लैंसडाउन
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लैंसडाउन का दृश्य | |
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निर्देशांक: साँचा:coord | |
देश | साँचा:flag/core |
प्रान्त | उत्तराखण्ड |
ज़िला | पौड़ी गढ़वाल ज़िला |
स्थापित | 1887 |
क्षेत्र | साँचा:infobox settlement/areadisp |
ऊँचाई | साँचा:infobox settlement/lengthdisp |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | ५,६६७ |
• घनत्व | साँचा:infobox settlement/densdisp |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी, गढ़वाली |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
लैंसडाउन (Lansdowne) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के पौड़ी गढ़वाल ज़िले में स्थित एक छावनी नगर है।[१][२][३]
विवरण
लैंसडाउन पहाड़ी क्षेत्र में के हरे-भरे प्राकृतिक वातावरण में स्थित है और इसे सन् 1887 में ब्रिटिश काल में बसाया गया। इस स्थान का मूल नाम कालूडाण्डा था, जिसका गढ़वाली भाषा में अर्थ "काले पहाड़" है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 1706 मीटर है। दिल्ली से यह हिल स्टेशन काफी नजदीक है और 5-6 घंटे में लैंसडाउन पहुँचा जा सकता है। बाइक से लैंसडाउन जाने के लिए आनंद विहार के रास्ते दिल्ली से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने के बाद मेरठ, बिजनौर और कोटद्वार होते हुए लैंसडाउन पहुँच सकते हैं।
गढ़वाल राइफल्स का गढ़
लैंसडाउन को ब्रिटिश द्वारा वर्ष 1887 में बसाया गया। उस समय के वायसराय ऑफ इंडिया लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर ही इसका नाम रखा गया। वैसे, इसका वास्तविक नाम कालूडांडा है। यह पूरा क्षेत्र सेना के अधीन है और गढ़वाल राइफल्स का गढ़ भी है। आप यहाँ गढ़वाल राइफल्स वॉर मेमोरियल और रेजिमेंट म्यूजियम देख सकते हैं। यहाँ गढ़वाल राइफल्स से जुड़ी चीजों की झलक पा सकते हैं। संग्रहालय शाम के 5 बजे तक ही खुला रहता है। इसके करीब ही परेड ग्राउंड भी है, जिसे आम पर्यटक बाहर से ही देख सकते हैं। वैसे, यह स्थान स्वतंत्रता आन्दोलन की कई गतिविधियों का गवाह भी रह चुका है।[४]
पर्यटन स्थल
प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इस इलाके में देखने लायक काफी कुछ है। प्राकृतिक छटा का आनन्द लेने के लिए टिप इन टॉप जाया जा सकता है। यहाँ से बर्फीली चोटी और मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। दूर-दूर तर फैले पर्वत और उनके बीच छोटे-छोटे कई गाँव आसानी से देखे जा सकते हैं। इनके पीछे से उगते सूरज का नजारा अद्भुत प्रतीत होता है। साफ मौसम में तो बर्फ से ढँके पहाड़ों की लम्बी श्रृंखला दिखती हैं। पास में ही 100 साल से ज्यादा पुराना सेंट मैरीज़ चर्च भी है। यहाँ की भुल्ला ताल बहुत प्रसिद्ध है। यह एक छोटी-सी झील है जहाँ नौकायन की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। शाम को सूर्यास्त का खूबसूरत नजारा संतोषी माता मंदिर से दिखता है। यह मंदिर लैंसडाउन की ऊँची पहाड़ी पर बना हुआ है। वैसे, यहाँ से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ताड़केश्वर मंदिर भी है। यह भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है। इसे सिद्ध पीठ भी माना जाता है। यह पहाड़ पर 2092 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। पूरा मंदिर ताड़ और देवदार के वृक्षों से घिरा है। यह पूरा इलाका खूबसूरत होने के साथ-साथ शान्त भी है। सैलानी यहाँ पहाड़ चढ़ने, बाइकिंग, सायकलिंग जैसे साहसी खेलों के लिए भी आते हैं।
कैसे पहुँचे
भारत की राजधानी दिल्ली से लैंसडाउन करीब 270 कि॰मी॰ की दूरी पर है। यहाँ विभिन्न मार्गों से पहुँचा जा सकता है।
- सड़क मार्ग से लैंसडाउन आसानी से पहुँचा जा सकता है। यह कई शहरों से जुड़ा हुआ है। निजी और सरकारी बसें कोटद्वार तक जाती हैं, जहाँ से लैंसडाउन करीब 40 कि॰मी॰ की दूरी पर है।
- रेलवे: नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटद्वार स्टेशन है। वहाँ से फिर टैक्सी या सरकारी बस आदि से लैंसडाउन पहुँचा जा सकता है।
- हवाई अड्डा: नजदीकी हवाई अड्डा यहाँ का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्राँट एयरपोर्ट है, जो लैंसडाउन से करीब 152 कि॰मी॰ की दूरी पर है।
जनसांख्यिकीय
As of 2001[update] भारत की जनगणना, के अनुसार लैंसडाउन की जनसंख्या 7902 थी। पुरुष 64% और महिलाएँ 36% थीं। लैंसडाउन में औसत साक्षरता 86% है जो कि राष्ट्रीय औसत से अधिक है। पुरुषों की साक्षरता 91% व महिलाओं की 79% है। लैंसडाउन में 9% जनसंख्या 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की है।[५]
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
सन्दर्भ
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ "Uttarakhand: Land and People," Sharad Singh Negi, MD Publications, 1995
- ↑ "Development of Uttarakhand: Issues and Perspectives," GS Mehta, APH Publishing, 1999, ISBN 9788176480994
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- ↑ साँचा:cite web