शीला बालाकृष्णन
डॉ शीला बालाकृष्णन एक प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञा हैं।[१][२] उन्होंने प्रसूति और स्त्री रोग पर तीन पुस्तकों लिखी हैं। वह वर्तमान में प्रसूति और स्त्री रोग विभाग, शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय, त्रिवेन्द्रम में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर काम क्र रही हैं। उन्होंने एमडी और डीएनबी त्रिवेंद्रम मेडिकल कॉलेज से की है। [३] उन्हें 1994 में रॉयल कॉलेज ऑफ ओब्सटेटरिशियनज़ एंड गाईनेकोलोजिस्टस द्वारा सदस्यता से सम्मानित किया गया था और 2008 में फैलोशिप से सम्मानित किया गया था। वह राष्ट्रमंडल छात्रवृत्ति पुरस्कार, यूनाइटेड किंगडम प्राप्तकर्ता हैं।[३] वह प्रसूति और स्त्री रोग सोसायटी ऑफ इंडिया (FOGSI) संघ और इंडियन कालेज ऑफ़ ओब्सटेटरिशियनज़ एंड गाईनेकोलोजिस्टस के सदस्य हैं। वर्तमान में वह FOGSI के गर्भनिरोधक और चिकित्सा विकारों समिति के सदस्य हैं। नवंबर 2013 में, उनके द्वारा निर्देशित मेडिकल टीम ने दक्षिण भारत में पहली बार त्रिवेन्द्रम मेडिकल कालेज अस्पताल में इन विट्रो निषेचन से हुए बच्चों के जन्म की घोषणा की। [४] वह तीन किताबें, टेक्सटबुक ऑफ़ ओब्सटेटरिक्स,[५] टेक्सटबुक ऑफ़ गाईनेकोलोजी [६] और क्लीनिकल केस डिसकशन इन ओब्सटेटरिक्स एंड गाईनेकोलोजी प्रकाशित की हैं और कई शोध पत्र भी प्रकाशित किये हैं।