रुख
रुख | |
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निर्देशक | अतनु मुखर्जी |
निर्माता | मनीष मुंदड़ा |
लेखक | वसन बाला |
पटकथा |
अतनु मुखर्जी आकाश मोहिमेन |
अभिनेता | साँचा:ubl |
संगीतकार | अमित त्रिवेदी |
छायाकार | पूजा गुप्टे |
संपादक | संगलाप भौमिक |
स्टूडियो | दृश्यम् फिल्म्स |
वितरक | एरोस इंटरनेशनल |
प्रदर्शन साँचा:nowrap |
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समय सीमा | 106 मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
रुख (सामान्य अर्थ: चेहरे का भाव अथवा मुद्रा) अतनु मुखर्जी के निर्देशन में बनी पहली फ़िल्म है। यह फ़िल्म हिन्दी भाषा की थ्रिलर-नाटक फ़िल्म है जो वर्ष 2017 में जारी हुई। फ़िल्म में मुख्य अभिनय मनोज बाजपेयी, स्मिता तांबे, कुमुद मिश्रा और आदर्श गौरव ने किया है। फ़िल्म 27 अक्टूबर 2017 को जारी हुई।[१][२]
कथानक
विद्यालय में मैदान में एक दिन लड़ाई में 18 वर्षीय विद्यार्थी ध्रुव माथुर (आदर्श गौरव) उग्रता से अपने साथी विद्यार्थी की टांग तोड़ देता है। इसके बाद वो घबराकर भाग जाता है। जब उसे विद्यालय से निष्काषित कर दिया जाता है, उसके माता-पिता उसे एक बोर्डिंग विद्यालय में भेज देते हैं। घर से दूर बोर्डिंग स्कूल में, ध्रुव अपने परिवार में चल रहे संकट से अनभिज्ञ रहता है। उसके जीवन को तब अप्रत्याशित मोड़ लेती है जब उसके पिता दिवाकर माथुर (मनोज बाजपेयी) की एक कार-दुर्घटना में मृत्यु का समाचार मिलता है। जब उसका सामना इस त्रासदी से होता है, वो घटित घटनाओं को खोजने का प्रयास करने लग जाता है। छुपे हुये सच सामने आने लगते हैं। यहाँ तक की उसकी माँ नंदिनी (स्मिता तांबे) भी उसे बचाने की कोशिश करती है, ध्रुव उत्तर पाने की कोशिश करने लगता है। यह खोज विभिन्न रहस्यो को उजागर करने लगती है, इससे वो अपने पिता के व्यक्तित्व और व्यवसाय से जुड़े विभिन्न परछाइयों से पर्दा उठता है जिसके बारे में वो पहले कभी नहीं जानता था। उसको ज्ञात होता है कि उसके पिता का व्यवसाय साथी रोबिन (कुमुद मिश्रा) संदेहपूर्ण व्यवसाय लेन-देन में शामिल है और उसके पिता एक अच्छे व्यक्ति हैं। ध्रुव को विश्वास हो जाता है कि उसके पिता का कुटिल दोस्त रोबिन ने ही उसके पिता की हत्या कर दी। इसके बाद सामने आता है कि ध्रुव के पिता ने अप्रत्यासित रूप से बंद हुये कारखाने के कामगारों को भुगतान करने के लिए धन उधार लिया था। फ़िल्म का अन्त भी अप्रत्याशित होता है जब उसे ज्ञात होता है कि उसके पिता ने आत्महत्या की थी जिससे बैंक मालिक से उधार वापसी का किया हुआ वादा न टूटे और ध्रुव एवं उसकी माँ के लिए थोड़ा धन छोड़ सके। ध्रुव अपने तरिके से आगे बढ़ता है और कुछ वर्ष पूर्व उसके द्वारा पड़ताड़ित छात्र, जिसका उसने पैर तोड़ दिया था, से माफ़ी मांगता है।
कलाकार
- मनोज बाजपेयी – दिवाकर
- आदर्श गौरव – ध्रुव
- स्मिता तांबे – नंदिनी
- कुमुद मिश्रा – रोबिन
- इला भाटे – निर्मला
- शुभ्राज्योति बरट – जयंत
