लेंटिना ओ ठक्कर

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लेंटिना ओ ठक्कर () नागालैण्ड की एक समाजसेविका हैं जिन्हें भारत सरकार ने २०१८ में उनके सामाजिक सेवा के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया। वे दशकों से पहाड़ियों में गांधी की विचारधारा का प्रसार कर रहीं हैं। वे नागालैण्ड में 'गांधीवादी दादी' के नाम से प्रसिद्ध हैं। 86 साल की लेंटिना ओ ठक्कर का चेहरा उनके संघर्ष की दास्तां बताने के लिए काफी है।

नागा हिल्स जिले में मोकोकचुंग जिले के मरेंकोंग गांव में जन्मी लेंटिना शुरुआत से ही समाज से आगे रहीं। इसके साथ ही वह अपने गांव में सातवीं कक्षा तक पहुंचने वाली पहली लड़की थी। ये अपना गांव (चुचुइमलांग) की पहली महिला हैं, जिन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की।

लेंटीना ए ठक्कर अभी 86 साल की है आैर ये स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नटवर ठक्कर की पत्नी है। वे एेसी पहली महिला है, जिन्होंने गांधीवादी विचारों से प्रभावित होकर 1950 में असम की राजधानी गुवाहाटी स्थित कस्तूरबा गांधी आश्रम से शिक्षा ली है।

उनका विवाह गुजरात के रहने वाले नटवर ठक्कर से हुई है। गांधी जी के विचारों से प्रभावित लेंटीना और उनके पति नटवर ने 1952 में नागालैंड के चुंच्यिमलांग में गांधी आश्रम स्थापित किया और हजारों मुश्किलों के बावजूद भी राज्य में गांधी की विचारधारा को जीवित रखा।

लेंटिना ने ना सिर्फ राज्य में गांधीवादी विचारधारा को जीवित रखने का काम किया है बल्कि समाज में महिलाओं और बच्चों के उत्थान के लिए भी काम किया है। उनके द्वारा निर्मित आश्रम में महिलाओं को शिक्षित करने के साथ-साथ उन्हें पढाई और तकनीकी का भी ज्ञान प्रदान किया जाता है।

टाटा समाज विज्ञान संस्थान (टीआईएसएस) ने लेंटिना द्वारा निर्मित आश्रम में शिक्षा केंद्र का स्थापित किया है जिसका उद्घाटन सन्स 2015 में तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने किया था। यह संस्थान लोगों को सामाजिक उद्यमिता और मानव विकास में मास्टर डिग्री प्रदान करता है।