्या वाले समुदायों में चौंतीस प्रतिशत नर्स एनेस्थेटिस्ट्स चिकित्सक के पेशे से जुड़ी हैं। सीआरएनए स्कूल की शुरुआत स्नातक की डिग्री के साथ करता है और कम से कम 1 वर्ष[२३] की सजग समग्र देखभाल के नर्सिंग अनुभव और अनिवार्य प्रमाणन परीक्षा में उत्तीर्ण होने से पहले नर्स संवेदनहीनता में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त करनी होती है। परास्नातक स्तर के सीआरएनए (CRNA) प्रशिक्षण कार्यक्रम की समय-सीमा 24 से 36 महीने लंबी होती है।
सीआरएनए पोडिआट्रिस्ट्स, दंत चिकित्सकों, एनेस्थेसियोलोजिस्ट्स, शल्य चिकित्सकों, प्रसूति-विशेषज्ञों और अन्य पेशेवरों को जिनको उनकी सेवाओं की आवश्यकता होती है, के साथ काम कर सकते हैं। सीआरएनए शल्य चिकित्सा के सभी प्रकार मामलों में संवेदनहीनता का प्रबंध करती हैं और वे चेतनाशून्य करनेवाली सभी स्वीकृत तकनीक लागू करने में सक्षम हैं- सामान्य, क्षेत्रीय, स्थानीय, या बेहोश करने की क्रिया. सीआरएनए को किसी भी राज्य में अनेस्थेसिओलोजिस्ट के पर्यवेक्षण की आवश्यकता नहीं है और 16 राज्यों को छोड़कर बाकी सभी में चिकित्सा बिलिंग के लिए चार्ट के अनुमोदन में सर्जन/दंत चिकित्सक/पोडिआट्रिस्ट के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है। कई राज्य इस पेशे पर प्रतिबंध लगाते हैं और अस्पताल अक्सर यह विनियमित करते हैं कि सीआरएनए एवं अन्य मध्यस्तरीय प्रदाता स्थानीय कानून पर आधारित क्या कर सकते हैं या क्या नहीं कर सकते हैं, प्रदाता के प्रशिक्षण और अनुभव, तथा अस्पताल और चिकित्सक की प्राथमिकताएं.[२४]
ऐनेस्थेसिओलोजिस्ट सहायक
संयुक्त राज्य अमेरिका में, ऐनेस्थेसिओलोजिस्ट सहायक (एए (AA)) स्नातक स्तर के प्रशिक्षित विशेषज्ञ हैं जिन्होंने ऐनेस्थेसिओलोजिस्ट के निर्देशन के अंतर्गत संवेदनहीनता में संरक्षण प्रदान करने की विशेष शिक्षा और प्रशिक्षण प्राप्त किया है। आस (ऐनेस्थेसिओलोजिस्ट असिस्टेंट्स) आम तौर पर मास्टर डिग्री धारक होते हैं और ऐनेस्थेसिओलोजिस्ट के पर्यवेक्षण में लाइसेंस, प्रमाण-पत्र या चिकित्सक प्रतिनिधिमंडल के माध्यम से 18 राज्यों में चिकित्सकीय पेशा करते हैं।[२५]
ब्रिटेन में, ऐसे सहायकों के दल का हाल-फिलहाल मूल्यांकन किया गया है। ये चिकित्सक के सहायक (एनेस्थेसिया) फिजिशियंस असिस्टेंट (एनेस्थेसिया) (पीएए (PAA)) कहलाते हैं। उनकी पृष्ठभूमि नर्सिंग, ऑपरेटिंग विभाग अभ्यास, या दवा से संबद्ध कोइ अन्य पेशा अथवा विज्ञान स्नातक हो सकती है। प्रशिक्षण एक स्नातकोत्तर डिप्लोमा के रूप में है और इसे पूरा करने में 27 महीने लगते हैं। समाप्त होने पर, स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की जा सकती हैं।साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed]
संवेदनाहारी तकनीशियन
संवेदनहीनता तकनीशियन विशेष रूप से प्रशिक्षित जैव चिकित्सा तकनीशियन हैं, जो ऐनेस्थेसिओलोजिस्ट्स, नर्स ऐनेस्थेटिस्ट्स, एवं ऐनेस्थेसिओलोजिस्ट सहायक की उपकरण की निगरानी, आपूर्ति और ऑपरेटिंग कमरे में रोगी के संरक्षण की प्रक्रियाओं के साथ सहायता करते हैं। आमतौर पर ये सेवाएं सामूहिक रूप से पेरिओपरेटिव सेवाएं कहलाती हैं और इस प्रकार पेरिओपरेटिव सेवा तकनीशियन (पीएसटी) (PST) शब्दावली का प्रयोग विनिमेयता के अनुसार ऐनेस्थेसिया तकनीशियन के साथ किया जाता है।
