राजबली पाण्डेय
डॉ. राजबली पाण्डेय | |
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Born | साँचा:birth date |
Died | साँचा:death date and age वाराणसी, भारत |
Resting place | वाराणसी, भारत |
Nationality | भारत |
Citizenship | भारत |
Education | बी.ए.(प्रतिष्ठा) संस्कृत (1931) एम.ए. (1933) डी.लिट् (1936) |
Alma mater | कला संकाय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय |
Years active | 1930–71 |
Employer | साँचा:main other |
Organization | साँचा:main other |
Agent | साँचा:main other |
Notable work | साँचा:main other |
Opponent(s) | साँचा:main other |
Criminal charge(s) | साँचा:main other |
Spouse(s) | साँचा:main other |
Partner(s) | साँचा:main other |
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डॉक्टर राजबली पाण्डेय एक भारतीय लेखक, जिन्होंने हिंदू संस्कारों और वेदों के सामाजिक-धार्मिक अध्ययन पर अनेक पुस्तकें लिखीं।
जीवन
डॉ. राजबली पाण्डेय ने अपने जीवन की शुरुआत गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित "कल्याण" के संपादक और रामकृष्ण डालमिया की पुत्री रमाबाई के ट्यूटर के रूप में की थी। उन्हें 1936 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में नियुक्त किया था। उन्हें तत्कालीन उपकुलपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा रीडर के रूप में पदोन्नत किया गया। उन्हें 1952 में कॉलेज ऑफ इंडोलॉजी (भारती महाविद्यालय) के प्रमुख और प्राचार्य के रूप में नियुक्त किया गया था। राजनीतिक दबाव के कारण[१] उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय छोड़ दिया और प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व विभाग के प्राचार्य और अध्यक्ष के रूप में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (जबलपुर विश्वविद्यालय) से जुड़ गए।
संदर्भ
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