वामन श्रीनिवास कुडवा
Vaman Srinivas Kudva | |
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V. S. Kudva | |
जन्म |
Mulky Vaman Kudva 9 जून 1899 Mulky |
मृत्यु |
30 जून 1967 Mangalore |
मृत्यु का कारण | Cardiac arrest |
स्मारक समाधि | Mangalore |
राष्ट्रीयता | भारतn |
जातीयता | Gowda Saraswath Brahmin |
नागरिकता | भारतn |
व्यवसाय | Industrialist |
गृह स्थान | Mangalore |
धार्मिक मान्यता | Hindu |
जीवनसाथी | Shantha Kudva |
बच्चे | 5 sons, 1 daughter |
अंतिम स्थान | Mangalore |
वामन श्रीनिवास कुडवा (कोंकणी में: ವಾಮನ್ ಶ್ರೀನಿವಾಸ್ ಕುಡ್ವ (9 जून 1899 - 30 जून 1967), जो वी.एस. कुडवा के नाम से भी लोकप्रिय थे, सिंडीकेट बैंक के संस्थापक निदेशक थे।[१][२]
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
1899 में, कुडवा मुल्की के एक रूढ़िवादी और पारंपरिक गौड़ा सारस्वत ब्राह्मण (जीएसबी/GSB) परिवार (परिवार को मुल्की कुडवा के नाम से जाना जाता था) में पैदा हुए थे। उनके पिता श्रीनिवास रामचंद्र कुडवा एक छोटी सी हथकरघा इकाई के मालिक थे और उस समय साइकिल का प्रयोग काम पर जाने के लिए करते थे, जब मुल्की में कोई कारों के विषय में नहीं जानता था। सरल परिवेश में पले बढ़े कुडवा ने अपनी प्राथमिक स्कूली शिक्षा मुल्की तथा हाई स्कूल की शिक्षा उडुपी से ग्रहण की। उन्होनें स्कूल में होने वाली बहस प्रतियोगिताओं में सक्रिय रूप से भाग लिया और वे अंग्रेजी और कन्नड दोनों भाषाओँ के एक अच्छे लेखक थे।
1908 में उनके पिता उडुपी चले गए और वहां एक हार्डवेयर की दुकान खोली, जहां कुडवा ने अपना खाली समय बिताया. 1918 में उन्होनें गवर्नमेंट कॉलेज, मैंगलोर से इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण की और मुंबई चले गए तथा विक्टोरिया जुबली तकनीकी संस्थान (वीजेटीआई (VJTI)), बम्बई में मैकेनिकल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में दाखिला ले लिया। 3 वर्षों तक शीर्ष क्रम के छात्र के रूप में रहने के पश्चात्, महात्मा गांधी के असहयोग आन्दोलन के परिणामस्वरूप, उन्होनें पढ़ाई छोड़ दी और उडुपी लौट गए। अंग्रेजी सहायता प्राप्त स्कूलों का स्थान लेने के गांधी जी के आन्दोलन के तहत कांग्रेस पार्टी द्वारा शुरू किए गए एक राष्ट्रीय स्कूल में उन्होनें स्वयंसेवक शिक्षक के रूप में काम किया।
सीपीसी कंपनी लिमिटेड में नियुक्ति
1922 से 1926 तक उन्होनें इंजीनियरिंग की एक कार्यशाला चलाई, तथा 1926 में केनरा पब्लिक कन्वेयंस कम्पनी लिमिटेड के तत्कालीन प्रबंध निदेशक वी.एस. कामथ के बुलावे के जवाब में वे मैंगलोर चले गए (सीपीसी कम्पनी लिमिटेड) और इसके निर्माण प्रबंधक का पदभार संभाला. 1928 में उन्होंने कामथ की बेटी से शादी की। 1932 में कामथ की मृत्यु के पश्चात् वे इसके महाप्रबंधक बने। 1938 में वे कंपनी के प्रबंध निदेशक चुने गए और 1966 तक इस पद पर बने रहे। उनके कार्यकाल के दौरान, सीपीसी (CPC) कंपनी लिमिटेड ने उन्नति व समृद्धि हासिल की और देश में बड़ा नाम कमाया.
