राजेन्द्रसिंहजी जड़ेजा
जनरल, महाराज श्री राजेन्द्रसिंहजी , डीएसओ (15 जून 1899 – 1 जनवरी 1964), जिन्हें कुमार श्री राजेन्द्रसिंहजी और के.एस. राजेन्द्रसिंहजी भी कहा जाता है, भारतीय थलसेना के प्रथम थलसेनाध्यक्ष और फील्ड मार्शल के. एम. करिअप्पा के बाद द्वितीय भारतीय थे जो भारतीय सशस्त्र बलों के कमांडर इन चीफ और भारतीय थलसेना प्रमुख बने।
व्यक्तिगत जीवन
राजेन्द्रसिंहजी का जन्म 15 जून 1899 को काठियावाड़ इलाके के सरोदार में हुआ जो वर्तमान में भारत के पश्चिमी राज्य गुजरात में स्थित है। वो देवीसिंहजी जड़ेजा की तृतीय सन्तान थे।[१] उनका परिवार नवानगर नामक भारतीय रियासत (वर्तमान जामनगर में है) के शासक वंश से है,[२] और देवीसिंहजी दो क्रिकेट दिग्गजों के॰एस॰ रणजीतसिंहजी के बड़े भाई के॰एस॰ दुलीपसिंहजी के चाचा थे।[३] सन् 1928 में, राजेन्द्रसिंहजी ने माया कुँवरबा से विवाह किया। उनके तीन सन्तानों के माता-पिता बने। उनके पुत्र महाराज सुखदेवसिंहजी ने मसुदा राजपुताना की राजकुमारी विजयलक्ष्मी मसुदा से विवाह किया, उनकी छोटी पुत्री ने मध्यप्रदेश में तत्कालीन रियासत खैरागढ़ (वर्तमान छतीसगढ़ में) के राजा साहिब एचएच से विवाह किया, वो एक लोकसभा सांसद हैं और अपने निर्वाचन क्षेत्र में लोकप्रिय नेता हैं।[१]
करियर
राजेन्द्रसिंहजी ने राजकुमार कॉलेज, राजकोट से शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद मालवर्न कॉलेज गये जिसके बाद सेना में अपना करियर चुना, उन्होंने रॉयल मिलिट्री अकेडमी, सैंड्हर्स्ट से जुड़ गये। उन्हें 1922 में द्वितीय रॉयल लांसर्स में एक द्वितीय लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन किया गया। किंग'ज कमीशन भारतीय अधिकारी के रूप में, उन्होंने ब्रितानी भारतीय सेना में विभिन्न पद प्राप्त किये और द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान विशिष्टता प्रदान की गयी।
जनरल राजेन्द्रसिंहजी प्रथम भारतीय बने जिन्हें १९४५-४६ में वॉशिंगटन डी॰ सी॰ के सैन्य अताशे के रूप में सेवा करने के लिए प्रतिनियुक्त किया गया।
पदोन्नति एवं पद तिथि
- सेकण्ड लेफ्टिनेंट, ब्रितानी सेना (14 जुलाई 1921)
- लेफ्टिनेंट (14 अक्टूबर 1923)
- कैप्टन (14 जुलाई 1929)
- पेटेंट प्रमुख मेजर (1 जनवरी 1937)
- मेजर (1 अगस्त 1938)
- कार्यवाहक लेफ्टिनेंट-कर्नल (29 नवम्बर 1943)
- अस्थाई लेफ्टिनेंट-कर्नल (29 फ़रवरी 1944)
- लेफ्टिनेंट-कर्नल (यूके) (7 जून 1946)
- ब्रिगेडियर (यूके) (1946)
- मेजर-जनरल (यूके), भारतीय थलसेना (1947)
- लेफ्टिनेंट-जनरल (यूके), भारतीय थलसेना (1948)
- जनरल, भारतीय थलसेना (15 जनवरी 1953)
पदक
- किंग जॉर्ज पंचम सिल्वर जुबली मेडल (1935)
- किंग जॉर्ज षष्टम सिल्वर जुबली मेडल (1937)
- प्रथम भारतीय थलसेनाध्यक्ष जिन्हें द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान (1941) विशिष्ट सेवा सम्मान DSO से नवाज़ा गया।
- मेंशनड इन डिस्पैचिज (1941)
- भारत जनरल सेवा पदक (1941)
- 1939-1945 स्टार
- अफ़्रीका स्टार
- बर्मा स्टार
- रक्षा पदक (यूके) (1945)
- ब्रितानी युद्ध पदक (1945)
- भारतीय स्वतंत्रता पदक (1947)
- संयुक्त राज्य अमेरिका का "लीजन ऑफ़ मेरिट" का अधिकारी (1948)
सन्दर्भ
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- ↑ साँचा:cite book
- ↑ India at a glance: a comprehensive reference book on India 1954 - पृष्ठ 1725
बाहरी कड़ियाँ
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