राहतगढ़
साँचा:if empty Rahatgarh | |
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राहतगढ़ दुर्ग और नगर का दृश्य | |
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निर्देशांक: साँचा:coord | |
देश | साँचा:flag/core |
प्रान्त | मध्य प्रदेश |
ज़िला | सागर ज़िला |
ऊँचाई | साँचा:infobox settlement/lengthdisp |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | ३१,५३७ |
• घनत्व | साँचा:infobox settlement/densdisp |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 470119 |
दूरभाष कोड | +91-7584 |
आई॰एस॰ओ॰ ३१६६ कोड | IN-MP |
राहतगढ़ (Rahatgarh) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के सागर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है। राहतगढ़ बीना नदी के किनारे बसा हुआ है।[१][२] विधायक- श्री गोविन्द सिंह (भा.ज.पा.) प्रमुख स्कूल- सरस्वती शिशु मंदिर राहतगढ़ प्रमुख पूर्व विद्यार्थी- अंशुल कुर्मी
विवरण
सागर-भोपाल मार्ग पर सागर से लगभग 40 किमी की दूरी पर स्थित यह कस्बा स्थित है। वर्तमान में राहतगढ़ एक नगर पंचायत है। प्राचीन किला, जलप्रपात एवं भगवान विश्वनाथ के बीना नदी के घाट 'बनेनी घाट 'पर स्थित मंदिर के कारण प्रसिद्ध पिकनिक स्थल के रूप में विख्यात है। यह नगर राहतगढ़ के किले के नीचे एवं बीना नदी के किनारे पर स्थित है। बीना नदी पार करके मालवा बुंदेलखंड को जोड़ने के लिए अंग्रेजों ने 14 कमानी का एक सुन्दर पुल सन (1853) में "आर्क तकनीक पर आधारित' बनवाया था। इसकी लागत उस समय लगभग 56000 रूपये आई थी। वर्तमान में इस पुल के ठीक बाजू से एक नवीन पुल का निर्माण कर दिया गया है, एवं पुराना पुल जिसको "बड़े पुल" के नाम से जाना जाता था आज भी शान से अच्छी हालत में बीना नदी के दोनों किनारों को जोड़े खड़ा हुआ है।
इतिहास
11 वीं शताब्दी के एक खंडित शिलालेख पर धार के परमार राजा जयसिंह देव के उपराहद मंडल की स्थिति के बारे में स्पष्ट जानकारी तो नहीं है, परन्तु कुछ इतिहासकार इसे राहतगढ़ मानते हैं। बाद में गढ़ामंडला राज्य जिसमे 350 गाँव सम्मिलित थे और एक विशाल गढ़ था, के रूप में भी इसका उल्लेख मिलता है। बाद में गौंड़ राजाओं के शासन का यहाँ उल्लेख मिलता है। नवाब यार मुहम्मद खान (1726 से 1742) के समय भोपाल राज्य के 'दीवान बीजल राम' ने इसे भोपाल राज्य में मिला लिया। सन 1799 में एक पिंडारी मुखिया द्वारा राहतगढ़ को लूटा गया। इस लूट का उल्लेख 'मेमोयर ऑफ़ सेन्ट्रल इण्डिया' नाम की एक प्रसिद्द पुस्तक में रोचक ढंग से किया गया है। इसके बाद यह किला एवं नगर सन 1807 में सिंधिया राज्य में विलय हो गया। सन 1820 में नगर का प्रबंध अंग्रेजों के अधीन आ गया।
चित्रदीर्घा
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "Inde du Nord: Madhya Pradesh et Chhattisgarh स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।," Lonely Planet, 2016, ISBN 9782816159172
- ↑ "Tourism in the Economy of Madhya Pradesh," Rajiv Dube, Daya Publishing House, 1987, ISBN 9788170350293