नए उद्योगों की शुरुआत
कुडवा जानते थे कि रोजगार प्रदान करने के लिए और लोगों की उद्यमी भावना को बनाए रखने के लिए अधिक से अधिक उद्योगों की स्थापना की जानी चाहिए। 1938 में केनरा सेल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड तथा 1941 में केनरा मोटर एंड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की स्थापना द्वारा उन्होनें अपनी धारणा को व्यवहारिक रूप दिया।
1943 में उन्होनें द केनरा वर्कशॉप्स लिमिटेड की स्थापना की और 1950 में उन्होनें केनरा स्प्रिंग्स ब्रांड नाम से ऑटोमोबाइल लीफ स्प्रिंग का निर्माण शुरू किया। उत्तरी भारत में बढ़ती हुई मांग को देखते हुए उन्होनें नागपुर में एक और कारखाना खोला. 60 के दशक में विभिन्न समस्याओं के चलते यह इकाई बंद हो गई थी।
इससे पहले देश में लीफ स्प्रिंग के कच्चे माल, स्प्रिंग स्टील फ़्लैट का आयात किया जाता था। 60 के दशक के अंत में कुडवा ने देश के भीतर आवश्यक स्प्रिंग स्टील के निर्माण के लिए एक मिनी इस्पात संयंत्र लगाने की आवश्यकता महसूस की। इसे ध्यान में रखते हुए 5 मीट्रिक टन इलेक्ट्रिक आर्क भठ्ठी, स्टील बिलेट की ढलाई के लिए एक ऊर्ध्वाधर निरंतर ढलाई मशीन और एक रोलिंग मिल सहित एक मिनी इस्पात संयत्र की संकल्पना की गई।
1963 में मंगलौर में यह इस्पात संयंत्र लगाया गया था और प्रारंभिक उत्पादन संबंधित समस्याओं को सुलझाने के एक वर्ष बाद इस्पात का उत्पादन शुरू किया गया। अपने लगाए जाने के समय यह निरंतर ढलाई मशीन भारत में अपने तरह की पहली मशीन थी।[३]
1947 में उन्होनें केनरा टायर एंड रबर वर्क्स लिमिटेड की शुरुआत की। उन्होंने कई अन्य परिवहन इकाइयों को शुरू किया और उसका प्रबंधन भी किया। कानून द्वारा अनिवार्य बनने से पहले से ही उनकी कंपनियों में कर्मचारियों को बोनस, ग्रेच्युटी, पेंशन लाभ दिए गए थे।
पत्रकारिता के क्षेत्र में रूचि
अपने छात्र जीवन के दौरान ही कुडवा की पत्रकारिता के क्षेत्र में दिलचस्पी थी। 1922 में उन्होनें कन्नड़ साप्ताहिक "सत्याग्रही" का संपादन किया। 1923 से 1934 तक उन्होनें कन्नड़ साप्ताहिक "स्वदेशाभिमानी' के संपादक के रूप में काम किया।
वह राज्य पत्रकार सलाहकार समिति के सदस्य थे। 1941 में उन्होंने द न्यूज़पेपर पब्लिशर्स प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की, जिसने उस समय कन्नड़ भाषा के दैनिक अख़बार "नवभारत" का प्रकाशन किया। इसके संपादक के रूप में उन्होंने कन्नड़ पत्रकारों का सम्मान अर्जित किया और मैंगलोर में अखिल कर्नाटक पत्रकार सम्मेलन का भी आयोजन किया।
सामाजिक नेता
मणिपाल के टी.एम.ए. पाई और उपेन्द्र अनंत पाई के साथ कुडवा सिंडिकेट बैंक के संस्थापक निदेशकों में से एक थे, जो उस समय केनरा इंडस्ट्रियल एंड बैंकिंग सिंडिकेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता था।
1948 में वे केनरा चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज़, दक्षिण केनरा के अध्यक्ष चुने गए और अगले 3 वर्षों तक अध्यक्ष रहे। अपने अभिन्न मित्र यू. श्रीनिवास माल्या के साथ उन्होनें मैंगलोर में बंदरगाह के साथ-साथ हवाई अड्डा बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
जब उन्होनें जिले के आर्थिक कल्याण के लिए काम किया, तब भी उन्होनें इसकी शैक्षिक प्रगति में काफी योगदान दिया। 1955 में उच्च तकनीकी शिक्षा के लिए विदेश जाने वाले छात्रों को ऋण छात्रवृत्ति देने के लिए उन्होंने केनरा फाउंडेशन की शुरुआत की। एक बार फिर सूरतकल में कर्नाटका रीजनल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, जो अब राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, कर्नाटक (एनआईटीके (NITK)) के नाम से जाना जाता है, को बनवाने में यू. श्रीनिवास माल्या के साथ वे भी सहभागी थे और वे कई वर्षों तक इसके कार्यकारी संगठन में बने रहे।
रोटरी क्लब
मैंगलोर में पहला रोटरी क्लब शुरू करने के लिए वे जिम्मेदार थे, जिसके वह चार्टर अध्यक्ष थे।[४] वे एस. के। विकास और कल्याण बोर्ड, लघु उद्योग एसोसिएशन और एस. के। ग्रामोद्योग संघ के अध्यक्ष थे।
उन्होंने भारत और विदेशों में व्यापक रूप से यात्रायें की। ऐसा उस समय किया गया था जब भारत से बाहर की यात्रा दुरूह और दुर्लभ थी। उन्होनें मध्य पूर्व, यूरोप और 1951 में संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा की। 1960 और 1963 में उन्होनें एक बार फिर यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान की यात्रा की।
मृत्यु
1967 में कुडवा की मृत्यु हो गई और मैंगलोर तथा दक्षिण कन्नड़ में उन्हें याद रखने वाले लोग अभी भी उन्हें प्यार से "कर्मयोगी" कहते हैं।
सन्दर्भ
- स्वर्गीय वी.एस. कुडवा की संपत्ति द्वारा सूचना और छवि.
- वी.एस. कुडवा की जन्म शताब्दी के साँचा:cite web नोट