न्यूजीलैंड में, एक एनेस्थेटिक तकनीशियन को न्यूजीलैंड एनेस्थेटिक तकनीशियन सोसायटी द्वारा मान्यता प्राप्त एक पाठ्यक्रम का अध्ययन पूरा करना पड़ता है।[२६]
ऑपरेटिंग विभाग के चिकित्सक
यूनाइटेड किंगडम में, आपरेटिंग विभाग के चिकित्सक एनेस्थेटिस्ट (एनेस्थिसियॉलॉजिस्ट) को सतर्कतापूर्वक सहयोग और सहायता प्रदान करते हैं।साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed] वे भी सर्जन के बगल में साथ रहकर शल्य प्रक्रिया और संवेदनहीनता से उभरते रोगियों को पोस्ट-ऑपरेटिव (ऑपरेशन के बाद) संरक्षण प्रदान कर सकते हैं। ओडीपी (ODP) (आउटडोर पेसेंट) ऑपरेटिंग विभाग, दुर्घटना और इमरजेंसी में पाया जा सकता है (उन्नत एयर वे सहायता प्रदान करना), सघन चिकित्सा इकाई, उच्च निर्भरता इकाई (हाई डिपेंडेंसी यूनिट) और विशेषज्ञ एमआरआई स्कैनर्स जिनमे संवेदनहीनता के कवच (कवर) की आवश्यकता होती है। वे अंग पुनर्प्राप्ति टीमों के साथ अंग प्रत्यारोपण सर्जरी में भी काम करते हैं और चोट पीड़ितों के लिए अस्पताल से पूर्व की देखभाल में भाग लेने समुदाय में शामिल होते हैं और इस काम को अंजाम देने के लिए उन्हें उन्नत विशेषज्ञ प्रशिक्षण शुरू करना होगा. वे ब्रिटेन में राज्य-पंजीकृत हैं और उनकी पदवी, आपरेटिंग डिपार्टमेंट प्रैकटिशनर एक संरक्षित पदवी है। ओडीपी एक तकनीशियन नहीं है लेकिन पेरी-ऑपरेटिव संरक्षण का चिकित्सक है। ओडीपी भी शिक्षण के क्षेत्र में व्याख्याता, पुनरुज्जीवन (फिर से होश में लाने) के प्रशिक्षक और ऑपेरेटिंग थिएटर विभागों के संचालन एवं प्रबंधन में वरिष्ठ पदों पर काम करते हैं।
पशुचिकित्सा ऐनेस्थेटिस्ट्स/ ऐनेस्थेसिओलोजिस्ट्स
पशुचिकित्सा ऐनेस्थेटिस्ट्स संवेदनहीनता के लिए बहुत कुछ उन्हीं उपकरण और दवाओं का उपयोग करते हैं जो मानव रोगियों को उपलब्ध कराए जाते हैं। पशुओं के मामले में, संवेदनहीनता प्रजातियों के अनुरूप फिट होना चाहिए जैसे घोड़े या हाथियों जैसे बड़े जमीनी जानवरों से लेकर पक्षियों और मछली जैसे जलीय प्राणियों के लिए. प्रत्येक प्रजाति के लिए आदर्श या कम समस्यात्मक, सुरक्षित संवेदनहीनता उत्प्रेरण के तरीके हैं। जंगली जानवरों के लिए, चेतनाशून्य करनेवाली औषधियों को एक दूरी से अक्सर दूरस्थ प्रोजेक्टर सिस्टम के माध्यम से दिया जाना चाहिए ("डार्ट बंदूकों" से) इससे पहले कि जानवर से संपर्क किया जा सके. बड़े घरेलू पशुएं, जैसेकि मवेशी, की सर्जरी अक्सर खड़े-खड़े ही केवल स्थानीय ऐनेस्थेटिक्स और शामक दवाओं के प्रयोग से ही संवेदनहीनता कर किया जा सकता है। जबकि अधिकांश नैदानिक पशु चिकित्सकों और पशु तकनीशियन नियमित रूप से अपने पेशेवर कर्तव्यों के दौरान ऐनेस्थेटिस्ट्स के रूप में कार्य करते हैं, परन्तु अमेरिका में पशुचिकित्सक ऐनेस्थेसिओलोजिस्ट्स वे पशुचिकित्सक हैं जो संवेदनहीनता में दो साल का आवासीय पाठ्यक्रम पूरा किया हो और अमेरिकी कॉलेज ऑफ़ वेटेरिनरी ऐनेस्थेसिओलोजिस्ट्स द्वारा योग्यता प्रमाणीकरण प्राप्त किया हो.
