शेहला राशिद
शेहला राशिद शोरा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पूर्व पी.एच.डी. शोधकर्ता रही है।[१] वह 2015-16 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ की उपाध्यक्ष थी और अखिल भारतीय छात्र संघ की सदस्या थी।[२][३][४] वह फरवरी 2016 के घटना के बाद, कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अन्य की रिहाई के लिए छात्र आंदोलन का नेतृत्व करते हुए प्रमुखता से उठी।[५][६][७][८] उसने 'गैर-नेट फेलोशिप' की वापसी के विरोध में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी.) मुख्यालय में ऑक्यूपाई यू.जी.सी. आंदोलन' के आयोजन में अग्रणी भूमिका निभाई।[९] उसने स्नातक छात्र वजीफे में वृद्धि के लिए मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार तक विरोध मार्च का नेतृत्व किया।[१०][११]
16 फरवरी 2019 को शेहला ने एक ट्वीट पोस्ट किया जिसमें कहा कि कश्मीरी लड़कियों के एक समूह को उनके निष्कासन की मांग करने वाली भीड़ द्वारा देहरादून के एक छात्रावास में फंसा रखा गया है। बाद में उत्तराखंड पुलिस ने सार्वजनिक शांति भंग करने और अफवाहें फैलाकर शांति भंग करने के इरादे से उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।[१२] वह कुछ समय के लिए 17 मार्च 2019 को शाह फैसल द्वारा स्थापित जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट राजनीतिक दल में शामिल हो गई थी।[१३][१४]
सन्दर्भ
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