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  • १६:३०, ३१ जनवरी २०२२ अन्तर इतिहास +१०,१४६ दानचौराकन्हावत ग्रन्थ की ये पाण्डुलिपि 1856 ईस्वी में देल्ही मोहम्डन कालेज के तत्कालीन प्रिंसिपल प्रोफेसर स्प्रिंगर जब अपने देश जर्मनी वापस गए तब अपने साथ ले गए जो आज भी बर्लिन के नेशनल म्यूजियम में राखी हुई है । पटना संग्रहालय के पूर्व निदेशक डा० परमेश्वरी लाल गुप्त ( अब स्वर्गीय ) ने बड़े जतन के साथ इस हस्तलिखित ग्रन्थ की माइक्रोफिल्म प्राप्त कर इस पर शोध प्रबंध प्रकशित किया। वर्तमान