वैश्विक दीप्तिमंदकता
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वैश्विक धुँधलापन (साँचा:lang-en) जिसे ग्लोबल डिमिंग या सार्वत्रिक दीप्तिमंदकता भी कहते हैं, पृथ्वी की सतह पर वैश्विक प्रत्यक्ष ऊर्जा मान की मात्रा में क्रमिक रूप से आयी कमी से संबंधित है। यह पृथ्वी की सतह तक पहुँचने वाले सूर्य के प्रकाश की मात्रा में गिरावट को दर्शाता है। इसका मुख्य कारण वातावरण में मानवीय क्रियाकलापों से गंधक कण जैसे कणों की उपस्थिति को माना जाता है। चूंकि वैश्विक धुँधलेपन के प्रभावस्वरूप शीतलन की अवस्था भी देखी गयी है इसलिए माना जाता है कि यह वैश्विक तापन के प्रभाव को अंशतः कम कर सकता है।
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