लाभांश

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लाभांश (अंग्रेज़ी:Dividend / डिविडेंड) किसी कंपनी के लाभ में भागीदारों का अंश होता है जो वह कंपनी लाभ कमाने पर अपने शेयरधारकों को देती है। किसी ज्वाइंट स्टॉक कंपनी में लाभांश, शेयरों के निश्चित मूल्य के आधार पर मिलता है।[१] इस मामले में शेयरधारक उसके शेयर के अनुपात में डिविडेंड ग्रहण करता है। डिविडेंड पैसे, शेयर या अन्य कई रूपों में दिया जा सकता है।

किसी व्यापारिक कंपनी के अंशधारियों में लाभ के जिस भाग का विभाजन किया जाता है उसे लाभांश कहते है। प्रत्येक व्यापारिक कंपनी को लाभांश वितरण करने का समवायी अधिकार होता है। संचालक इस बात की सिफारिश करते हैं कि कितनी राशि लाभांश के रूप में घोषित की जाए। उसके पश्चात्‌ कंपनी अपनी सामान्य बैठक में लाभांश की घोषणा करती है, किंतु यह राशि संचालकों द्वारा सिफारिश की गई राशि से अधिक नहीं होनी चाहिए।

इसके अतिरिक्त अंतर्नियमों द्वारा अधिकृत होने पर संचालक दो सामान्य बैठकों के बीच में ही अंतरिम लाभांश की घोषणा भी कर सकते है।

यत: लाभांश कंपनी के लाभ का ही भाग होता है, अत: इसे केवल लाभ से ही दिया जा सकता है, न कि पूँजी से।

लाभांश के विषय में अंशधारियों के सामान्य अधिकारों, जैसे लाभांश की दर तथा पूर्वाधिकार आदि का प्रकथन कभी कभी सीमानियम में ही कर दिया जाता है जिससे यथासंभव, उन अधिकारों में परिवर्तन न हो सके। कई बार इनका प्रकथन अंतर्नियमों में किया जात है और कभी कभी दोनों प्रलेखों में भी इनका प्रकथन होता है। किस ढंग से लाभांश की घोषणा तथा अदायगी की जाएगी, इसका प्रकथन साधारणतया अंतर्नियमों में ही होता है।

जब तक कंपनी चालू रहती है, वह पूरा लाभ अंशधारियों में वितरण करने के लिए बाध्य नहीं होती। लाभांश वितरण करने के स्थान पर, अंतर्नियमों में इसकी व्यवस्था होने पर यह अपने लाभ को पूँजी में परिवर्तित (Capitalise) कर सकती है। लाभांश को इसकी घोषणा के दिन से ऋण माना जाता है तथा यह देय हो जाता है। कभी कभी अंतर्नियमों में यह भी प्रावधान होता है कि घोषणा के बाद निश्चित समय तक लाभांश के अयाचित रहने पर इसे जब्त किया जा सकता है।

कंपनी से सदस्य अंतर्नियमों के नियमानुसार लाभांश की अधियाचना कर सकते हैं किंतु यह आवश्यक है कि ऐसे सदस्यों का नाम लाभांश घोषणा के दिन कंपनी के रजिस्टर में दर्ज हो। जब अंशों का हस्तांतरण लाभांश घोषित करने पर उसके बहुत निकट किस तिथि को हो, तो हस्तांतरक तथा हस्तांतरी यह भी संविदा कर सकते हैं कि लाभांश किसको मिले।

प्रकार

लाभांश मुख्यत: तीन प्रकार के होते हैं:

नकद लाभांश

कैश डिविडेंड

कैश डिविडेंड का भुगतान चेक के रूप में किया जाता है। इस प्रकार अर्जित आय पर शेयरधारक को कर अदा करना पड़ता है। एक सामान्य उदाहरण लें, तो यदि किसी व्यक्ति के पास १००० शेयर हैं और यदि उनका कैश डिविडेंड मूल्य १ रुपये हैं तो उसे डिविडेंड के रूप में १००० रुपये मिलेंगे।.

