वासरमान परीक्षण

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वासरमान प्रतिक्रिया (Wassermann reaction) रुधिर परीक्षण की एक ऐसी प्रतिक्रिया है जिससे पता लगता है कि कोई व्यक्ति उपदंश रोग (सिफलिस) से आक्रांत है या नहीं। उपदंश रोग स्पाइरोकीट नामक दंडाणु से उत्पन्न होता है। इस प्रतिक्रिया का पता लगानेवाले जर्मन प्राध्यापक ऑगस्टवॉन वासरमान (१८६६-१९२५ ई.) थे जिन्होंने इस प्रतिक्रिया का १९०६ ई. में आविष्कार किया।

ऑगस्टवॉन वासरमान (फरवरी, सन्‌ १८६६ से मार्च, सन्‌ १९२५) ओषधि के जर्मन प्रोफेसर और अनुसंधानकर्ता थे ये डाक्टरी भी करते थे। ये बार्लिन-डेल्हम के कैसर विलहेल्म इंस्टिट्यूट में निदेशक हो गए थे। इन्होंने मेडिकल विषयों पर अनेक महत्व के लेख लिखे हैं। इन्हीं के नाम पर रुधिर की प्रतिकिया का नाम पड़ा, जो वासरमान प्रतिक्रिया के नाम से ज्ञात है। इस प्रतिक्रिया में रुधिर का परीक्षण किया जाता है जिससे पता लगता है कि रोगी उपदंश रोग से आक्रांत है या नहीं। उपदंश रोग एक दंडाणु स्पाइरोकीट से उत्पन्न होता है। उपदंशग्रस्त रोगी के रुधिर में एक प्रोटीन रहता है जिसे एंटीबॉडी कहते हैं। उपदंशग्रस्त मानव ऊतक के जलीय निष्कर्ष में यह एंटीबॉडी रहता है। इस प्रतिक्रिया का अनेक रोगियों के निदान में प्रयोगशालाओं में परीक्षण हुए हैं। यदि ठीक से यह परीक्षण किया जाए तो ९५ प्रतिशत रोगियों में रोग की पहचान हो जाती है।

यदि रोगी उपदंश से ग्रस्त है, तो उसके रुधिर में "एंटीबॉडी' बनता है जो रोगाणु का प्रतिरोध करता है। यदि रोगी उपदंश से आक्रांत है, तो उससे प्रतिक्रिया धनात्मक (+) होती है। यदि उपदंश से आक्रांत नहीं है, तो प्रतिक्रिया नकारात्मक होती है। यह प्रतिक्रिया शत-प्रति-शत निश्चित नहीं है। ९५% आक्रमण में यह धनात्मक प्रतिक्रिया देती है। इस प्रतिक्रिया में पर्याप्त सुधार हुए हैं और अब पता लगता है कि कुछ अन्य रोगों में भी इससे धनात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त होती है। ऐसे रोग हैं कुष्ठ, कैंसर, मलेरिया, पुरातन कालाजार, निद्रारोग इत्यादि। अत: केवल वासरमान प्रतिक्रिया से उपदंश रोग होने की बात निश्चित रूप से नहीं कही जा सकती है। पर इस परीक्षण से यह पता अवश्य लगता है कि उपदंश से आक्रांत रोगी को आराम हो गया है या नहीं। आराम हो जाने पर क्रिया अवश्य ही ऋणात्मक होगी।

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