वेलु नचियार
रानी वेलु नचियार स्मारक | |
---|---|
[[Image:|225px]] | |
जन्म |
०३\०१\1730 रामनाथपुरम, तमिलनाडु, भारत |
मृत्यु |
२५\१२\1796 |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
वेलु नचियार (३ जनवरी १७३०- २५ दिसम्बर १७९६) साल १७८०-१७९० के समय में शिवगंगा रियासत की रानी थी। वह भारत में अंग्रेज़ी औपनिवेशिक शक्ति के खिलाफ लड़ने वाली पहली वीरांगना थी। उन्हें तमिलनाडु में "वीरमंगई" नाम से भी जाना जाता हैं।
जीवनी
वेलु नचियार रामनाथपुरम राज्य की राजकुमारी व रामनाद साम्राज्य के राजा चेल्लामुतहू विजयाराघुनाथ सेतुपति और रानी सक्धिममुथल सेतुपति की एकमात्र संतान थी। वह चोलो के कश्यपगोत्रम की तरह सुर्यवाम्सम की वंशज थी। उनका पालन-पोषण बिलकुल राजकुमारों की तरह किया गया था। उहोने बचपन से ही घुड़सवारी, तीरंदाजी, तलवारबाजी और मार्शल आर्ट्स विधिवत शिक्षा ली थी। अस्त्र-शस्त्र के साथ ही उन्होंने विभिन्न भाषाएँ जैसे- फ्रेंच, अंग्रेज़ी और उर्दू का भी ज्ञान था। उनका विवाह शिवगंगा के राजा मुथुवादुग्नाथापेरिया उदायियाथेवर से हुआ था। उनकी एक पुत्री भी थी।
महिला सेना का निर्माण
साल १७८० में मैसूर के सुल्तान, हैदर अली की सहायता से बनाई गयी सेना के साथ उन्होंने अंग्रेजो से लोहा लिया। नचियार ने अंग्रेज़ी "ईस्ट इंडिया कंपनी" के शिकंजे से अपने राज्य को बहुत ही पराक्रम से निकला था। रानी वेलु नचियार वह पहली महिला क्रन्तिकारी रानी थी जिन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी थी। उसके बाद उन्होंने अंग्रेज़ी शक्तियों से लड़ने के लिए व अपनी पुत्री की याद में एक सशक्त महिला सेना तैयार की थी जिसका निधन अंग्रेजो से लड़ाई के दौरान हो गया था। ऐसा माना जाता हैं क मानव बम का उपयोग सबसे पहले उन्होंने ही किया था। उन्होंने करीब १० सालो तक अपने राज्य पर शासन किया और साल १७९६ में बीमारी के कारण उनका निधन हो गया।