रोनिन

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मध्यकालीन चित्रकार उतागावा कूनियोशी द्वारा बनाई मशहूर रोनिन मियामोतो मुसाशी की तस्वीर, जिसमें मुसाशी अपना भविष्य पढ़वा रहें हैं

रोनिन मध्यकालीन जापान में ऐसे सामुराई को कहते थे जिसका अपने राजा या मालिक के साथ सम्बन्ध भंग हो गया हो, क्योंकि या तो राजा मारा गया हो या उसने सामुराई को किसी वजह से सेवा-निवृत कर दिया हो।[१]

सामुराई मध्यकालीन जापान के क्षत्रिय होते थे जो निडर, युद्ध में ख़ुँख़ार, शास्त्रों के इस्तेमाल में अति-सक्षम और मरते दम तक अपने राजा से वफ़ादारी करने वाले माने जाते थे। किसी भी सामुराई का फ़र्ज़ था के वह अपने राजा से पहले मरे। अगर कोई राजा मारा जाता तो सामुराई का फ़र्ज़ था के उसके मारने वालों से बदला ले। जिस सामुराई का मालिक मर चूका हो या जिसने उसे किसी वजह से अपनी सेवा से निकाल दिया हो, उसकी स्थिति अत्यंत शर्मनाक मानी जाती थी और उसे फिर कभी कोई राजा अपनी सेवा में नहीं लेता था। ऐसे सामुराई को ही रोनिन कहते थे। रोनिन शहर से शहर भटकते थे। क्योंकि वो जांबाज़ थे और लड़ाई करने में निपुण थे, इसलिए कईं जापानी कथाओं में दर्शाया जाता है के किसी गाँव या स्त्री पर अत्याचार हो रहा है और एक बहादुर रोनिन आकर उनकी मदद करता है। ऐसी कहानियों में काफ़ी कशमकश दिखाई जाती है क्योंकि एक तरफ तो रोनिन का स्वयं से नफ़रत करने तक का गहरा दुःख होता है और दूसरी तरफ उसकी बहादुरी और सक्षमता होती है।[२]

इन्हें भी देखिये

सन्दर्भ

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