रोहिणी ( महाभारत )
रोहिणी भगवान श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव की पहली पत्नी थीं। रोहिणी के गर्भ से ही बलराम और सुभद्रा का जन्म हुआ था। रोहिणी को दिति का अवतार माना गया है। कहा जाता है कि वसुदेव महर्षि कश्यप के अवतार थे, रोहिणी दिति की अवतार थीं और देवकी अदिति की अवतार थीं। इनके नाम पर ही एक नक्षत्र का नाम रोहिणी नक्षत्र है और उसी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि जब अदिति के ज्येष्ठ पुत्र इन्द्र ने दिति का गर्भ नष्ट कर दिया था तो दिति ने अपनी बड़ी बहन अदिति को श्राप दिया था ''कि आज जैसे तुम्हारे पुत्र ने मेरे गर्भ को नष्ट किया है वैसे ही द्वापर युग में तुम्हारा गर्भ भी नष्ट हो जाएगा''। इसी श्राप के कारण महर्षि कश्यप का वसुदेव के रूप में , अदिति का देवकी के रूप में और दिति का रोहिणी के रूप में जन्म हुआ। जब नागराज शेषनाग के अवतार बलराम देवकी के गर्भ में थे तब योगमाया ने देवकी को स्थांतरित करके रोहिणी के पेट में डाल दिया। समय आने पर रोहिणी ने बलराम को जन्म दिया। जब श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर दिया था तब रोहिणी के गर्भ से देवी पार्वती ने सुभद्रा के रूप में जन्म लिया। ऐसा भी कहा गया है कि रोहिणी भले ही श्रीकृष्ण की सौतेली माता थीं किन्तु वो श्रीकृष्ण को अपने पुत्र बलराम से भी अधिक प्यार करती थीं।