संवेदनाहारी (ऐनेस्थेटिक) एजेंट
संवेदनाहारी (ऐनेस्थेटिक) एजेंट वह औषधि है जो संवेदनहीनता की अवस्था लाती है। व्यापक विविध औषधियां आधुनिक संवेदनाहारी पेशे में व्यवहृत होती हैं। कई संवेदनहीनता के बाहर शायद ही कभी इस्तेमाल की जाती हैं, हालांकि दूसरों को आमतौर पर चिकित्सा के सभी विषयों में इस्तेमाल किया जाता है। ऐनेस्थेटिक्स (संवेदनाहारियों) को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है: सामान्य संज्ञाहारी (सामान्य संवेदनहीनता की प्रतिवर्ती हानि का कारण बनता है, जबकि स्थानीय संवेदनहीनता करनेवाली औषधि स्थानीय संवेदनहीनता और नशीली उत्प्रेरणा (नोसिसेप्शन) की प्रतिवर्ती हानि का कारण बनता है।
संवेदानाहारी (ऐनेस्थेटिक) उपकरण
आधुनिक संवेदनहीनता में, चिकित्सा उपकरणों की एक व्यापक विविधता बाहर कहीं भी आवश्यकता के आधार पर पोर्टेबल (वहनीय) उपयोग के लिए वांछनीय है, चाहे शल्यक्रिया में हो या गहन संरक्षण में सहायता करनी हो. संज्ञाहारी चिकित्सकों को विभिन्न चिकित्सा गैसों, संवेदनाहारी एजेंटों और वाष्पों (वेपर्स), चिकित्सा श्वास सर्किट और विविध प्रकार की संज्ञाहारी मशीन (वाष्पित्र (वेपोराइज़र्स), कृत्रिम सांस-संवातक और प्रेशर गाज सहित) और उनकी तदनुसार सुरक्षा सुविधाएं, खतरे और सुरक्षा के दृष्टिकोण से उपकरण के प्रत्येक टुकड़े की परिसीमा, नैदानिक क्षमता और दैनंदिन चिकित्सा में व्यावहारिक अनुप्रयोग के लिए उत्पादन एवं उपयोग में विषद और जटिल ज्ञान का होना आवश्यक है। संवेदनहीनता की शुरुआत के बाद से संज्ञाहारी उपकरण द्वारा संक्रमण का जोखिम एक समस्या की गई है। यद्यपि अधिकांश उपकरण जो मरीजों के संपर्क में आता है डिस्पोजेबल (उपयोग के बाद फ़ेंक देने लायक है), फिर भी स्वयं संवेदनाहारी मशीन से संक्रमण का जोखिम बना ही रहता है[२७] या फिर सुरक्षात्मक फिल्टर के माध्यम से जीवाणु के प्रवेश-पथ के कारण.[२८]
संवेदनाहारिता में निगरानी (ऐनेस्थेटिक मोनिटरिंग)
सामान्य संवेदनाहारिता के तहत इलाज किये जा रहे मरीजों की लगातार निगरानी की जानी चाहिए ताकि मरीज की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. ब्रिटेन में एसोसिएशन ऑफ़ ऐनेस्थेटिस्ट्स (AAGBI) ने सामान्य और क्षेत्रीय ऐनेस्थेसिया में निगरानी के लिए न्यूनतम दिशानिर्देश निर्धारित किए हैं। छोटी-मोटी सर्जरी के लिए, आम तौर पर इसमें (ईसीजी या नाड़ी की ओक्सिमेट्री के माध्यम से) दिल की धड़कन की दर, ऑक्सीजन संतृप्ति (नाड़ी की ओक्सिमेट्री के माध्यम से), गैर इनवेसिव रक्तचाप, उत्प्रेरित और उपयोग की समय-सीमा समाप्त हो गयी ऐसे गैसों (ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड और वाष्पशील एजेन्टों के लिए) निगरानी भी शामिल है। मध्यम से भारी सर्जरी के लिए निगरानी में तापमान, मूत्र उत्पादन, रक्त आक्रामक माप (धमनीय रक्तचाप, केंद्रीय शिरापरक दबाव), फुफ्फुसीय धमनीय दबाव और फुफ्फुसीय धमनीय अवरोधन दबाव, दिमागी गतिविधि (ईईजीविश्लेषण के माध्यम से), नयूरोमस्कुलर क्रियाशीलता (परिधीय तंत्रिका उत्प्रेरणा के माध्यम से निगरानी) और कार्डियक आउटपुट भी शामिल हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, ऑपरेटिंग कमरे के वातावरण की अवश्य निगरानी करनी चाहिए ताकि तापमान और नमी तथा श्वसनीय संवेदनहीनता से उच्छ्श्वसित क्षेत्र जो ऑपरेटिंग कमरे के कर्मियों के स्वास्थ्य को क्षीण कर सकते हैं।
