शिक्षा विभाग
भारत में शिक्षा विभाग की स्थापना करीब सौ वर्ष पहले हुई थी। देश की स्वतंत्रता के पहले सन 1910 में शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षा विभाग का गठन किया गया था। हालांकि 15 अगस्त सन 1947 को स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरंत बाद 29 अगस्त सन 1947 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत पूर्ण रूप से शिक्षा को समर्पित 'शिक्षा विभाग' की स्थापना फिर से की गई। हालांकि इस विभाग के नाम कार्यप्रणाली और जिम्मेदारियों में स्वतंत्रता के बाद भी समय-समय पर कई बदलाव किए जाते रहे हैं। वर्तमान में मंत्रालय के पास शिक्षा के दो विभाग हैं:
केंद्र सरकार ने अपनी अगुवाई में शैक्षिक नीतियों एवं कार्यक्रम बनाने और उनके क्रियान्वयन पर नजर रखने के कार्य को जारी रखा है। इन नीतियों में सन् 1986 की राष्ट्रीय शिक्षा-नीति (एनपीई) तथा वह कार्यवाही कार्यक्रम (पीओए) शामिल है, जिसे सन् 1992 में अद्यतन किया गया। संशोधित नीति में एक ऐसी राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली तैयार करने का प्रावधान है जिसके अंतर्गत शिक्षा में एकरूपता लाने, प्रौढ़शिक्षा कार्यक्रम को जनांदोलन बनाने, सभी को शिक्षा सुलभ कराने, बुनियादी (प्राथमिक) शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने, बालिका शिक्षा पर विशेष जोर देने, देश के प्रत्येक जिले में नवोदय विद्यालय जैसे आधुनिक विद्यालयों की स्थापना करने, माध्यमिक शिक्षा को व्यवसायपरक बनाने, उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विविध प्रकार की जानकारी देने और अंतर अनुशासनिक अनुसंधान करने, राज्यों में नए मुक्त विश्वविद्यालयों की स्थापना करने, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषदको सुदृढ़ करने तथा खेलकूद, शारीरिक शिक्षा, योग को बढ़ावा देने एवं एक सक्षम मूल्यांकन प्रक्रिया अपनाने के प्रयास शामिल हैं। इसके अलावा शिक्षा में अधिकाधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु एक विकेंद्रीकृत प्रबंधन ढांचे का भी सुझाव दिया गया है। इन कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में लगी एजेंसियों के लिए विभिन्न नीतिगत मानकों को तैयार करने हेतु एक विस्तृत रणनीति का भी पीओए में प्रावधान किया गया है।
बाहरी कड़ियाँ
https://web.archive.org/web/20110902233054/http://bharat.gov.in/sectors/education/index.php