शांति स्तूप दार्जिलिंग

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शांति स्तूप दार्जिलिंग

शांति स्तूप दार्जिलिंग भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के दार्जिलिंग जिले में स्थित हैा यह दार्जिलिंग हिमालय रेलवे से 2.5 किमी की दूरी, जलपहाड़ पहाड़ी के ढलान पर स्थित हैा यह दार्जिलिंग में सबसे लोकप्रिय आकर्षणों में से दुनिया भर में निर्मित 70 से अधिक शांति स्तूपों में से एक हैा[१]

इतिहास

शांति स्तूप की स्थापना एक जापानी बौद्ध भिक्षु निकिडत्सु फ़ूजी के देखरेख में किया गया था। निप्पोनजन मिहोजी बौद्ध धर्म आदेश के संस्थापक और उपदेशक थे। वह महात्मा गाँधी के करीबी सहयोगी जिन्होंने 1945 में हुए जनसंहार हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु बम की त्रासदी को देखी थी। शांति स्तूप शिवालय की आधारशिला 3 नंवबर 1972 को निकिडत्सु फ़ूजी ने रखी और 1 नंवबर 1992 को इसका उद्घाटन किया गया। शांति स्तूप को एम. ओका द्वारा डिजाइन हुए तथा इस कार्य को 36 महीनों में संम्पण किया गाया था।[२]

मंदिर

शांति स्तूप में बुद्ध की चार चमकदार और सोने की पालिश की हुई मुर्तियाँ हैा इसके अलावा, मंदिर की दिवारों में आठ बलुआ पत्थर की नक्काशी कि हुई है, जो गौतम बुद्ध के जीवन के विभिन्न चरणों से अलग-अलग कहानियों को दर्शाती हैा यह समाज के विभिन्न जातियों और धर्मों के लोगों के बीच एकता, सद्भाव और शांति का संदेश फैलाने के लिए स्थापित किया गाया था।[३]

यह दो मंजिला मंदिर एक पांरपरिक जापानी शैली की वस्तुशिल्प डिजाइन को दर्शाता हैा इस मंदिर के ठीक बगल में एक शांति शिवालय है जो बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध के चार अवतारों को दर्शाता हैा पैगोडो की ऊँचाई 28.5 मीटर (94 फीट) और व्यास 23 मीटर (75 फीट) हैा यह शिवालय दार्जिलिंग के जलपहाड़ पहाड़ियों की ढलान पर स्थित है, जो दार्जिलिंग शहर से कुछ किलोमीटर दूर हैा शिवालय के शिर्ष से कंचनजंगा चोटी सहित दार्जिलिंग परिदृश्य का मनोरम दृश्य मिलता हैा दार्जिलिंग में घुमने के लिए यह सबसे अच्छी जगहों में से एक हैा[४]

दिशानिर्देश

जपानी मंदिर और शांति स्तूप दार्जिलिंग शहर के केंद्र से 10 मिनट दूर हैा मंदिर परिसर के मुख्य द्वार से प्रवेश करने से पहले कार पार्क करना पड़ता हैा इसके बाद एक संकीर्ण सड़क के साथ मुख्य द्वार से लगभग 5-6 मिनट तक चलना होगा जो पहले ढलान पर औऱ फिर ऊपर की ओर जाता हैा रास्ते के दाहिने ओर कुछ छोटे-छोटे घर और लहरता हुआ पतका दिखेगा उसके साथ चलते हुए दूसरे प्रवेश द्वार पर पहुँच जा सकता हैा उसके बाद लकड़ी के सीढ़ियों से चलकर प्रार्थना कक्ष में पहुँचा जा सकता हैा[५]

प्रवेश

मंदिर रोजाना सुबह 4.30 से शाम 7 बजे तक खुला रहता हैा मंदिर प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ता हैा प्रार्थना का समय सुबह 4.30 से 6 बजे तक और शाम 4.30 से 6.30 बजे तक हैा[६][७]

चित्र दीर्घा

सन्दर्भ

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