संवेदनहीनता के रिकॉर्ड
संवेदनहीनता के रिकॉर्ड संज्ञाहारी चिकित्सा के दौरान घटनाओं का चिकित्सकीय और कानूनी प्रलेखन है।[२९] संज्ञाहारिता की अवधि के दौरान यह दवाओं, तरल पदार्थों और रक्त उत्पादों का जो दिए गए और पद्धतियां जो अपनाई गईं और इसमें हुई हृदय की प्रतिक्रियाओं का पर्यवेक्षण, रक्त की अनुमानित हानि, शरीर के तरल पदार्थों के मूत्रीय विकार और दैहिक क्रियाविज्ञान की देखरेख के डेटा (आंकड़े), (एनेस्थेटिक अवस्था की निगरानी) इन सबका सविस्तार और लगातार लेखा-जोखा पेश करता है। संवेदनहीनता के रिकॉर्ड को हाथ से कागज पर लिखा जा सकता है, फिर भी कागज के रिकॉर्ड को एनेस्थेसिया सूचना प्रबंधन प्रणाली (AIMS) के एक हिस्से के रूप में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के द्वारा तेजी से बदल दिया गया है।
संवेदनहीनता सूचना प्रबंधन प्रणाली (AIMS)
एक AIMS का सन्दर्भ उस सूचना प्रणाली से है जिसका प्रयोग एक स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक संवेदनहीनता रिकार्ड कीपर के रूप में किया जाता है (यानी, मरीज के दैहिक क्रियाविज्ञान पर निगरानी रखना तथा/अथवा संवेदनाहारी औषधि-मशीन के साथ संपर्क बनाए रखना) जो मरीज का संवेदनहीनता से संदर्भित प्राक-शल्यचिकित्सकीय डेटा संग्रहण और विश्लेषण का अवसर प्रदान करती है।
इन्हें भी देखें
- संवेदनहीनता की जानकारी
- संवेदनाहारी तकनीशियन
- संवेदनहीनता के दौरान प्रत्यूर्ज प्रतिक्रियाएं
- एएसए शारीरिक स्थिति वर्गीकरण प्रणाली
- कार्डियोथोरेसिक एनेस्थिसियोलॉजी
- संवेदनहीनता के दौरान ईईजी उपाय
- वृद्धावस्था संवेदनहीनता
- मरीज की सुरक्षा
- पैरीऑपरेटिव मृत्यु
- दूसरी गैस का प्रभाव
- बेहोश करने की क्रिया
नोट्स
बाहरी कड़ियाँ
- नर्स संज्ञाहारक के अमेरिकन संयोजन
- एनेस्थिसिओलोजिस्ट्स की अमेरिकन सोसायटी
- नर्स संज्ञाहारक के अंतर्राष्ट्रीय महासंघ
- ब्रिटिश एनेस्थेटिक और रिकवरी नर्सेस एसोसिएशन
- La SFAR Société Française d’Anesthésie et de Réanimation
- डीजीऍफ़ (DGF) ऑनलाइन: Deutsche Gesellschaft Für Fachkrankenpflege E.V
- Schweizerische Interessengemeinschaft für Anästhesiepflege - Fédération Fédération suisse des infirmiers anesthésistes (स्वीस फेडरेशन ऑफ़ नर्स एनेस्थेसिस्ट्स)
- Nederlandse Vereniging Van Anesthesie Medewerkers
- Riksföreningen för anestesi och intensivvård (स्वीडिश संयोजन के नर्स संज्ञाहारक और गहन चिकित्सा नर्सेस)
- अंतराष्ट्रीय निश्चेतना रिसर्च सोसायटी
- संवेदनहीनता के लिए ऑनलाइन एबीजी (ABG) कैलकुलेटर
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