लेक्लांची सेल

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सन् 1919 की लेक्लान्ची सेल की एक व्याख्या

लेक्लान्ची सेल (Leclanché cell) एक सेल (Cell) है जिसका आविष्कार और पेटेन्ट फ्रान्स के वैज्ञानिक जॉर्जेस लेक्लान्ची (Georges Leclanché) ने १८६६ में किया था। इसमें विद्युत अपघट्य के रूप में अमोनियम क्लोराइड और कार्बन का धनाग्र (कैथोड) एवं जस्ते का ऋणाग्र (एनोड) प्रयुक्त होता था। इसमें विध्रुवकारक (depolarizer) के रूप में मैंगनीज डाईऑक्साइड का प्रयोग किया जाता था। इसी के आधार पर आगे शुष्क सेल का विकास हुआ। इसका सेल विभव १.२५ से १.५ तक होता है ।

लेक्लांची सेल का विद्युतरसायन

इस सेल के अनावेशित (डिस्चार्ज) होने की अभिक्रिया निम्नलिखित है-

ऋणाग्र (Anode) पर

<math>\mathrm{\ Zn \rightarrow Zn^{2+} + 2 e^{-}} \,</math>

धनाग्र (Cathode) पर

<math>\mathrm{2MnO_2 + 2H^{+} + 2e^{-} \rightarrow 2MnO(OH)} \,</math>

विद्युत-अपघट्य के अन्दर:

<math>\mathrm{ Zn^{2+} + 2NH_4 ^{+} + 2 Cl^{-} \rightarrow [Zn(NH_3)_2]Cl_2 + 2H^{+}} \,</math>

सम्पूर्ण अभिक्रिया:

<math>\mathrm{Zn + 2MnO_2 + 2NH_4Cl \rightarrow [Zn(NH_3)_2]Cl_2 + 2 MnO(OH)} \,</math>