वीरभद्र सिंह

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वीरभद्र सिंह
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पद बहाल
दिसंबर २५, २०१२ – दिसंबर २५, २०१७
पूर्वा धिकारी प्रेम कुमार धूमल
उत्तरा धिकारी जयराम ठाकुर
चुनाव-क्षेत्र शिमला ग्रामीण[१]
पद बहाल
८ अप्रैल १९८३ – ५ मार्च १९९०
पूर्वा धिकारी ठाकुर राम लाल
उत्तरा धिकारी शांता कुमार
चुनाव-क्षेत्र रोहड़ू
पद बहाल
३ दिसम्बर १९९३ – २४ मार्च १९९८
पूर्वा धिकारी शांता कुमार
उत्तरा धिकारी प्रेम कुमार धूमल
चुनाव-क्षेत्र रोहड़ू
पद बहाल
६ मार्च २००३ – ३० दिसम्बर २००७
पूर्वा धिकारी प्रेम कुमार धूमल
उत्तरा धिकारी प्रेम कुमार धूमल
चुनाव-क्षेत्र रोहड़ू

पद बहाल
२००९ – २०१२

लघु और मझौले उद्यम मंत्री
पद बहाल
१९ जनवरी २०११ – २६ जून २०१२
पूर्वा धिकारी दिनशा पटेल
उत्तरा धिकारी विलासराव देशमुख

पद बहाल
२८ मई २००९ – १८ जनवरी २०११
पूर्वा धिकारी राम विलास पासवान
उत्तरा धिकारी बेनी प्रसाद वर्मा

पद बहाल
सितम्बर १९८२ – अप्रैल १९८३

पर्यटन मंत्रालय पर्यटन राज्य मंत्री, नागर विमानन
पद बहाल
दिसंबर १९७६ – मार्च १९७७

जन्म साँचा:br separated entries
मृत्यु साँचा:br separated entries
राष्ट्रीयता भारतीय[१]
राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस[१]
जीवन संगी प्रतिभा सिंह[१]
बच्चे अपराजिता सिंह और विक्रमादित्य सिंह
निवास होली लॉज, शिमला
शैक्षिक सम्बद्धता बीए (ऑनर्स), एमए, बिशप कॉटन स्कूल, शिमला और सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली[१]
धर्म हिन्दू
हस्ताक्षर
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वीरभद्र सिंह (जन्म २३ जून १९३४ - ८ जुलाई २०२१) भारत गणराज्य के राज्य हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री थे। वीरभद्र सिंह छ: बार[२] हिमाचल प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री रहे। मनमोहन सिंह के नेतृत्व में २८ मई २००९ को इस्पात मंत्री बनाए गये थे।[१] वह १९६२, १९६७, १९७२, १९८० और २००९ में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। 87 साल के वीरभद्र सिंह ने 8 July 2021 शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में अंतिम सांस ली। उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। दो बार कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद भी वीरभद्र सिंह 23 अप्रेल से इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में भर्ती थे।

राजनीतिक जीवन

वीरभद्र सिंह १९८३ से १९९० तक, १९९३ से १९९८ तक और २००३ से २००७ तक हिमाचल प्रदेश राज्य के भी छ बार मुख्यमंत्री रहे। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे।
वे आठ बार विधायक, छ बार प्रदेश के मुख्यमंत्री और पांचवीं बार लोकसभा में बतौर सांसद रह चुके हैं और पिछले आधे दशक में वे कोई चुनाव नहीं हारे। वीरभद्र सिंह १९६२. १९६७, १९७२, १९८० और २००९ में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। इसके अलावा वे १९८३, १९८५, १९९०, १९९३, १९९८, २००३, २००७ तथा २०१२ में विधायक रहे। १९८३,१९८५, १९९३, १९९८, २००३ और २०१२ में उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। अपने ४७ वर्षों के राजनैतिक सफ़र के दौरान उन्होंने १३ चुनाव लड़े और सभी जीते। वह हिमाचल कांग्रेस के चार बार अध्यक्ष भी रह चुके हैं।[१]

वरिष्ठता के क्रम और हिमाचल प्रदेश के अकेले सांसद होने के कारण २२ मई २००९ को मनमोहन सिंह के नेतृत्व में बनने वाली केंद्र सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। वो इस्पाल मंत्रालय बनाए गये थे। इससे पहले भी वीरभद्र सिंह १९७६ से १९७७ तक केंद्र में नागरिक उड्डयन तथा पर्यटन राज्यमंत्री और १९८२ से १९८३ तक केंद्र में उद्योग राज्यमंत्री रहे हैं। [३] वीरभद्र सिंह भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे हुए हैं। वीरभद्र पर आरोप है कि उन्होने एक परियोजना के लिए एक निजी बिजली कंपनी को विस्तार देने के एवज में ‘रिश्वत’ ली है। [४]

87 साल के वीरभद्र सिंह ने 8 July 2021 शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में अंतिम सांस ली।

जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव

कैबिनेट मंत्री, २००९

श्री वीरभद्र सिंह को भारत सरकार की पंद्रहवीं लोकसभा के मंत्रीमंडल में इस्पात मंत्रालय में मंत्री बनाया गया है।

सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियां

राजनीति के अलावा सिंह ने विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक निकायों के साथ भागीदारी की है। वह संस्कृत साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष और सोवियत संघ के मित्र[१] की हिमाचल प्रदेश शाखा के अध्यक्ष रहे हैं।[३]

सन्दर्भ

साँचा:reflist5. Virbhadra Singh Passes Away: नहीं रहे हिमाचल प्रदेश के 6 बार CM बनने वाले नेता वीरभद्र सिंह

  1. साँचा:cite web
  2. साँचा:cite news
  3. साँचा:cite web
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