शंकर लक्ष्मण
शंकर लक्ष्मण (7 जुलाई 1933 - 29 अप्रैल 2006)[१] एक भारतीय हॉकी खिलाड़ी थे। वह 1956, 1960 और 1964 के ओलंपिक में भारतीय टीम के गोलकीपर थे, जिन्होंने दो स्वर्ण पदक और एक रजत पदक जीता। [२]वह एक अंतर्राष्ट्रीय हॉकी टीम के कप्तान बनने वाले पहले गोलकीपर थे और उन्हें भारत सरकार द्वारा अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। हॉकी इंडिया ने पहले अपने वार्षिक सम्मान समारोह में उन्हें ध्यानचंद लाइफटाइम अचीवमेंट पुरूस्कार से सम्मानित किया था।
व्यक्तिगत जीवन
शंकर का जन्म 7 जुलाई 1933 को मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के इंदौर जिले के एक छोटे से छावनी शहर महू में हुआ था।[३] वह वर्ष 1947 में एक बैंडमैन के रूप में भारतीय सेना में शामिल हुए। उन्होंने मराठा लाइट इन्फैंट्री की 5 वीं बटालियन में सेवाएं दी। 1979 में वह सेना से सेवानिर्वृतय होते समय कॅप्टन पद पर थे। उनकी पत्नी का नाम शांति बाई एवं पुत्र का नाम मनोहर है।[४] 29 अप्रैल 2006 में शंकर लक्ष्मण की पैर में गैंग्रीन होने की वजह से आखिरी सांस ली।[५]
खेल कैरियर
शंकर ने अपने खेल करियर की शुरुआत एक फुटबॉलर के रूप में की थी। सेना में शामिल होने के बाद, उन्होंने फुटबॉल की जगह हॉकी खेलना शुरू किया। 1955 में सेना में सर्विसेज के लिए खेलना शुरू किया। उन्होंने अपने गोलकीपिंग के लिए प्रशंसा अर्जित की और भारतीय राष्ट्रीय हॉकी टीम के लिए चुने गए। 1968 में उन्होंने खेलों से सन्यास ले लिया।