रजनीकान्त बरदलै

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रजनीकान्त बरदलै
चित्र:Rajani Kanta Bordoloi.jpg
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उपनामउपन्यास सम्राट
व्यवसायलेखक, चाय उत्पादक
भाषाअसमिया भाषा
राष्ट्रीयताभारतीय
उल्लेखनीय कार्यsमिरी ज्योति (1894)[२]

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रजनीकान्त बरदलै (१८६७-१९४०) असमिया भाषा के महान साहित्यकार, लेखक और पत्रकार थे। [३]वे असमिया उपन्यास के जनक माने जाते हैं। १९२५ के असम साहित्य सभा के वे सभापति थे। उन्हें असमिया का 'बंकिमचन्द्र' भी कहा जाता है।

कृतियाँ

उपन्यास[४]

  1. मिरी जियोरी (1894)[५]
  2. मनोमति (1900),
  3. रहदोइ लिगिरी (1930),
  4. निर्मल भकत (1927),
  5. ताम्रेश्वर मंदिर (1926)
  6. रङ्गीली (1925)
  7. दोन्दुआद्रः (1909),
  8. राधा अरु रुक्मिणीर रोन (1925)
  9. थम्ब थोइबिर साधु (1932)

जुनाकी, बन्हि, उषा, असम हितिषी, आवाहन आदि उस काल की प्रमुख पत्रिकाओं में वे लगातार लिखते रहते थे। उन्होने 'प्रदीपिका' नामक एक मासिक पत्रिका का सम्पादन भी किया।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