वसुधैव कुटुम्बकम्
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
वसुधैव कुटुम्बकम् सनातन धर्म का मूल संस्कार तथा विचारधारा है[१] जो महा उपनिषद सहित कई ग्रन्थों में लिपिबद्ध है। इसका अर्थ है- धरती ही परिवार है (वसुधा एव कुटुम्बकम्)। यह वाक्य भारतीय संसद के प्रवेश कक्ष में भी अंकित है।
- अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम् ।
- उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥ (महोपनिषद्, अध्याय ४, श्लोक ७१)
- अर्थ - यह अपना है और यह दूसरे का है, इस तरह की गणना छोटे चित्त वाले लोग करते हैं। उदार हृदय वाले लोगों की तो (सम्पूर्ण) धरती ही परिवार है।