राजगढ़ का किला
साँचा:infobox राजगढ़ एक पहाड़ी किला है जो भारत के महाराष्ट्र राज्य के पुणे जिले में स्थित है। इसे मुरुमदेव के नाम से भी जाना जाता है। यह किला लगभग 26 वर्षों तक शिवाजी के शासन में मराठा साम्राज्य की राजधानी था। बाद में राजधानी को रायगढ़ किले में स्थानांतरित कर दिया गया था। तोरण नामक एक निकटवर्ती किले से खोजे गए खजाने का इस्तेमाल इस किले को बनाने और मजबूत करने के लिए किया गया था।[१]
यह पुणे के दक्षिण-पश्चिम में लगभग 60 किमी (37 मील) और सह्याद्रि में नासरपुर से लगभग 15 कि.मी. (9.3 मील) दूर स्थित है। यह किला समुद्र तल से 1,376 मीटर (4,514 फीट) ऊँचा है। किले के आधार का व्यास लगभग 40 किमी (25 मील) है, जिसने इस पर इतिहास में घेराबंदी करना मुश्किल बना दिया था। किले के खंडहरों में पानी के कुंड और गुफाएँ पाएँ गए हैं। यह किला मुरुमादेवी डोंगर (देवी मुरुम्बा का पर्वत) नामक पहाड़ी पर बनाया गया था। माना जाता है कि इसकी सुरक्षित भौगोलिक स्थिति के कारण ही छत्रपती शिवाजी महाराज ने इसे कई साल शासन का केन्द्र बनाएं रखा।[२][३]
इतिहास
यह किला शिवाजी के पुत्र राजाराम प्रथम के जन्म[४], शिवाजी की रानी सई भोसले की मृत्यु[५], आगरा से शिवाजी की वापसी, अफज़ल खान की पराजय[६] आदि महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ा है। राजगढ़ किला भी उन 17 किलों में से एक था, जिसे शिवाजी ने 1665 में पुरंदर की संधि पर हस्ताक्षर करते समय मुगल सेना के सेनापति जय सिंह प्रथम के समक्ष रखा था। इस संधि के तहत, 23 किलों को मुगलों को सौंप दिया गया था।[७][८]
पर्यटन
यह किला एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है और विशेष रूप से मानसून के दौरान यहाँ सबसे अधिक भीड़ होती है। यह देखते हुए कि यह किला बहुत बड़ा है और एक ही दिन में इसका पर्यटन नहीं किया जा सकता है, पर्यटक किले पर रात भर रुकना पसंद करते हैं। किले के पद्मावती मंदिर में लगभग 50 लोग बैठ सकते हैं। पानी की टंकियों से पूरे वर्ष भर ताज़े पानी की व्यवस्था की जाती हैं। राजगढ़ की तलहटी के ग्रामीण इन पर्यटकों को स्थानीय प्राचीन वस्तुएँ बेचते हैं।[९]
चित्र दीर्घा
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ Majumdar, R.C. (ed.) (2007). The Mughul Empire, Mumbai: Bharatiya Vidya Bhavan, ISBN81-7276-407-1, p.296
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ Stewart, S. (1993), Gordan Stewart (ed.), The Marathas 1600-1818 (vol 2) Pg No. 73-74., Cambridge University Press, ISBN 9780521268837.
- ↑ John Murray, S. (1841), Mountstuart Elphinstone (ed.), The History of India (Vol. 2) Pg No. 475-476.
- ↑ साँचा:cite web