- पवन सिंह – हसन
- भूषण विकास – शिन्दे
- वेदान्त मुचंडी – अमृत
- कान्नन अरुणाचलम – रंगराजन
- संदेश कुलकर्णी – आरिफ़
- सिद्धार्थ चान्दा – दिगंत
- अनिल खोपकर – अजीत
- रवि महशाबड़े – जयेश
- यज्ञ सक्शेना – चिनमय
- अहसाअस चन्ना – श्रुति
- रविन मुखिजा – भूषण
- स्वरूप खोपकर – उषा आंटी
निर्माण
फ़िल्म का पोस्टर 31 अगस्त 2017 को जारी किया गया।[३]
संगीत
अनाम |
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साँचा:italic titleसाँचा:namespace detectसाँचा:main other फ़िल्म को अमित त्रिवेदी ने संगीत दिया जिसके बोल सिद्धांत मागो ने लिखा।[४] फ़िल्म का पहला गीत "है बाकी" को अरिजीत सिंह ने गाया जो 11 अक्टूबर 2017 को जारी किया गया।
गीत सूची | |||||
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क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | संगीतकार | गायक | अवधि |
1. | "है बाकी" | सिद्धांत मागो | अमित त्रिवेदी | अरिजीत सिंह | 4:12 |
2. | "खिड़की" | सिद्धांत मागो | अमित त्रिवेदी | मोहन कान्नन | 5:00 |
समालोचना
रुख को अधिकतर सकारात्मक समीक्षा मिली।
हिन्दुस्तान टाईम्स के रोहित वत्स ने फ़िल्म को 5 में से 3.5 स्टार देते हुये लिखा, "रुख अपना खुद का कथानक तकनीक रखता है। कलात्मक फ़िल्म रुख को श्रेणीबद्ध करना अतनु मुखर्जी की प्रतिभा के साथ अन्याय होगा। यह उनके लिए एक 'अलग' फ़िल्म है जो अलग दुनिया चाहते हैं।"[५]
टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने भी फ़िल्म को 3.5/5 स्टार देते हुये कहा, "यह दुर्लभ है, परिपक्व थ्रीलर जो अच्छी सामग्री परोसती है और आपको मग्न कर देती है।"[६]
एनडीटीवी के सैबल चटर्जी ने फ़िल्म को 5 में से 3.5 स्टार देते हुये लिखा, "यह फ़िल्म सत्य कहानी को रचनात्मकता के वक्र साथ कहने की कला का एक अच्छा उदाहरण है जो नये लेखक-निर्देशकों के लिए माध्यम के स्वाभाविक नियंत्रण के साथ रहने की उद्घोषणा करती है।"[७]
कोईमोई ने फ़िल्म को 3/5 रैटिंग देते हुये लिखा है, "मनोज बाजपेयी आपके धर्य को अन्त तक रोककर रखने में कामयाब हैं।"[८]
राजीव मसंद ने भी फ़िल्म को 3 स्टार देते हुये लिखा है, "अप्रिहार्य भारीपन के बावजूद और स्पष्ट अन्त के साथ फ़िल्म में अच्छी अभिनय है। वाजपाई और ताम्बे दोनों ने मौन उदासी को जारी रखा जबकि गौरव ने विरामरहित सन्देश दिया है।"[९]
द हिन्दू की नम्रता जोशी ने इसे "एक भूलभूलैया और नीरस फ़िल्म" कहा।[१०]
अनुपमा चोपड़ा ने फ़िल्म को 5 में से 2.5 स्टार दिये और लिखा कि फ़िल्म रुक रुक कर जोड़ती है जो कभी भी आवश्यक नहीं था।[११]
पुरस्कार
पुरस्कार वितरण समारोह | श्रेणी | प्राप्तकर्ता | परिणाम | सन्दर्भ |
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10वाँ मिर्ची म्यूज़िक अवार्ड | वर्ष का आगामी गीतकार | सिद्धांत मागो – "खिड़की" | साँचा:nom | [१२] |
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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