शहरी भूमि सीलिंग अधिनियम
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शहरी भूमि सीलिंग अधिनियम भारत में १९७६ में पारित किया गया था। यह अधिनियम शहरी विकास पर एक बड़ी बाधा है, अतः कई राज्यों ने इसे हटा दिया है, जैसे कि गुजरात और महाराष्ट्र| हालांकि, वहाँ अभी भी भवनों के लिए भूमि की निकासी के लिए आवश्यक प्रक्रिया में काफी भ्रम की स्थिति है, क्योंकि कानून के निरस्त होने का जमीनी तोर पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है। महाराष्ट्र सरकार ने आम लोगों के लिए कम लागत के आवास उपलब्ध कराने के लिए इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत जमीन के बड़े हिस्सों को खरीदा है। निरस्त की पूर्व शर्त के अनुसार राज्य सरकारों को जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत अनुदान करना था, जिसका इस्तेमाल प्रमुख बुनियादी विकास परियोजनाओं के लिए होगा।
यह भारतीय संविधान-सम्बन्धित लेख अपनी प्रारम्भिक अवस्था में है, यानि कि एक आधार है।
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