शंकर महाले

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शंकर महाले
Saheed Shankar Mahale.jpg
Born
शंकर दाजीबा महाले

18 January 1925
नवाबपुरा, नागपुर
Died19 January 1943(1943-01-19) (उम्र साँचा:age)
नागपुर केन्द्रीय कारागार, नागपुर
Cause of deathफाँसी
Employerसाँचा:main other
Organizationसाँचा:main other
Agentसाँचा:main other
Known forभारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लेने के लिये
Notable work
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शंकर महाले (18 जनवरी, 1925 – 19 जनवरी 1943) भारतीय स्वतंत्रता के क्रान्तिकारी थे। वे खुदीराम बोस के बाद सबसे कम आयु के भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्हें अंग्रेजों ने फाँसी दी।

शंकर ने चौथी कक्षा तक की शिक्षा पायी थी। जब १९४२ का भारत छोड़ो आन्दोलन आरम्भ किया गया तो शंकर ने इसमें भाग लिया। क्रान्ति में भाग लेने के साथ ही आजीविका के लिये वे नागपुर के एक कारखाने में श्रमिक श्रमिक का काम करते थे।

अंग्रेजों की सत्ता के विरुद्ध सन १९४२ में जब करो या मरो का आह्वान किया गया तो नागपुरवासी भी इस आन्दोलन में शामिल हुए। विरोध प्रदर्शन के दौरान अंग्रेजों की गोलीबारी में दादाजी महाले शहीद हुए। इसके बाद उनके पुत्र 17 वर्षीय शंकर महाले ने क्रांति की ज्वाला प्रज्वलित रखी। शंकर व उसके साथियों ने चिटणवीसपुरा पुलिस चौकी पर हमला किया। इसमें एक अंग्रेज पुलिस जवान मारा गया। पुलिस चौकी जलाकर अस्त्र लूट लिए गए। पश्चात अंग्रेजों ने शंकर समेत 13 क्रांतिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। इनमें से 5 युवाओं को नागपुर कारागृह में फांसी दी गई।[१]

आजादी के बाद राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज के सहकार्य से प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा 13 फरवरी 1962 को शहीद शंकर महाले की याद में महल के झंडा चौक में स्थापित प्रतिमा का अनावरण किया गया।

सन्दर्भ

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