प्रतिभूति लाभांश

स्टॉक डिविडेंड

स्टॉक डिविडेंड में कंपनी शेयरधारक को मिलने वाले लाभ के एवज में और शेयर दे देती है। इस डिविडेन्ड के उदाहरण स्वरूप १००० शेयर रखने वाले को पांच प्रतिशत का डिविडेंड लाभ होने पर कंपनी उसे पांच अतिरिक्त शेयर देगी।

संपत्ति लाभांश

प्रॉपर्टी डिविडेंड

प्रॉपर्टी डिविडेंड में लाभांश कमाने के रूप में कंपनी शेयरधारक को कोई सम्पत्ति देती है, लेकिन कंपनी प्राय: ऐसे डिविडेंड यदा-कदा ही देती है। यह पूर्णतया शेयरधारक की इच्छा पर निर्भर करता है कि डिविडेंड के रूप में मिले हुए शेयर को अपने पास रखे या उन्हें बेच दे।

लाभांश घोषित करने की एक निश्चित तिथि होती है जिसकी घोषणा कंपनी के निदेशकगण बोर्ड (बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स) करते हैं। निवेशक के लिए डिविडेंड लाभ का सौदा होता है क्योंकि उसके द्वारा निवेशित रकम के डिविडेंड के रूप में मिल जाने की गारंटी के कारण लाभ की स्थिति में रहता है। जो स्टॉक डिविडेंड के रूप में रिटर्न देता है उसके प्रति निवेशक का भरोसा ज्यादा होता है।

कर

निवेशक को मिलने वाला लाभांश कर-मुक्त होता है। हालांकि यह व्यक्ति-विशेष के अनुसार अलग-अलग होता है, लेकिन ब्याज पर कर लगता है। ऐसा इसलिये हैं, क्योंकि ब्याज को खर्च माना जाता है और लाभांश को निवेशक का लाभ मानते हैं। यदि कंपनी अपनी आय, जिसमें लाभांश भी शामिल हैं, पर कर अदा कर चुकी है, तो उसके बाद लभांश पर कर लेने से यह दुगना कर हो जाएगा। इसी कारण से १९९७ में लाभांश को करमुक्त कर दिया गया था।

हाल ही में कई कंपनियों जैसे कि डाबर, फाइनेंसियल टेक्नोलॉजी, डाबर और क्रांपटन ग्रीव्स आदि और पीएसयू सेल, गेल, नालको ने अपने शेयरधारकों के लिए कर मुक्त लाभांश की घोषणा की थी। इस प्रकार कर के बचाव के लिये लाभांश लाभप्रद होता है।[२] इसके कई कारण होते हैं:

  • बड़े निवेशकों के लिए लाभप्रद:
बड़े निवेशकों, जिनके पास ज्यादा मात्रा में स्टॉक है, उनके लिए कर बचाने का ये बेहतर विकल्प है। कई मामलों में अन्य माध्यमों से हुई आय पर अधिक कर अदा करना पड़ जाता है। ऐसे में लाभांश के माध्यम से पैसा आने पर यह बोझ कम हो जाता है।
  • टैक्स की संरचना:
कर के लिहाज से प्रत्येक स्थिति में लाभांश बेहतर सिद्ध नहीं होता है। इसके लिये एक उदाहरण हो सकता है। कैपिटल लाभ से भी जहां कर में छूट मिलती है, तो लाभांश से भी। पर, तुलनात्मक तौर पर कैपिटल लाभ अधिक लाभप्रद है। हालांकि लाभांश पर लाभांश वितरण कर टैक्स लगता है लेकिन यह कर कंपनी अदा करती है।

प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों में मुख्य शेयरधारकों को अधिक लाभांश का लाभ मिलता है, क्योंकि इससे उनके अधिक कर की बचत हो जाती है।


सन्दर्भ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  2. डिवीडेंड और टैक्स। हिन्दुस्तान लाइव। ७ अप्रैल २०१०

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