राग टोड़ी
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राग तोड़ी जिसे मियां कि तोड़ी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि राग तोड़ी अथवा मियाँ कि तोड़ी मियाँ तानसेन के द्वारा रचित है ॥ उत्तर भारतीय संगीत में पं० भातखण्डेजी ने इसे थाट स्वरूप के आधार पर अपने थाट का आश्रय २ाग माना है। इसकी प्रकृती गंभीर है इस राग का भाव विनती या पुकार प्रतीत होती है। इसका गायन समय दिन का दूसरा प्रहर है। इस २ाग मे२ २े ग ध् कोमल एवं निशुद्ध मध्यम तिव्र प्रयोग किया जाता है। जाति सम पूर्ण है ॥