वर्गबोली

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वर्गबोली, पेशेवर बोली, या जार्गन (jargon) किसी विशेष व्यवसाय, कार्यक्षेत्र या वर्ग द्वारा प्रयोग होने वाले विशेष शब्दों को कहा जाता है। वर्गबोली इसलिए विकसित हो जाती हैं क्योंकि "हर विज्ञान की अपनी विशेष भाषा होती है क्योंकि हर विज्ञान के अपने विशेष विचार होते हैं"।[१] कठबोलियों की तरह वर्गबोली भी किसी विशेष वर्ग के लिए ऐसी चीज़ों के लिए शब्दों से भरी होती है जो उस वर्ग के लोगों महत्व या रूचि रखती हो। जहाँ कठबोली औपचारिक भाषा का भाग नहीं होती, वहाँ वर्गबोली अक्सर सभ्य और औपचारिक प्रयोग के लिए उचित मानी जाती है। वर्ग से बाहर वाले आम लोगों को अक्सर वर्गबोली तकनीकी, कठिन, विचित्र या न समझ आने वाली प्रतीत होती है, जबकि वर्ग के सदस्य उसका प्रयोग आसानी से करते हैं।[२] उदाहरण के लिए संगणकों (कम्प्यूटरों) से परिचित लोग प्रायः 'बिट', 'बाइट', 'रैम', 'सीपीयू' और 'हेक्साडेसिमल' जैसे वर्गबोली शब्दों का प्रयोग करते हैं जिन्हें संगणकों से अपरिचित लोग बिलकुल नहीं समझ सकते।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

साँचा:reflist

  1. The Wheels of Commerce स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, Fernand Braudel, pp. 234, University of California Press, 1983, ISBN 978-0-520-08115-4, ... Condillac in 1782 put it more simply: 'Every science requires a special language because every science has its own ideas' ...
  2. How to Make Our Own News: A Primer for Journalists and Environmentalists, John Maxwell, pp. 60, Canoe Press, University of the West Indies, 2000, ISBN 978-976-8125-64-4, ... Many scientists and other experts find it difficult to explain themselves to people who want to learn from them, because the experts use language which is too difficult for ordinary people to understand. Some of this is because every trade, art or profession has its own jargon or private language ...